CHANDIGARH: आचार्यकुल के संस्थापक भूदान आन्दोलन के प्रणेता भारत रत्न परम संत आचार्य विनोबा भावे की 38वीं पुण्यतिथि गांधी स्मारक निधि पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश की ओर से गांधी स्मारक भवन सैक्टर-16 चंडीगढ़ में डा. एम.पी. डोगरा की अध्यक्षता में श्रद्धापूर्वक मनाई गई।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम संत विनोबा भावे के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। उसके बाद सर्व धर्म प्रार्थना हुई। गांधी स्मारक भवन के निदेशक डा. देवराज त्यागी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि संत विनोबा भावे के दर्शन को ध्यान में रखते हुए-मनुष्यता के संरक्षण के लिए समर्पण और लगन हमारा लक्ष्य होना चाहिए जिसके लिए अहिंसक वैश्विक समाज का निर्माण होना अनिवार्य है। इसके लिए आत्म निर्भर, आत्मानुशासित, स्वाभिमानी, प्राकृतिजीवी मानव- समाज का सृजन करना प्रारंभिक आवश्यकता है। हम सबको विनोबा जी के विचारों की विरासत का कार्यकर्ता बनना चाहिए। डा. रमेश कुमार शर्मा ने कहा कि 1917 में बापू ने दीनबंधु एंड्रूज से विनोबा जी के बारे में कहा था कि वे आश्रम के दुर्लभ रत्नों मे से एक है वे यहा लेने नहीं देने आए हैं। विनोबा जी ने जीवन भर दिलों को जोड़ने का काम किया । उनका लक्ष्य- विश्व शांति, मंत्र- जय जगत, उनका तन्त्र- ग्राम स्वराज था। ऐसी महान हस्ती को शत-शत नमन।
इस अवसर पर श्रीमती कंचन त्यागी ने कविता के द्वारा श्रद्धांजलि दी-
तुंग शैल हे, गहन सिंधु हे, तुम असीम आकाश प्रमाण।
गुण निधान हे, नित अकाम तुम, मानवता की एक उड़ान।।
हे मानवी क्रांति की झंझा, हे तुम मानव के कल्याण।
काल पुरूष हे,`भालचक्षु हे, व्याल वशीकर, अमृत निशान।।
डा.एम.पी.डोगरा ने अपने अध्यक्षीय व्याख्यान में कहा कि विनोबा जी प्राकृतिक चिकित्सा में बहुत विश्वास रखते थे। एक बार डाक्टरों का दल उनके भोजन की जांच के लिए उनसे मिलने आया। उन्होंने डाक्टरों को बताया कि मैं 18 अध्याय गीता के खाता हूं। इससे मुझे न्यूट्रीशन मिलता है तथा कई घंटे धूप में काम करके मल्टी विटामिन ट्रीटमैंट लेता हूं। इसलिए कभी बीमार नहीं पड़ता। कार्यक्रम में पापिया चक्रवर्त, आनंद, गुरप्रीत, अमित, कंचन आदि ने भाग लिया।
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