कहा- 9 फरवरी-2023 को जारी चण्डीगढ़ प्रशासन की अधिसूचना को तुरंत रद्द किया जाए
NEW DELHI/CHANDIGARH, 7 AUGUST: चंडीगढ़ के कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में चंडीगढ़ में संपत्ति की शेयरवार बिक्री पर प्रतिबंध का मुद्दा बड़े ज़ोर से उठाया।
आज लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने मांग की कि इस मुद्दे पर 9 फरवरी-2023 को जारी चण्डीगढ़ प्रशासन की अधिसूचना को तुरंत रद्द किया जाए।
तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में किसी भी ऐसे बिल्डिंग प्लान को मंजूरी देने पर रोक लगाई गई है, जो तीन मंजिला इमारत को तीन अलग-अलग लोगों के स्वामित्व वाली तीन अलग-अलग मंजिलों या फ्लैटों में बदल देता है और ऐसे किसी भी एमओयू के पंजीकरण पर रोक लगाई गई है, जो इस तरह की व्यवस्था को अमल में लाता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि ये केवल अंतरिम निर्देश थे और तब तक के लिए लागू थे, जब तक कि हेरिटेज कमेटी हेरिटेज सेक्टरों के रीडैन्सीफ़िकेशन पर कोई विचार नहीं कर लेती। बाद में हेरिटेज कमेटी ने फैसला किया कि हेरिटेज सेक्टरों में आबादी का रीडैन्सीफ़िकेशन नहीं किया जाएगा। हेरिटेज कमेटी के इस फ़ैसले पर पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश लागू नहीं रह गए हैं लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी संपत्ति की शेयरवाइज बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया था।
तिवारी ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन अदालत के आदेशों की उचित तरीके से व्याख्या नहीं कर पाया और उसने 9 फरवरी-2023 को पूरे केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में शेयरवाइज संपत्ति की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। तिवारी ने कहा कि इससे उन लोगों को बहुत नुकसान और परेशानी हुई है, जो वास्तव में अपनी संपत्ति को शेयरवाइज आधार पर बेचना चाहते हैं, लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा अदालत के आदेश सही ढंग से न समझ पाने के कारण ऐसा नहीं कर सकते हैं। उन्होंने मांग की कि हजारों लोगों को राहत देने के लिए 9 फरवरी-2023 को जारी अधिसूचना को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए, जिसके कारण लोग अपनी संपत्ति में अपने शेयर को वास्तविक बाजार मूल्य से बहुत कम कीमतों पर अपने सह-मालिकों को बेचने के लिए मजबूर हैं। इससे चंडीगढ़ में प्री-ऐम्शन जैसा कानून लागू हो गया है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 300-ए में निहित संपत्ति के संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है।