CHANDIGARH, 02 FEBRUARY: चंडीगढ़ में एक किलो सीएनजी की कीमत एक लीटर डीज़ल से भी ज़्यादा हो चुकी है और इसमें लगातार इज़ाफा हो रहा है, लेकिन ऑटो रिक्शा किराये में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है। लोग पहले जितने किराये का ही भुगतान कर रहे हैं, जिसकी वजह से ऑटो वालों की रोजी-रोटी बन्द होने की कगार पर पहुंच गई है लेकिन प्रशासन का उनकी परेशानियों की तरफ कोई ध्यान नहीं है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन कुमार बंसल से आज मिलने पहुंचे ऑटो चालकों ने उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में बताया। उनका कहना था कि ना ही पूरे शहर में हमारे लिए कोई पार्किंग है और ना ही हमें सड़कों पर रुकने की इजाज़त है। कहीं भी रुकने पर पुलिस हमारे चालान काटती है। शहर में इलेक्ट्रिक ऑटो लाने के लिए प्रशासन ने हमें कई तरह के प्रलोभन दिए थे, लेकिन अब हमारी कोई सार नहीं लेता। दिन में तीन से चार बार कई घंटों के इंतज़ार के बाद इलेक्ट्रिक ऑटो की बैटरी बदली जाती है, जिसमें दिन का 600-700 रुपया खर्च हो जाता है, जबकि पूरे दिन की कमाई 800-1000 रुपए के बीच होती है, ऐसे में हम अपना घर कैसे चलाएं ? अपने बच्चों की पढ़ाई कैसे करवाएं ?
रेलवे स्टेशन पर लगने वाली पार्किंग का पास जो पहले 500 रुपए में बनता था, अब ठेका प्राइवेट कंपनी के पास जाने के चलते 1200 रुपए का हो गया है। स्टेशन के बाहर खड़े होने के चलते सवारियाँ नहीं मिलती।
ऑटो चालकों ने चंडीगढ़ प्रशासन व पुलिस पर आरोप लगाते हुए बताया कि आर.एल.ए. ऑटो रिक्शा जो कि कमर्शियल वाहन होता है, का लाइसेंस एल.एम.वी. के तौर पर जारी करता है जबकि इनके लिए लाइसैंस एल.टी.वी. के तौर पर जारी किया जाना चाहिए। ऐसे लाइसेंस को न ही ट्रैफिक पुलिस मानती है और न ही इस पर इंश्योरेंस क्लेम मिलता है। चंडीगढ़ प्रशासन डीज़ल के सरकारी एवं प्राइवेट कमर्शियल वाहन खुद चलवा रहे हैं और भेदभाव की नीति से ऑटो चालकों को एल.पी.जी. ऑटो देकर कर्ज़े में डुबाकर उबर-ओला डीज़ल टैक्सियां चलवाकर इनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा कर दिया।
ऑटो चालकों की परेशानियों को सुनकर पवन बंसल ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी इन जायज मांगों के लिए कांग्रेस पार्टी आवाज उठाएगी और जब भविष्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो ऐसी नीतियां बनाई जाएंगी कि उनकी इन समस्याओं का समाधान हो सके।