हरियाली, सुख-समृद्धि और पवित्र सावन मास के स्वागत का प्रतीक है हरेला पर्वः मनोज रावत
CHANDIGARH, 16 JULY: कुमाऊं सभा चंडीगढ़ ने उत्तराखंड, विशेष तौर से कुमाऊं मंडल के लोकपर्व हरेला के मौके पर आज गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल सेक्टर-23 में पौधारोपण किया। हरेला पर्व पर प्रकृति पूजन का विधान है। यह लोक पर्व पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देता है। आज पौधारोपण में कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के सदस्यों के अलावा स्कूल के स्टाफ सहित कोच नन्द लाल वर्मा के नेतृत्व में हैंडबॉल कोचिंग सेन्टर के खिलाड़ियों ने भी हिस्सा लिया!
कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के मीडिया प्रभारी शशिप्रकाश पांडेय ने बताया कि हरेला पर्व के मौके पर पौधे लगाने की परंपरा है! कहा जाता है कि इस दिन लगाए हुए पौधे काफी फलते-फूलते हैं। इस अवसर पर आज अलग-अलग तरह के 100 फलदार और छायादार पौधे लगाए गए। साथ ही लोगों को पौधे बांटे भी गए! हरेला त्यौहार की ख़ुशी में सभी को मिठाई बांटी गई और सभी देशवासियों के लिए मंगल कामना की गई! कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के सभी उपस्थित सदस्यों ने इन लगाए गए पौधों की अगले 2 वर्ष तक देखभाल करने का प्रण लिया!
कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के प्रधान मनोज रावत ने बताया कि यह त्यौहार हरियाली, सुख-समृद्धि और पवित्र सावन मास के स्वागत का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने जल, जंगल, जमीन को हरा-भरा रखने का प्रण लेते हैं! कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के महासचिव दीपक सिंह परिहार ने कुमाऊं समाज के लोगों से इस अवसर पर किए जाने वाले पौधारोपण की प्रथा को जीवित रखने की अपील की! सभा के कोषाध्यक्ष नारायण सिंह परिहार ने कहा कि यह त्यौहार प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने और उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का त्यौहार है!
अध्यापक रामपाल ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में सभी को अवगत कराया और कहा कि सभी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक पौधा मां के नाम’ मुहिम का हिस्सा बनकर एक-एक पौधा अवश्य लगाएं। कुमाऊं सभा के सचिव राजेंद्र नगरकोटी ने बताया कि सभा आगे भी शहर में इसी तरह के पौधारोपण अभियान चलाएगी और सैकड़ों पौधे लगाएगी। इस अवसर पर दान सिंह गढ़िया, लक्ष्मण सिंह रावत, दिनेश सिंह फर्स्वाण, आनंद सिंह नेगी, दिलीप चौहान, दविंदर सिंह रावत, बलबीर सिंह रावत, थान सिंह बिष्ट, गोकुल सिंह नगरकोटी, दर्शन सिंह कोरंगा, नंदन सिंह कोरंगा, प्रवीन रावत, धर्मवीर सिंह, भूपेंद्र सिंह खाती, सोबन सिंह रावत, भुवन सिंह, इंदर सिंह, कुंदन सिंह कोरंगा आदि उपस्थित थे।