इस बार के बजट में भी सिर्फ जुमलेबाज़ी, चंडीगढ़ के लिए भी कुछ नहीं: पवन कुमार बंसल

पूर्व केंद्रीय मंत्री बोले- ये सरकार अमीरों की है जो अमीरों के द्वारा और अमीरों के लिए ही काम करने वाली है

CHANDIGARH, 1 FEBRUARY: पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन बंसल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश अंतरिम बजट को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि इसमें देश की आम जनता के लिए कुछ भी नहीं है। इस बार के बजट में भी सिर्फ जुमलेबाज़ी की गई है।

बेरोज़गारी को देश का सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए पवन बंसल ने कहा कि इस समय देश में 25 वर्ष की आयु वाले नौजवानों में बेरोज़गारी दर 42.3 प्रतिशत है, जबकि चंडीगढ़ में ये दर महज़ 0.38 प्रतिशत है जो अब तक की सबसे खराब स्थिति है, लेकिन इसको दूर करने के लिए भाजपा के बजट में कोई भी ज़िक्र नहीं किया गया। मनरेगा में भी UPA के वक्त 100 दिन का काम मिलता था वो अब घट के 48 दिन रह गया है।

बंसल ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध और नौकरियों में समान वेतन ना मिलना जैसे महिलाओं के मुद्दे भी देश की महिला वित्त मंत्री की स्पीच से गायब रहे। Female Labour Force Participation जो 2005 में 30% पर था वो अब 24% पर आ चुकी है, लेकिन इस पर सरकार ने कोई वजह नहीं बताई। उन्होंने कहा कि खाने की चीज़ों की महँगाई दर इस समय 7.7 प्रतिशत है और लगातार बढ़ रही है। ज़रूरी वस्तुओं पर भी सरकार 5-18%  GST लगा रही है, ऐसे में एक आम नागरिक या मज़दूर के लिए अपने परिवार का पेट भरना भी मुश्किल हो चुका है। उन्होंने कहा कि किसानों की आमदन दुगुनी करने का दावा करने वाली सरकार ने इसके लिए भी कोई योजना नहीं दी, ना ही एमएसपी बढ़ाई ना ही उसका दायरा। और तो और किसान सम्मान निधि में भी कोई वद्धि नहीं की गई।

बंसल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में 18 लाख करोड़ रुपये का बजट घाटा है। आने वाले साल में यह और बढ़ेगा। इसका सीधा सीधा मतलब है कि सरकार कर्ज लेकर अपना खर्च चला रही है। उन्होंने कहा कि ये सरकार अमीरों की है जो अमीरों के द्वारा और अमीरों के लिए ही काम करने वाली है। इस देश का 60 प्रतिशत पैसा सिर्फ 10 प्रतिशत आबादी के पास है, और कमाई का ये फर्क पिछले 10 सालों में लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसे ये सरकार जानबूझ कर अनदेखा कर रही है। बंसल ने कहा कि

पूरे बजट में वित्त मंत्री ने 42 बार टैक्स और मोदी शब्द का इस्तेमाल किया लेकिन जॉब शब्द सिर्फ एक बार, जिससे साबित होता है कि सरकार की प्राथमिकता क्या है।

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