पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा- बार-बार मौसम की मार व सरकारी अनदेखी झेल रहे हैं किसान
गिरदावरी में खराबे के मुकाबले बहुत कम नुकसान दिखा रही है सरकार
CHANDIGARH, 31 MARCH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गेहूं किसानों के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग की है। हुड्डा का कहना है कि लगातार बेमौसमी बारिश के चलते खेत में तैयार खड़ी फसलों को नुकसान हो रहा है। बीजेपी-जेजेपी सरकार की तरफ से ऐलान के बावजूद ना सही तरीके से गिरदावरी होती और ना ही किसानों को मुआवजा दिया जाता। प्रदेशभर से किसानों की शिकायतें आ रही हैं कि सरकार गिरदावरी में असल खराबे के मुकाबले बहुत कम नुकसान दिखा रही है। कई जगह फसलों में 60 से लेकर 80 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है, जबकि गिरदावरी में इसे मात्र 20-25 प्रतिशत ही दिखाया जा रहा है।
किसानों को ताजा नुकसान की जानकारी अपलोड करने में भी दिक्कत पेश आ रही है। क्योंकि कई जगह ना पोर्टल चल रहा है और ना टोल फ्री नंबर काम कर रहा है। एक तरफ मौसम तो दूसरी तरफ सरकारी अनदेखी किसानों के लिए घातक साबित हो रही है। ऐसे में मुआवजे के साथ बोनस देकर कुछ हद तक सरकार किसानों के नुकसान की भरपाई कर सकती है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पिछले दिनों सरसों और उसके बाद अब गेहूं में हुए खराबे के लिए किसान मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। अब तक प्रदेश के लगभग 5000 गांवों के एक लाख से ज्यादा किसानों ने 6 लाख एकड़ से ज्यादा फसल में नुकसान की शिकायत की है। लेकिन पोर्टल के भरोसे बैठी सरकार की स्थिति यह है कि गेहूं समेत अन्य फसलों के लिए करवाए गए 57 लाख एकड़ के पंजीकरण में से करीब 23 फ़ीसदी यानी 13 लाख एकड़ से ज्यादा रकबा मैच ही नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से किसान अपनी फसल को मंडी में नहीं बेच पाएंगे। हुड्डा ने सरकार से अपनी पंजीकरण व्यवस्था को सुधारने की नसीहत दी है।
साथ ही उन्होंने मांग की है कि लस्टर लॉस वाले गेहूं की पूरे प्रदेश में सरकारी खरीद होनी चाहिए। जबकि सरकार ने सिर्फ 5 जिलों के लिए इसकी अनुमति दी है। बेमौसमी बारिश की वजह से पूरे हरियाणा के किसानों को नुकसान हुआ है। ऐसे में लस्टर लॉस की खरीद भी पूरे हरियाणा में होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंडियों में गेंहू की आवक शुरू हो चुकी है। सरकारी खरीद शुरू होने के साथ आवक और बढ़ेगी। इसलिए सरकार को मंडियों में फसल खरीद से लेकर उसके रखरखाव, उठान, बारदाना, तिरपाल समेत तमाम व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करनी चाहिए, ताकि किसानों को कोई परेशानी ना हो।