पूर्व सीएम बोले- प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर गन्ने का भाव कम से कम होगा 450 रुपए प्रति क्विंटल
CHANDIGARH, 7 NOVEMBER: हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार ने प्रदेश में गन्ने के प्रति क्विंटल भाव में मात्र ₹14 की वृद्धि करके किसानों के साथ मजाक किया है। यह कहना है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। उन्होंने कहा कि प्रदेश के गन्ना किसान लम्बे समय से गन्ने का भाव 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं। और हमारी सरकार ने गन्ने के रेट में रिकॉर्डतोड़ 193 रुपये की बढ़ोत्तरी कर उसे 117 से बढ़ाकर 310 रुपये तक पहुंचाया था। यानी 9 साल में 165% की बढ़ोत्तरी की, जो उस समय देश में सबसे ज्यादा भाव था। जबकि, बीजेपी सरकार ने गन्ने का भाव 2014 के बाद ₹310 से बढ़ाकर 2023-24 में ₹372 ही किया, यानी 9 साल में मात्र 20% वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान किसानों से गन्ना खरीद के साथ तुरंत भुगतान भी सुनिश्चित किया जाता था। 2014 में सरकार छोड़ते समय गन्ना मिलों पर किसानों का एक पैसा बकाया नहीं था।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एलान करते हुए कहा कि अगले साल हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने पर पहली कैबिनेट में ही गन्ने का भाव ₹450 प्रति क्विंटल हो जाएगा,ज़ो एक बार फिर देश में गन्ने का सर्वाधिक रेट होगा।
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने वर्ष 2015 में वादा किया था कि 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी कर देंगे। और 2014 में जब हमने सत्ता छोड़ी तब गन्ने का भाव 310 रुपए था, भाजपा सरकार अगर 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का वादा निभाती तो इस हिसाब से गन्ने का दोगुना भाव 620 बनता है। लेकिन 2022 का साल गुजरे भी एक साल से ज्यादा बीत गया है। उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने का झूठा वाला करने वाली सरकार में किसान की आमदनी दोगुनी होना तो दूर, किसानों का खर्चा और किसानों पर कर्जा दोगुना हो गया। डीजल-पेट्रोल के दाम दोगुने हो गए, महंगी खाद, कृषि उपकरणों पर टैक्स थोप कर किसानों की कमाई घटाने का काम किया है। जिसके चलते प्रदेश का किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार गन्ने का भाव बढ़ाने के नाम पर कभी 5 रुपये, 10 रुपये तो अब चुनावी साल में सिर्फ 14 रुपये बढ़ा कर किसानों के साथ भद्दा मज़ाक कर रही है। बाजार में चीनी महंगी बिक रही है जबकि सरकार गन्ना किसान को उसकी मेहनत का वाजिब भाव तक नहीं दे रही है।
उन्होंने कहा कि गन्ने का घोषित भाव किसानों के लिए चिंता का विषय है। और इससे शुगर मिलों और चीनी उपभोक्ता का भविष्य भी ठीक नहीं है। आज प्रदेश में वैसे तो किसी भी फसल का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। लेकिन गन्ने की खेती में पिछले कई वर्षों से भंयकर बिमारियां किट-पतंगो के कारण गन्ने की फसल पर किसान की जहां लागत बढ़ी है, वहीं पैदावार पर भी खूब प्रभाव पढ़ रहा है। इसलिए गन्ने के भाव में कम से कम 50 रुपए प्रति क्विंटल बढौतरी जरूरी है। लेकिन सरकार ने 2023-24 के मूल्य में मात्र 14 रुपए की बढौतरी करके किसान को इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि वह गन्ने की खेती न करे। क्योंकि लागत मूल्य के अनुरुप गन्ने के घोषित भाव में नुक्सान ही नुक्सान है। हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में दर्जन से अधिक शुगर मीलें लगी हुई हैं, जिनमें हजारों आदमी रोजगार पर लगे हुए हैं हजारों करोड़ रुपए का कर्ज सरकार से लेकर मिले लगी हुई हैं, यदि किसान ने गन्ने की बिजाई से मुंह मोड लिया तो शुगर मिलों व सरकार द्वारा लगाए गए एथेनॉल प्लांट का क्या होगा। किसान हित में सरकार से अपील करते हुए हुड्डा ने कहा कि सरकार को घोषित भाव पर पुनर्विचार करते हुए किसान और शुगर मिलों के हित में 450 रुपए प्रति क्विंटल कर गन्ने का भाव घोषित करना चाहिए।