पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा-भाजपा के राज में कितनों को नौकरी मिली, सांसद दें जवाब
हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा जीएमसीएच-32 में 102 पदों के रिव्यू प्रस्ताव खारिज किए जाने पर जताया एतराज
CHANDIGARH, 6 JANUARY: चंडीगढ़ में इस समय मेट्रो को लेकर प्रशासन उलझन में है। कभी एलिवेटेड तो कभी अंडरग्राउंड ट्रैक पर पेंच फंसा हुआ है, जबकि 10 साल पहले ही मैंने सांसद रहते शहर में अंडरग्राउंड मेट्रो और शहर के बाहर एलिवेटेड ट्रैक की सिफारिश की थी। ये कहना है पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल का। शुक्रवार को यूटी हेरिटेज कंजर्वेशन की सब कमेटी की मीटिंग में स्पष्ट तौर पर एलिवेटेड ट्रैक बनाए जाने से इनकार कर दिया गया। सब-कमेटी ने साफ कहा है कि शहर में अंडरग्राउंड ही मेट्रो ट्रैक बनना चाहिए।
बंसल ने कहा कि वे भी पिछले कई सालों से यही बात कह रहे हैं, जिसे अब प्रशासन की हेरिटेज कंजर्वेशन की सब-कमेटी कह रही है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने उनकी बात मान ली होती तो आज शहर में मेट्रो चल रही होती। भाजपा शासित प्रशासन ने शहर को 10 साल पीछे ला दिया। बंसल ने कहा कि चंडीगढ़ में मेट्रो अंडरग्राउंड ही चलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली में चांदनी चौक जैसे इलाके में 95 फीट नीचे तक मेट्रो चल सकती है तो चंडीगढ़ में क्यों नहीं ? उन्होंने कहा कि 10 साल पहले जब कांग्रेस ने मेट्रो प्रोजेक्ट प्रपोज किया था तब इसकी एलाइनमेंट तक हो चुकी थी।
आज शहर में इतना ट्रैफिक बढ़ गया है कि 10 साल में मेट्रो बनाने की कॉस्ट भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास चंडीगढ़ शहर के लिए कभी कोई विजन नहीं था, 10 साल में चंडीगढ़ को भाजपा ने बहुत पीछे कर दिया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा जीएमसीएच-32 में 102 पदों के रिव्यू प्रस्ताव को खारिज किए जाने पर भी सख्त ऐतराज जताया है। पवन बंसल ने कहा कि चंडीगढ़ में स्वास्थ्य क्षेत्र के महत्वपूर्ण संस्थानों चाहे वह पीजीआई हो, जीएमसीएच-32 हो या फिर सेक्टर-16 का अस्पताल, उनमें रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया में भाजपा सरकार जानबूझकर देरी करती है और फिर 3 वर्षों के बाद उन रिक्त पदों को ही खारिज कर दिया जाता है तो इससे शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों नहीं चरमराएगी ? ये संस्थान डेपुटेशन पर आने वाले डॉक्टरों के भरोसे हैं, जबकि मरीजों के बढ़ते बोझ को देखते हुए यहां स्टाफ की जरूरत भी लगातार बढ़ रही है।
बंसल ने कहा कि जीएमसीएच-32 में फैकल्टी के 34 और अन्य 68 पद खाली पड़े हैं, लेकिन साल 2022 और 2023 में की गई मांग के बावजूद उन्हें भरने की जगह वो पद ही केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने रद्द कर दिए हैं। पवन बंसल ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जब उनकी सरकार आएगी तो हर वर्ष 2 करोड़ नौजवानों को नौकरी मिला करेगी लेकिन हालात इसके बिलकुल विपरीत हैं। मोदी सरकार द्वारा नौजवानों को नौकरी देना तो दूर पहले से रिक्त पदों को ही तीन साल तक खाली रख कर खारिज किया जा रहा है। स्वास्थ्य का क्षेत्र जो कि समाज की बुनियादी ज़रूरतों में से एक है, उसके प्रति सरकार का ये रवैया बेहद निराशाजनक है।
इसके अलावा यूटी प्रशासन के भी अलग-अलग विभागों में कर्मचारियों की लगातार किल्लत जारी है और सरकार की नीतियों ने मौजूदा कर्मचारियों के लिए ऐसी स्थिति बना दी है कि पिछले डेढ़ साल में 115 क्लर्क और स्टेनोग्राफर ने नौकरी छोड़ दी, क्योंकि 2021 में नौकरी ज्वाइन करने वाले कर्मचारियों का ग्रेड-पे सेंट्रल सर्विसिज़ रूल्स के अनुसार करके 3200 से घटाकर 1900 रुपए कर दिया गया। पवन बंसल ने सांसद किरण खेर को भी आड़े हाथ लेते हुए सवाल किया कि उन्होंने चंडीगढ़ में सरकारी नौकरी की उम्र 35 साल तो करवा दी, लेकिन गत 10 वर्षों में ये नौकरी कितनों को दी, इस सवाल का जवाब भी वह ज़रूर दें ।