दो करोड़ रिश्वत का मामला: पंजाब के पूर्व सीएम चन्नी के बारे में हुए सनसनीख़ेज़ खुलासे, पीड़ित खिलाड़ी आया सामने

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चन्नी के भतीजे की हरकतों का किया पर्दाफाश, क्रिकेट खिलाड़ी जसइंदर सिंह को मीडिया के सामने किया पेश

आरोप: चन्नी के भतीजे जशन ने खिलाड़ी से नौकरी के बदले मांगे थे दो करोड़ रुपए 

CHANDIGARH, 31 MAY: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के रिश्तेदारों का कथित पर्दाफाश करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज क्रिकेट खिलाड़ी जसइंदर सिंह को मीडिया के सामने पेश किया। आरोप है की इससे नौकरी देने के बदले रिश्वत की मांग की गयी थी। इस बीच मुख्यमंत्री ने इस मामले से जुड़े तथ्य भी मीडिया के सामने रखे।यहां पंजाब भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के भतीजे जशन ने जसइंदर सिंह से पंजाब लोक सेवा कमिशन (पी.पी.एस.सी) का टैस्ट कलीयर कर नौकरी देने के लिए उससे 2 करोड़ रुपए रिश्वत मांगी थी। उन्होंने कहा कि चरणजीत सिंह चन्नी के दफ्तर में उनके कार्यकाल दौरान खुलेआम नौकरियां बेची जाती थी, जिससे इस प्रतिभावान खिलाड़ी का शानदार खेल करियर बर्बाद हो गया। भगवंत मान ने कहा कि जसइंदर और उनके पिता ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू की मौजूदगी में एक समारोह के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रमुख सचिव हुसन लाल ने उन्हें (पूर्व मुख्यमंत्री को) पूरे मामले की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि चन्नी मामले को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए लाने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन जसइंदर को जशन से मिलने के लिए कहा था। भगवंत मान ने कहा कि जसइंदर और उसके पिता चन्नी के भतीजे से मिले तो उसने नौकरी के लिए दो करोड़ रुपये की मांग की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उन्होंने पैसे देने में असमर्थता जताई तो नौकरी नहीं दी गई, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री ने एक समारोह के दौरान सार्वजनिक रूप से जसइंदर और उनके पिता को अपशब्द कहे। भगवंत मान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के इसी रवैए के कारण जसइंदर को नौकरी नहीं मिल सकी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब राज्य सरकार जसइंदर को निर्धारित मापदंड के अनुसार नौकरी देगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के गलत कामों से राज्य के युवाओं को बर्बाद करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। भगवंत मान ने कहा कि जिसने भी राज्य और उसके युवाओं के खिलाफ घिनौना काम किया है, उसे बख्शा नहीं जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी द्वारा श्री चमकौर साहिब की पावन भूमि पर इस मामले की कोई जानकारी न होने की शपथ लेने पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें कोई भी बयान देने से पहले अपनी अंतरात्मा में झांकने को कहा। उन्होंने कहा कि निस्संदेह पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार के बुरे कामों के कारण पूरे पंजाब औऱ विशेषकर पूरे खेल क्षेत्र को शर्मसार होना पड़ा है। भगवंत मान ने कहा कि जसइंदर, जो पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी है और कई प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में खेल चुके है, खेल कोटा के तहत पीपीएससी के माध्यम से नौकरी के लिए आवेदन किया था ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेल विभाग द्वारा जसइंदर को बी ग्रेडिंग दी गई थी ने खेल वर्ग की कटऑफ के मुकाबले 198.5 अंक प्राप्त किए जबकि खेल वर्ग में 132.5 अंक थे। उन्होंने कहा कि जसइंदर को जनरल वर्ग में माना गया जबकि उन्होंने खेल कोटा के तहत आवेदन किया था। भगवंत मान ने कहा कि निराश जसइंदर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात की जिनके ओएसडी एमपी सिंह ने उन्हें पूरा मामला पढक़र सुनाया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कैप्टन ने संबंधित अधिकारियों को इस मामले को देखने और मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष रखने को कहा था ।भगवंत मान ने कहा कि इससे पहले कैप्टन को पद से हटाकर चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। भगवंत मान ने कहा कि चन्नी के पदभार ग्रहण करने के बाद से ही नौकरी के बदले पैसों का गंदा खेल शुरू हो गया।

मुख्यमंत्री ने संकल्प लिया कि वह अपने कार्यकाल में किसी भी प्रकार के माफिया को पनपने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि जनता और प्रदेश का धन लूटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। भगवंत मान ने प्रदेश की जनता को आश्वासन दिया कि भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को उनके अपराधों के लिए जबावदेह बनाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जसइंदर, जो वर्तमान में किंग्स इलेवन क्रिकेट टीम के लिए खेल रहे है, ने हाल ही में धर्मशाला के दौरे के दौरान उन्हें अपनी सारी दुख भरी कहानी सुनाई, जिसके बाद उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को बेनकाब करने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि एक तरफ उनकी सरकार ने राज्य में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की पहल की लेकिन दूसरी तरफ चन्नी जैसे लोगों ने खेल को बर्बाद कर दिया है। भगवंत मान ने कहा कि राज्य में खेलों को बढ़ावा देने के लिए उनकी सरकार ने ‘खेडां वतन पंजाब दीया’ का आयोजन किया था और उभरते खिलाडिय़ों के लिए नकद पुरस्कार सहित अन्य कदम उठाए गए थे।

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