लीज होल्ड टू फ्रीहोल्ड के प्रपोजल में रहीं खामियां, ठीक करके केंद्र को दोबारा भेजे चंडीगढ़ प्रशासनः कैलाश जैन

कहा- जब रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी फ्री होल्ड हो सकती है तो कॉमर्शियल या इंडस्ट्रियल क्यों नहीं ?

CHANDIGARH, 15 JULY: चंडीगढ़ में कॉमर्शियल एवं इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी को लीज होल्ड से फ्री होल्ड किए जाने के प्रपोजल पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए एफिडेविट के बारे में उद्योग व्यापार मंडल (UVM) चंडीगढ़ के अध्यक्ष कैलाश चंद जैन का कहना है कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा गृह मंत्रालय को भेजा गया प्रपोजल विस्तृत और ठीक नहीं था, इसलिए इसको स्वीकार नहीं किया गया और इसी आधार पर एमएचए ने सर्वोच्च न्यायालय में एफिडेविट दिया है।

कैलाश चंद जैन ने मांग की है कि चंडीगढ़ प्रशासन इस बारे में दोबारा विचार करके नए सिरे से इस तरह का विस्तृत और जनहित में प्रपोजल बनाकर गृह मंत्रालय को भेजे, जिस पर एमएचए दोबारा विचार करके उसे स्वीकार करने पर मजबूर हो जाए। कैलाश जैन का कहना है कि जब रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी लीज होल्ड से फ्री होल्ड हो सकती है तो कॉमर्शियल या इंडस्ट्रियल क्यों नहीं फ्री होल्ड की जा सकती है ? दिल्ली में लीज होल्ड टू फ्री होल्ड हो सकती है तो चंडीगढ़ में भी क्यों नहीं हो सकती ?

जैन ने कहा कि शायद प्रपोजल बनाने में कोई खामी रह गई है, जिसको दूर करके नए सिरे से प्रपोजल बनाकर भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि शायद प्रशासन ने अब अभी जो प्रपोजल बनाया है उसको बनाते समय सभी तथ्यों की पूरी जानकारी विस्तार से नहीं दी गई है। प्रशासन को सकारात्मक सोच के साथ और सभी स्टेकहोल्डर से सलाह-मशविरा करने के बाद दोबारा प्रपोजल बनाकर एमएचए को भेजना चाहिए तथा एमएचए को भी लोगों की जरूरत के मद्देनजर इसे स्वीकार करके सर्वोच्च न्यायालय में रिवाइज्ड एफिडेविट दाखिल करना चाहिए, ताकि चंडीगढ़वासियों को राहत मिल सके। जैन ने कहा कि चंडीगढ़वासियों की यह बहुत ही जायज डिमांड है, जिसको हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए।

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