कीरतपुर साहिब-नंगल-ऊना टोल बंद होने से रोजाना 10.12 लाख रुपए की वसूली हुई बंद
CHANDIGARH, 1 APRIL: टोल प्लाजा पर आम लोगों की लूट रोकने के लिए राज्य सरकार की जन हितैषी पहलकदमी जारी रखते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को राज्य का आठवां टोल प्लाजा बंद करवा दिया, जिससे आम लोगों की रोजाना 10.12 लाख रुपए की बचत होगी।
कीरतपुर साहिब-रूपनगर रोड पर स्थित टोल प्लाजा बंद करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि यह टोल प्लाज़ा वाले पिछली सरकारों की मिलीभगत के साथ लोगों की नाजायज लूट कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमने भ्रष्टाचार मुक्त पंजाब, नौजवानों के लिए रोज़गार, मुफ़्त बिजली, स्कूलों-कालेजों की कायाकल्प समेत अन्य गारंटियां दीं थीं। भगवंत मान ने कहा कि कई अन्य ऐसे काम किये जा रहे हैं, जो गारंटी का हिस्सा नहीं थे परन्तु यह राज्य सरकार का फर्ज है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन टोल प्लाज़ों पर आम लोगों की लूट को रोकना इस मुहिम का ही एक हिस्सा है। भगवंत मान ने कहा कि उन्होंने लोक सभा में यह मुद्दे उठाए थे और अब जब उनको लोगों की सेवा करने का मौका मिला है तो वह यह टोल नाके बंद करवा रहे हैं। भगवंत मान ने कहा कि इन सड़कों को लोक निर्माण विभाग की तरफ से अपने कब्ज़े में लिया जायेगा और इन सड़कों की समय पर मुरम्मत और मज़बूती को यकीनी बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ‘किराये पर सड़कों’ का दौर ख़त्म हो गया है और यह आम आदमी के लिए बड़ी राहत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अकालियों ने टोल प्लाज़ा कंपनियों के साथ मिलीभुगत करके सभी बुरे कामों को अनदेखा करके उनको बड़ा फ़ायदा पहुँचाया है। भगवंत मान ने कहा कि जब आम आदमी पार्टी को सत्ता मिली है तो जनता के पैसे की इस शरेआम लूट को रोका गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस टोल प्लाज़ा का समझौता कैप्टन सरकार के समय पर 10 अक्तूबर, 2006 को हुआ था और 16.50 सालों के लिए टोल लगाया गया था। उन्होंने कहा कि यह टोल अकाली-भाजपा सरकार के दौरान 20 नवंबर 2007 को चालू हो गया था और समझौते अनुसार पहली मुरम्मत का काम 19 नवंबर, 2013 को किया जाना था। भगवंत मान ने कहा कि समकालीन अकाली सरकार ने राज्य और यहाँ के लोगों के हितों को नजरअन्दाज किया, जिस कारण निर्धारित तारीख़ से एक साल बाद 1 नवंबर, 2014 को प्रीमिकस डालने का काम किया गया था परन्तु हैरानी की बात है कि कंपनी के खि़लाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की गई।
इसी तरह मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरा मुरम्मत कार्य 19 नवंबर, 2017 को किया जाना था परन्तु यह निर्धारित समय की बजाय 1093 दिनों की देरी के साथ 16 नवंबर, 2020 को किया गया। उन्होंने कहा कि इस देरी के साथ जुर्माना लगाने की कार्यवाही की जा सकती थी और इससे एजेंसी के साथ समझौता ख़त्म हो सकता था परन्तु किसी ने भी इसके विरुद्ध कार्यवाही करने की कोशिश नहीं की। भगवंत मान ने कहा कि इस लापरवाही के कारण आज कंपनी की तरफ राज्य का 67 करोड़ रुपए बकाया है परन्तु पिछली सरकारें इसकी वसूली करने की बजाय कंपनी का पक्ष लेती रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कंपनी किसान आंदोलन और कोविड महामारी के बहाने 582 दिनों का समय बढ़ाने की माँग कर रही थी परन्तु उनकी सरकार ने इससे इन्कार कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह काम पहले ही हो जाना चाहिए था परन्तु पिछली सरकारों के किसी भी नेता ने लोगों के हितों की रक्षा करने की कोशिश नहीं की, बल्कि उन्होंने इस कंपनी के हकों की रक्षा के लिए काम किया। भगवंत मान ने कहा कि पंजाब को श्री आनन्दपुर साहिब, नैना देवी जी आदि धार्मिक स्थानों के साथ जोड़ने वाली इस सड़क से निकलने के लिए आम आदमी रोज़माना के 10.12 लाख रुपए ख़र्च करते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पैसा कंपनी से वसूल करके इन सड़कों की मुरम्मत और मज़बूती पर लगाया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जनता की इस शरेआम लूट में जिन नेताओं और अधिकारियों का हाथ है, उनको भी किसी कीमत पर बख़्शा नहीं जायेगा। भगवंत मान ने स्पष्ट कहा कि लोगों से लूटा गया एक-एक पैसा इनसे हर तरीके से वसूल किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष राज्य के लोग उनको ई. वी. एम. का बटन दबा कर सत्ता में लाया थे और अब सत्ता संभालने के एक साल के अंदर-अंदर ही वह हर रोज़ चार पाँच बटन दबा कर राज्य के लोगों को नये प्रोजैकट समर्पित करते हैं। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब पंजाब सरकार के सहृदय यत्नों स्वरूप पंजाब देश के अग्रणी राज्य के तौर पर उभरेगा।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर यह भी ऐलान किया कि केंद्र सरकार की तरफ बकाया ग्रामीण विकास फंडों (आर. डी. एफ) का बनता हिस्सा लेने के लिए राज्य सरकार कानूनी हल का रास्ता अपनाने के लिए संभावनाएं तलाश रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिना वजह पंजाब राज्य का ग्रामीण विकास फंड का 30 हज़ार करोड़ रुपए रोक कर राज्य के लोगों को परेशान कर रही है। भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से ग्रामीण विकास फंड सम्बन्धी सभी ज़रूरी कार्यवाहियां मुकम्मल कर दीं गई हैं, फिर भी केंद्र सरकार यह फंड जारी करने में रुकावट डाल रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश और ओलावृष्टि के कारण भारी नुकसान बर्दाश्त करने वाले किसानों की मुश्किलें घटाने के लिए राज्य सरकार ने किसानों को फसलों के हुए नुकसान के मुआवज़े में 25 प्रतिशत विस्तार किया है। उन्होंने कहा कि यदि 75 प्रतिशत से अधिक नुकसान होता है तो राज्य सरकार किसानों को 15,000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवज़ा देगी और यदि 33 से 75 प्रतिशत तक नुकसान होता है तो किसानों को 6750 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब के साथ मुआवज़ा दिया जायेगा। भगवंत मान ने कहा कि मज़दूरों को 10 प्रतिशत मुआवज़ा दिया जायेगा जिससे उनको जीवन बसर करने में कोई मुश्किल पेश न आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश के कारण घर के पूरे नुकसान के लिए 95100 रुपए मुआवज़े के तौर पर दिए जाएंगे, जबकि घरों के मामूली नुकसान के लिए 5200 रुपए दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को यह यकीनी बनाने के लिए कहा है कि लोगों के नुकसान का पता लगाने के लिए विशेष गिरदावरी निर्धारित समय के अंदर मुकम्मल की जाये। उन्होंने कहा कि एक-एक पैसे के नुकसान का हिसाब रखा जायेगा जिससे प्रभावित पक्ष को मुआवज़ा दिया जा सके। भगवंत मान ने कहा कि ज़मीन का मुआवज़ा सिर्फ़ काश्तकार किसानों को ही मिलेगा जिससे उनको किसी संकट का सामना न करना पड़े।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुआवज़े के वितरण से पहले सार्वजनिक घोषणाएं की जाएंगी जिससे सभी लोगों को इस संबंधी जागरूक किया जा सके। इसी तरह उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने किसान हितैषी एक बड़ी पहलकदमी करते हुये प्राइमरी कृषि सहकारी सभाओं से किसानों की तरफ से लिए कर्ज़े की पुनः अदायगी रोकने का फ़ैसला किया है। भगवंत मान ने उम्मीद ज़ाहिर की कि इससे किसानों को इस संकट की घड़ी में अपेक्षित राहत मिलेगी और किसान इस बेमौसमी बारिश के कारण हुए नुकसान से उभरने के बाद में यह रकम वापस कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के एक-एक दाने की निर्विघ्न खरीद यकीनी बनाने के लिए वचनबद्ध है।
उन्होंने कहा कि गेहूँ की खरीद के लिए पुख़्ता प्रबंध किये जाएंगे जिससे किसानों को किसी किस्म की दिक्कत का सामना न करना पड़े।