इन कालोनियों के लोगों को रिहायशी इकाइयों का मालिकाना हक देने के लिए जल्द ठोस कदम उठाने की भी मांग की
CHANDIGARH, 26 JULY: चंडीगढ़ के पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल ने आज गवर्नर पंजाब और यू.टी. चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित से पुनर्वास कालोनियों के निवासियों को जारी किए गए सभी नोटिस तुरंत प्रभाव से वापस लिए जाने का आदेश जारी करने का आग्रह करते हुए मांग की कि केवल उन मामलों को छोड़कर, जहां रिहायशी यूनिट का निवासी मूल अलाटी के साथ अपना किसी किस्म का कोई लिंक स्थापित करने के लिए कोई सबूत या दस्तावेज दिखाने में असमर्थ है, बाकी सभी मामलों में कालोनियों के निवासियों को अपनी रिहायशी इकाइयों के मालिकाना हक प्रदान करने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं।
चण्डीगढ़ के प्रशासक को लिखे एक पत्र में चण्डीगढ़ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रवासी श्रमिकों को मकानों या रिहायशी साइटों के आवंटन के इतिहास के बारे में बताते हुए बंसल ने कहा कि 1975 के बाद से उन मजदूरों और कामगारों के पुनर्वास के लिए कई योजनाएं बनाई, जो पूरे शहर में टूटी-फूटी झुग्गियों और झोंपड़ियों में बस गए थे। बाद में अक्तूबर 1979 में चण्डीगढ़ के मुख्य आयुक्त ने इन झुग्गी झोपड़ियों में बदतर हालात में रहने वाले कामगारों के शहर के निर्माण में उनके द्वारा किए जा रहे योगदान को देखते हुए और शहर के साथ उनके भावनात्मक सम्बन्ध मजबूत करने के उद्देश्य से लीज़ और हायर परचेज़ के आधार तीसरी योजना बनाई, जिसे ‘लीज़ और हायर परचेज़ आधारित चंडीगढ़ आवंटन योजना 1979’ कहा गया। यह स्कीम उन लोगों के लिए थी, जिन्हें 1975 और 1979 की पिछली दो योजनाओं के तहत साइट या मकान आवंटित किए गए थे।
बंसल ने याद दिलाया कि वर्ष 2012 में चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर में विभिन्न पुनर्वास कॉलोनियों में विभिन्न आवंटियों और उन निवासियों को जिनको मूल आवंटियों द्वारा यह रिहायशी इकाइयों का हस्तान्तरण किया जा चुका था, को नियमित करने और मालिकाना हक प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार करने के लिए कदम उठाए थे। रिहायशी इकाइयों के इस तरह के हस्तान्तरण को नियमित करने की आवश्यकता इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि जिन हस्तांतरितियों ने मूल आवंटियों से रिहायशी इकाईयां किसी भी माध्यम से खरीदी थी, वे सब भी समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से थे। मौजूदा प्रशासन द्वारा कालोनियों के आर्थिक रूप से कमज़ोर निवासियों को उनकी रिहायशी इकाइयों के आवंटन रद्द करने के नोटिसों के उन पर पड़ने वाले असहनीय दुष्प्रभावों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए बंसल ने कहा कि इन इकाइयों के कई निवासियों को 40 साल से भी अधिक समय पहले इन इकाइयों का हस्तान्तरण किया गया था और आवंटन रद्द करने जैसी कोई भी कार्रवाई इन कालोनी वासियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा जिसे इनके लिए बर्दाश्त करना सम्भव नहीं हो पाएगा। यह गरीब और आर्थिक तौर पर कमज़ोर नागरिकों को आश्रय प्रदान करने के हर सरकार के घोषित उद्देश्य के खिलाफ भी होगा। पवन कुमार बंसल ने कहा कि प्रशासन द्वारा यह रिहायशी इकाइयां आम तौर पर प्लिंथ स्तर पर निर्माण के बाद आवंटित कर दी गई थी और उसके बाद इन स्थलों पर निर्माण प्रशासन द्वारा नहीं, बल्कि आवंटियों या हस्तांतरितियों द्वारा स्वयं अपने खर्चे पर किया गया था। ऐसी सूरत में इन कालोनी वासियों को चौतरफ़ा नुक्सान झेलना पड़ेगा, जिसे बर्दाश्त करना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा। बंसल ने कहा कि आवंटन रद्द करने की सूरत में शहर के 50,000 से अधिक परिवार उजड़़ कर सड़क पर आ जाएंगे, जो सभी के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण कदम होगा, इसलिए ऐसा कभी भी, किसी भी हालत में नहीं किया जाना चाहिए।