CHANDIGARH, 29 MAY: चण्डीगढ़ के पूर्व सांसद एवं भारत सरकार के अपर महासालिसिटर सत्यपाल जैन ने कहा कि संसद एवं विधानसभाओं में कानून ऐसे बनने चाहिये जो स्पष्ट हों, सभी की समझ में आ सकें तथा न्यायालयों में उसकी व्याख्या करने की आवश्यकता न पड़े तथा उन कानूनों का सही से पालन हो सके।
जैन नई दिल्ली में संसद भवन की लाइब्रेरी के लैक्चरर हॉल में कानून लिखने वाले अधिकारियों की 11 दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतिम दिन समापन समारोह को मुख्य अतिथि के नाते सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में विभिन्न मंत्रालयों, लोकसभा एवं राज्यसभा के विभिन्न अधिकारियों तथा अन्य महत्वपूर्ण संस्थाओं के अधिकारियों ने भाग लिया। इसका उदघाटन केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया था।
जैन ने कहा कि किसी कानून की ड्राफ्टिंग से पहले ड्राफ्ट करने वाले अधिकारियों को ये समझना चाहिये कि कानून बनने का मकसद क्या है तथा जो उसका मकसद है और जो भी उस सम्बंध में कानून में कहना चाहते हैं, वह पूर्णतया स्पष्ट रूप में उस कानून में आना चाहिये। उन्होंने कहा कि कई बार कानून बनाने में छोटी सी गलती, उस विषय के अर्थ को ही अनर्थ कर देती है। जैन ने कहा कि भारत के संविधान में धारा 164 का संसोधन करके ये तय किया गया था कि मंत्रियों की संख्या संसद एवं विधानसभाओं के सदस्यों की संख्या के 15 प्रतिषत से अधिक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इसमें छोटे राज्यों के लिये प्रस्ताव था कि उनकी मंत्रियों की संख्या 12 तक हो सकती है परन्तु संशोधन ड्राफ्ट करने वाले अधिकारियों से गलती हो गई तथा ‘मंत्रियों की संख्या 12 तक’लिखने के बजाये ‘मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी’लिख दिया, जो गलती आज भी संविधान में है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिये।