मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मोदी सरकार की आलोचना की, कहा- प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और 28 गवर्नरों सहित 30 लोग पूरा देश चला रहे 

मणिपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को भाजपा द्वारा अपनाई जा रही बांटने और नफ़रत की नीति का नतीजा बताया

NEW DELHI/CHANDIGARH, 27 JULY: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार पर देश में विपक्ष की आवाज को दबाने और नफरत की राजनीति को उत्साहित करने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की।

राज्य सभा सदस्य संजय सिंह के निलंबन के रोष में विरोधी पक्षों के संसद सदस्यों के प्रदर्शन में शामिल हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्ताधारी गठजोड़ ने संसद सदस्यों को जनता का मुद्दा उठाने की इजाज़त नहीं दी। उन्होंने कहा कि यदि अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए कोई सांसद सदन के बीच आता है तो उसे ग़ैरकानून्नी ढंग से निलंबित कर दिया जाता है, जो बहुत शर्मनाक है। भगवंत मान ने कहा कि इस ‘ लोकतंत्र के मंदिर’ में भी लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों की आवाज़ दबाने का यह तानाशाही ढंग ग़ैरवाज़िब है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तानाशाही शासन में राजनीतिक स्वार्थ के लिए विरोधी पक्ष को चुप करवाना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में सत्ताधारी गठजोड़ द्वारा कई तरह के हथकंडे अपना कर विरोधी पक्ष को पूरी तरह अनदेखा किया गया है। भगवंत मान ने कहा कि सभी सदस्यों की सहमति लेने की परवाह किए बिना सदन में हंगामा कर बिल पास कर दिए जाते है और यह पूरे लोकतंत्र पर कलंक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन सांसदो का जमीर अभी जिंदा है वह सभी संसद मैंबर संजय सिंह के साथ है और आज यहाँ धरना दे रहे है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ‘ मन की बात’ में अपनी बात करना पसंद करते हैं परन्तु वह देश के लोगों की बात सुनने के लिए कभी भी तैयार नहीं होते। भगवंत मान ने कहा कि देश के बुद्धिमान और लोकतंत्र को प्यार करने वाले लोग इसको कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे और इस घृणित पाप के लिए भाजपा और इसके सहयोगियों को सबक सिखाएँगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी एंड कंपनी देश में लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। उन्होंने कहा कि अगर देश को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और उनके 28 राज्यपालों सहित 30 लोगों ने ही चलाना है तो मतदान करवाने पर पैसा क्यों बरबाद क्यों किया जाए। भगवंत मान ने कहा कि लोकतंत्र में यह ख़तरनाक रुझान है, जिसको तुरंत रोकने की ज़रूरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मणिपुर में घटी शर्मनाक घटना भाजपा की बांटने और नफ़रत वाली नीति का नतीजा है। उन्होंने कहा कि यह देश और इसके लोगों के हित में नहीं है क्योंकि इस नीति के बुरे निष्कर्ष सामने आएंगे। भगवंत मान ने माँग की कि अमन- कानून की स्थिति पूरी तरह खराब होने कारण मणिपुर में तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल मणिपुर में तब क्या कर रहे थे, जब कानून व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ चुकी थी। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों विशेषकर ग़ैर- भाजपा शासित राज्यों के राज्यपाल राज्य के रोजाना के मामलों में ग़ैर- ज़रूरी दखलअंदाज़ी कर रहे है और चुनी हुई सरकारों को काम नहीं करने दे रहे । भगवंत मान ने कहा कि इसके विपरीत मणिपुर के राज्यपाल राज्य में हुई घिनौनी घटनाओं को सिर्फ़ मूक दर्शक बन कर देख रहे है।

मुख्यमंत्री ने भारत के राष्ट्रपति को मणिपुर में हो रही दुर्भाग्यपूर्ण और घिनौनी घटनाओं का ख़ुद नोटिस लेने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब मणिपुर जल रहा था तो देश का प्रधानमंत्री दूसरे देशों की यात्रा का आनंद ले रहे थे। भगवंत मान ने कहा कि यह इस संकट से निपटने के प्रति मोदी सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार लोगों का विश्वास खो चुकी है और लोग 2024 में होने वाले आम मतदान में मोदी और उसकी जुंडली को सबक सिखाएँगे। संसद भवन की नई बनी इमारत में पानी रिसने पर व्यंग्य कसते हुए उन्होंने कहा कि एक सदी पहले बनी पार्लियामेंट की पुरानी इमारत आज भी बरकरार है, जबकि नई इमारत की छत लीक हो चुकी है, जो देश की दयनीय हालत को दिखाती है। भगवंत मान ने कहा कि इससे पता लगता है कि मोदी सरकार की भ्रष्ट तत्वों के साथ मिलीभगत है।

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