पूर्व केंद्रीय मंत्री बोले- यह नीति लागू करने का निर्णय प्रशासन के मनमाने और अड़ियल रवैये का परिचायक
CHANDIGARH, 6 NOVEMBER: चंडीगढ़ के पूर्व सांसद एवं केंद्रीय मंत्री रहे पवन कुमार बंसल ने चंडीगढ़ प्रशासन से कम से कम वर्तमान परिस्थितियों में अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत पेट्रोल/डीजल और इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण के लिए कोटा प्रणाली पर अपना वह अनावश्यक हठ छोड़ने को कहा है, जिसके तहत परम्परागत पेट्रोल/डीजल इंजन वाले वाहनों का पंजीकरण साल-दर-साल आधार पर एक निश्चित सीमा तक सीमित कर दिया गया है।
बंसल ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को लोकप्रिय बनाने की हर कोशिश एवं प्रोत्साहन वांछनीय है, परन्तु इसे युक्ति संगत तरीके से एवं सोच-समझ कर लागू किया जाना चाहिए लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने बिना पर्याप्त विचार किए तदर्थ आधार पर इस नीति को अपनी मनमर्ज़ी से लागू करने के लिए एक के बाद एक घोषणाएं की हैं, जिससे शहर के नागरिकों में चिंता पैदा हो रही है। बंसल ने कहा कि वास्तविकता यह है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के सीमित उत्पादन और उपलब्धता के चलते परम्परागत पेट्रोल/डीजल इंजन वाले वाहनों के पंजीकरण पर सीमा से परे जाकर प्रतिबंध लगाने का समय अभी नहीं आया है। इस स्तर पर नीति लागू करने का निर्णय प्रशासन के मनमाने और अड़ियल रवैये का परिचायक है, जिसके कारण अक्सर वह आम लोगों के विचारों और आकांक्षाओं को नज़रअंदाज़ कर देता है।
बंसल ने कहा कि आज समय की मांग है कि इस मुद्दे को समग्र और लोगों के अनुकूल दृष्टिकोण से हल किया जाए और इस नीति को लागू करने से पहले इलैक्ट्रिक वाहनों की उपलब्धता, बैटरी की आयु सीमा, समाप्त हो चुकी बैटरी के निस्तारण और रीसाइक्लिंग में आने वाली कठिनाइयों और उस पर आने वाली पर्यावरणीय लागत जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इसके अलावा, शहर में चार्जिंग पॉइंटों की बेहद अपर्याप्त संख्या, जिसके परिणामस्वरूप इलैक्ट्रिक वाहनों के मालिकों के समय की अकारण बर्बादी होती है और उनके घरों में चार्जिंग की सुविधा प्रदान करने का कोई प्रावधान न होना भी ऐसी गम्भीर कठिनाइयां हैं, जिनका असरकारक निपटान इस नई वाहन नीति को लागू करने से पहले करना अत्यंत आवश्यकता है। बंसल ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों का बेहद मंहगा होना भी एक अन्य कारक है जो इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने में लोगों को हतोत्साहित कर रहा है । इस समस्या का शीघ्र समाधान भी इस नीति को युक्ति संगत तरीके से लागू करने में सहायता करेगा।
बंसल ने कहा कि नई वाहन नीति के कार्यान्वयन में एक बड़ी खामी यह भी है कि पूरे देश में कहीं भी ऐसी कोई नीति लागू नहीं है। वास्तव में यह एक ऐसा मामला है जिसे केवल चंडीगढ़ द्वारा अकेले नहीं निपटाया जा सकता है और इस मामले में एक राष्ट्रीय नीति बनाए जाने की जरूरत है। आज प्रशासन द्वारा परम्परागत इंजन वाले वाहनों के पंजीकरण की सीमा तय करने से एक ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां शहर के निवासी दोपहिया वाहनों की खरीद के लिए पंचकूला और मोहाली जा रहे हैं और एक महीने के बाद अन्य वाहनों के मामले में भी यही स्थिति होगी, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को राजस्व की हानि भी होगी और आम जनता को अकारण परेशानी झेलनी पड़ेगी। बंसल ने मांग की कि चंडीगढ़ प्रशासन को शहरवासियों के हित में इलेक्ट्रिक वाहन नीति लागू करने के अपने आदेश को तुरंत वापस लेना चाहिए।