राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सेवा और त्याग की मूर्ति थे: धर्मपाल छोकर
CHANDIGARH, 30 JANUARY: गांधी स्मारक निधि पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश पट्टी कल्याणा की शाखा गांधी स्मारक भवन सेक्टर 16-ए चंडीगढ़ में आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि श्रद्धापूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर निधि के कार्यकर्ताओं ने गांधी जी की प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाई और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इस अवसर पर गांधी स्मारक निधि पब्लिक स्कूल की प्रबंधक श्रीमती सुनीता शर्मा ने कहा कि गांधी एक विचार है। गांधी जी ने अपने पूरे जीवन में सादगी सत्य और अहिंसा को अपनाया था और कहा था कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है l
इस अवसर पर प्रा.चि. विकास सक्सेना ने कहा कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता एवं बापू के नाम से भी जाना जाता है। पंडित रविंद्र नाथ टैगोर ने सबसे पहले उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी। गांधी जी ने सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में वहां के भारतीय नागरिकों के अधिकार के लिए सत्याग्रह किया था और दक्षिण अफ्रीका से वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनटू दी लास्ट पढ़कर अपनी जीवन शैली में परिवर्तन कर लिया। गांधी जी सत्याग्रह का सहारा लेकर बड़े-बड़े आंदोलन करने में सफल रहे।
निधि के प्रधान कार्यालय पट्टी कल्याणा के धर्मपाल छोकर ने कहा कि गांधी सेवा और त्याग की मूर्ति थे। गांधी की सोच अंतिम व्यक्ति तक थी। आज हम सभी को उनके दिखाए रास्ते का अनुसरण करना चाहिए। इस अवसर पर रोशनलाल छोकर, विपिन कुमार, धनराज, सोनू, सुनील, सुखीराम, रंजीत , गोविंद व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे l