CHANDIGARH, 17 FEB: पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप फॉर एससी स्कीम के अंतर्गत फरवरी 2019 में केंद्र की तरफ से राज्य सरकार को जारी किये गए 303.92 करोड़ रुपए के वितरण और ख़र्च में गड़बड़ी के मामले में सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से चार्जशीट किये गए अपने 4 अधिकारियों और कर्मचारियों को बरख़ास्त कर दिया गया है।
सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक संबंधी मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने जानकारी देते हुये बताया कि कुल 6 अधिकारियों के विरुद्ध इस मामले में दोष पत्र जारी किया गया था, जिनमें से विभाग के 4 अधिकारियों और कर्मचारियों को बरखास्त किया गया है और वित्त विभाग से सम्बन्धित 2 अधिकारियों सम्बन्धी फ़ैसला लेने के लिए केस वित्त विभाग को भेज दिया है।
उन्होंने बताया कि विभागीय जांच के दौरान पता लगा था कि भारत सरकार से प्राप्त हुए 303.92 करोड़ रुपए में से 55.97 करोड़ रुपए के हिसाब-किताब की गड़बड़ी है। इसकी आगे जांच करने पर यह भी पता लगा कि इसमें से 16 करोड़ रुपए के लगभग उन शैक्षिक संस्थाओं को जारी किये गए जिनकी तरफ से पहले से ही गड़बड़ी की गई थी, जबकि 39 करोड़ रुपए लगभग बेनामी कालेजों को दिए गए।
डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि विभागीय जांच के लिए श्री बी. आर. बांसल, अतिरिक्त सैशन जज( रिटा.) को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था। जांच अधिकारी की तरफ से इस मामले सम्बन्धी पड़ताल करने के उपरांत 13-6-2022 को रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें चार्जशीट किये गए 6 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया गया।
बरख़ास्त किये गए अधिकारियों में डिप्टी डायरैक्टर परमिन्दर सिंह गिल, सुपरडंट(रिटा.) राजिन्दर चौपड़ा, सीनियर सहायक राकेश अरोड़ा और बलदेव सिंह शामिल हैं। इसके इलावा वित्त विभाग से सम्बन्धित डी. सी. एफ. ए (रिटा.) चरनजीत सिंह और सैक्शन अफ़सर मुकेश भाटिया सम्बन्धी फ़ैसला लेने के लिए केस वित्त विभाग को भेजा जायेगा।
डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व अधीन पंजाब सरकार जहाँ भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख़्त कार्यवाही कर रही है, वहीं अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोगों और खासकर विद्यार्थियों की भलाई के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि विभाग की तरफ से दोषी मुलाज़िमों को बरख़ास्त करने का फ़ैसला विभागीय समीक्षा के आधार पर किया गया है, जबकि इस मामले में शामिल और व्यक्तियों को सलाखों के पीछे डालने के लिए विजीलैंस विभाग प्रयत्नशील है।