पूर्व मुख्यमंत्री बोले- बार-बार हो रहे कारनामों से स्पष्ट है कि सरकार करवाना ही नहीं चाहती भर्ती
कांग्रेस विधानसभा सत्र में उठाएगी सीईटी धांधली का मुद्दा
CHANDIGARH, 8 AUGUST: कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट के नाम बीजेपी-जेजेपी सिर्फ हरियाणा के युवाओं को चक्करघिन्नी की तरह घुमा रही है। सीईटी मेंस में हुए पेपर कॉपी कारनामे से स्पष्ट हो गया है कि सरकार भर्ती करना ही नहीं चाहती। और भर्ती प्रक्रिया शुरू करती है तो बेरोजगारों के साथ इस तरह का धोखा किया जाता है। ये कहना है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा सीईटी की स्क्रीनिंग परीक्षा में ग्रुप-57 के 41 सवाल हूबहू ग्रुप-56 के पेपर में कॉपी पेस्ट किए जाने के मसले पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। इससे पहले एचसीएस की परीक्षा में 38 सवाल इसी तरह कॉपी किए गए थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सवाल कॉपी-पेस्ट करना बीजेपी-जेजेपी सरकार द्वारा पेपर लीक करवाने का नया फार्मूला बन गया है। एचसीएस से लेकर ग्रुप-सी और डी तक में अपने उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार इस तरह पेपर लीक करवा रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गठबंधन सरकार बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं के दर्द को नहीं समझ रही है। भर्ती परीक्षाओं के लिए दिनरात तैयारियों में जुटे युवाओं को कभी सीईटी, कभी पेपर लीक, कभी घोटाले तो कभी कोर्ट केस के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है। पिछले 4 साल से सीईटी के नाम पर सरकार युवाओं के साथ क्रूर मजाक कर रही है। सीईटी सिर्फ भर्तियों को लटकने और युवाओं को मानसिक प्रताड़ना की भट्टी में झोंकने का हथियार बनकर रह गया है।
हुड्डा ने कहा जो संस्था एक भी पेपर सलीके से नहीं करवा सकती, उसे बिना देरी के भंग किया जाना चाहिए और अब तक हुई तमाम भर्ती घोटालों की उच्चस्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए। कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक में भर्ती घोटालों के मुद्दे को उठा चुकी है। लेकिन सरकार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ की नीति को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस आने वाले विधानसभा सत्र में फिर से इस मामले को उठाएगी।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने याद दिलाया कि 2019 से सरकार लगातार भर्तियों को सीईटी के नाम पर टालती रही। सरकार ने कहा कि सीईटी पास अभ्यार्थियों को ही भर्ती परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा। लेकिन सिर्फ परीक्ष करवाने में सरकार ने 3 साल लगा दिए। नवंबर 2022 में ग्रुप-सी के लिए सीईटी हुआ और 2023 में उसका रिजल्ट आया। लेकिन उसके बाद सरकार अपने किए वादे से ही मुकर गई। सीईटी पास सभी 3.59 लाख युवाओं को स्क्रीनिंग टेस्ट में बैठने का मौका देने की बजाए उसने विज्ञापित पदों का 4 गुणा की मनमानी कैप लगा दी।
इतना ही नहीं, सीईटी के रिजल्ट में भी अनगिनत गड़बड़ियां पाई गईं। परीक्षा को परिवार पहचान पत्र के साथ जोड़ दिया गया और अंकों में सोशियो-इकोनामिक का झमेला शुरू हो गया। कई उम्मीदवारों की कैटेगरी ही बदल गई। कई योग्य उम्मीदवारों को सोशियो-इकोनामिक के नंबर नहीं दिए गए और कई ऐसे उम्मीदवारों को नंबर दे दिए गए जो योग्य नहीं थे। अभ्यार्थियों को बार-बार अपील और कोर्ट केस के झमेले में उलझा दिया गया। बावजूद इसके सरकार इन तमाम खामियों को दूर नहीं कर पाई। सीईटी स्क्रीनिंग टेस्ट की तारीख से पहले रात तक अभ्यार्थियों को यह नहीं पता था कि पेपर होगा या नहीं।