दवा और कॉस्मेटिक वैध लाइसेंस के बिना नहीं बेचे जा सकतेः हरीश गर्ग, प्रेम कौशिक, हरिशंकर मिश्रा, भीम सेन
Notice to Amazon and Flipkart CHANDIGARH, 12 FEBRUARY: कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 8 फरवरी को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया द्वारा अमेजन और फ्लिपकार्ट सहित 20 से अधिक ई-फार्मेसी को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने की सराहना की है, जिसमें जवाब देने के लिए दो दिन का समय दिया गया है। कारण बताओ नोटिस में आरोप लगाया गया है कि इन कम्पनियों द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय की तरफ से 12 दिसंबर 2018 को डॉ. जहीर अहमद बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में दिए गए आदेश की अवहेलना कर ऑनलाइन दवाइयां बेची जा रही हैं। इस मुद्दे पर कैट ने ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के साथ अतीत में ई-फार्मेसी e-pharmacy के खिलाफ पुरजोर रूप से आवाज उठाई थी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीय को जून 2022 में एक ज्ञापन देकर इनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।
कैट के चंडीगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष हरीश गर्ग, उपाध्यक्ष प्रेम कौशिक, हरिशंकर मिश्रा और महासचिव भीम सेन ने सरकार से आग्रह किया कि जो भी ई फार्मेसी कम्पनियां ड्रग एवं कॉस्मेटिक्स एक्ट का पालन नहीं कर रहीं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाये जाएं। दवा जैसी वस्तुएं, जो कि मानव जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, को कानून की पालना किए बिना बेचे जाने को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता है। ये सभी ई-फार्मेसी कम्पनियां बिना लाइसेंस के दवाएं बेच रही हैं, जो कि सीधे रूप से कानून का स्पष्ट उल्लंघन है। कैट नेताओं ने कहा कि कानून के अंतर्गत स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी दवा को बेचने, भंडारण करने, वितरण करने अथवा प्रदर्शित करने के लिए लाइसेंस लेना आवश्यक है और बिना लाइसेंस इसमें से कोई भी गतिविधि नहीं की जा सकती है।
हरीश गर्ग ने कहा कि ये कम्पनियां अपने ऑनलाइन प्लेटफार्म पर दवाओं का प्रदर्शन करती हैं। इसलिए बिना लाइसेंस दवा बेचना कानून का उल्लंघन है। ड्रग कानून के नियम 61, 64 और 65 के साथ पठित अधिनियम की धारा 18 (सी) के अंतर्गत दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री या प्रदर्शन के लिए एक वैध लाइसेंस की आवश्यकता होती है। इसलिए बिना लाइसेंस के इन ई-फार्मा प्लेटफॉर्म पर इन दवाओं की प्रदर्शनी और बिक्री की पेशकश अधिनियम और नियमों का सीधा उल्लंघन है।
हरीश गर्ग, प्रेम कौशिक, हरिशंकर मिश्रा और भीम सेन ने कहा कि इनमें से कई कम्पनियां विदेश नियंत्रित हैं और इसलिए इनको लाइसेंस नहीं मिल सकता। यदि इन विदेशी कंपनियों को लाइसेंस दिया गया तो यह मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र या इन्वेंट्री आधारित ई-कॉमर्स में मौजूदा एफडीआई नीति का उल्लंघन होगा।