अनूप गुप्ता सत्ता के नशे में चूर, मेयर पद से तत्काल दें इस्तीफा: राजीव शर्मा
CHANDIGARH, 21 AUGUST: चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने मेयर अनूप गुप्ता पर व्यापारिक हित साधने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए तत्काल उनके इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि कथित रुप से भाजपा मेयर अनूप गुप्ता ने अपने स्वामित्व वाली चण्डीगढ़ औद्योगिक क्षेत्र की एक इमारत का औक्यूपेशन प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए एस्टेट ऑफिस चंडीगढ़ से ज़रूरी तथ्यों को छिपाया और नियमों के विरुद्ध जाकर उन्हें गलत तरीके से पेश किया। कांग्रेस ने विभिन्न नियमों के उल्लंघन और राष्ट्रीय वन्य जीवन बोर्ड से आवश्यक मंजूरी न लिए जाने और 2006 की ऐनवायरनमैन्ट इम्पैक्ट असैसमैन्ट अधिसूचना की धारा 20 के अनुपालन न करने के मद्देनजर संबंधित इमारत को तत्काल प्रभाव से सील करने की मांग भी की।
इस संबंध में मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए चण्डीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव शर्मा ने आरोप लगाया कि चण्डीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता, जो एक वरिष्ठ भाजपा नेता भी हैं, इस कदर सत्ता के नशे में चूर हैं कि उन्हें राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्टैन्डिंग कमेटी से मंजूरी पत्र जमा कराने के लिए 10 साल से भी अधिक समय से पहले नोटिस दिया गया था लेकिन उन्होंने और उनके सहयोगियों ने उसका जवाब देने की परवाह नहीं की। कानून के अनुसार इस उल्लंघन के लिए कड़ी कार्रवाई करने के बजाय, प्रशासन ने गुप्ता के राजनीतिक रसूख के आगे घुटने टेक दिए और बिल्डिंग प्लान को मंजूरी देने और उन्हें औक्यूपेशन प्रमाण पत्र देने के लिए सभी नियमों को ताक पर रख दिया। कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे आरोप लगाया कि अब जब ऐनवायरमैन्ट इम्पैक्ट असैसमैन्ट कमेटी ने गुप्ता की इमारत के खिलाफ अवैध दस्तावेजों और अन्य अनियमितताओं के आधार पर बिल्डिंग प्लान और औक्यूपेशन प्रमाण पत्र प्राप्त करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई शुरू की है, तो चंडीगढ़ प्रशासन भी अपनी गहरी नींद से जाग गया है।
कांग्रेस ने मेयर पर बिल्डिंग कानूनों के उल्लंघन के गंभीर मामलों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए, संदिग्ध दस्तावेज जमा करके ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने में उनकी भूमिका की विस्तृत जांच का आदेश देने की मांग की। कांग्रेस प्रवक्ता ने विभिन्न नियमों के गम्भीर उल्लघंन को देखते हूए संबंधित इमारत को तुरंत सील करने की मांग भी की। पार्टी ने मेयर के एक व्यापारिक सहयोगी के उस बयान की भी निंदा की जिसमें उन्होंने धमकी दी थी कि अगर इमारत को एक दिन के लिए भी सील किया गया तो भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश का माहौल खराब हो सकता है।
मेयर के इस्तीफे की मांग करते हुए पार्टी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि 2021 में नगर निगम के लिए चुने जाने के बाद से मेयर किसी न किसी विवाद में घिरे रहे हैं. सबसे पहले, भाजपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करते समय, उन्होंने अपना व्यवसाय ‘बिज़नेस’ बताया, जो कि एडवोकेटस एक्ट का उल्लंघन था, क्योंकि तब वह राज्य बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित थे। इसके बाद डड्डूमाजरा में एक नया कचरा प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के एजेंडे का पुरज़ोर समर्थन करने के लिए उनकी कड़ी आलोचना की गई, जिसकी प्रस्तावित शर्तों में कचरा सयंत्र स्थापित करने वाली संभावित कंपनी को बहुत ही आकर्षक डील की पेशकश की गई थी। इससे आम जनता में यह धारणा मजबूत हो गई कि अगर इस सौदे को लागू किया गया तो इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की व्यापक गुंजाइश है। हाल ही में मेयर ट्राइसिटी के बाहर पंजीकृत वाहनों से दोगुना पार्किंग शुल्क वसूलने के प्रस्ताव का समर्थन कर अपनी ही पार्टी को शर्मसार कर दिया था।