27, JAN: पीएम मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में ‘परीक्षा पे चर्चा’ में छात्रों और उनके माता-पिता से बातचीत की। इस दौरान पीएम मोदी ने छात्रों को परीक्षा का तनाव दूर करने के लिए कुछ जरूरी टिप्स भी दिए। आइए विस्तार से जानते हैं इनके बारे में…
छात्रों के लिए PM के टिप्स…
- सोशल मीडिया के प्रभाव से बचने के लिए पीएम मोदी ने कहा, ”सबसे पहले निर्णय ये करना है कि आप स्मार्ट हैं कि गैजेट स्मार्ट है। कभी-कभी तो ये लगता है कि आप अपने आप से भी ज्यादा गैजेट को ज्यादा स्मार्ट मान लेते हैं। गलती वहीं से शुरू हो जाती है। आप विश्वास करीए परमात्मा ने आपको बहुत शक्ति दी है। आप समार्ट हैं, गैजेट आपसे स्मार्ट नहीं हो सकता है। आपकी जितनी स्मार्टनेस ज्यादा होगी, उतना गैजेट का सही उपयोग आप कर पाएंगे। वो एक इंस्ट्रुमेंट है जो आपकी गति में नई तेजी लाता है। ये हमारी सोच बनी रही तो मैं समझता हूं कि शायद आप उससे छुटकारा पाएंगे। भारत में एवरेज लोग 6 घंटे स्कीन पर टाइम बिताते हैं। गैजेट्स का गुलाम बनने से बचें, अपनी स्वतंत्रता को पहचानें। गैजेट्स की उपयोगिता और आवश्यकता को समझें।
- ‘कुछ पाने के लिए शॉर्टकट रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। कुछ बच्चे परीक्षा में चीटिंग करने पर अधिक ध्यान देते हैं। ऐसे बच्चे अगर अपना ध्यान सृजनात्मकत और सकारात्मक क्षेत्र में लगाएं तो बेहतर परिणाम मिलेंगे।’
- नियत समय पर कार्य को नहीं करने से कार्यों का ढेर लग जाता है। काम से कभी थकान नहीं होती, संतोष मिलता है। नोट करें कि किस काम को किस समय पर करना है।
- ध्यान और लगन के साथ परीक्षा दें। यह उसी प्रकार है जैसे एक क्रिकेट खिलाड़ी केवल अपने खेल पर ध्यान देता है न कि आसपास के शोर-शराबे पर। खिलाड़ी दर्शकों के दबाव में नहीं खेलता है।
- एक मां पर कई तरह के काम का दबाव होता है। वह उसे कैसे मैनेज करती है इसको ध्यान से देखना चाहिए। मां का समय प्रबंधन बहुत ही अच्छा होता है। मां को मालूम होता है कि कार्य को कैसे सम्पादित करना है। मां की गतिविधि को अनुसरण करने से समय प्रबंधन का ज्ञान होता है।
- बच्चों को अपनी क्षमताओं को कम कर नहीं आंकना चाहिए। अपने सामर्थ्य को जानने वाले सामर्थ्यवान बनते हैं। सभी के पास ईश्वर ने अभूतपूर्व क्षमताएं दी हैं।
- कागज पर अपने कार्य का विश्लेषण करें। मेहनती बच्चों को नकल करने वालों से परेशानी होती है। ट्यूशन पढ़ाने वाले कुछ शिक्षक छात्रों को नकल करने के लिए गाइड करते हैं। रचनात्मकता को सही दिशा में लगाएं।
- जिंदगी में डगर-डगर पर आपको परीक्षा देनी पड़ती है। नकल से जिंदगी नहीं बन सकती है। परीक्षाएं तो आती-जाती हैं, हमें जिंदगी जीनी है। अब चीजें काफी बदल गई हैं। कुछ लोग स्मार्टली हार्ड वर्क करते हैं। पहले काम को बारीकी से समझिए। अधिकतर लोग अति सामान्य होकर स्वयं को ज्ञानी समझते हैं। ज्ञान का प्रवाह बांटने वाले हर गली-मुहल्ले में मौजूद हैं। असाधारण लोग बहुत कम होते हैं। सफल लोग किसी समय सामान्य हुआ करते थे।
- हमें अपना ध्यान नहीं छोड़ना चाहिए। आलोचना के लिए भूत-वर्तमान सब देखना पड़ता है। आरोप और आलोचना के बीच बहुत बड़ी खाई है। समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धियज्ञ है। आलोचना समृद्ध लोकतंत्र की पूर्व शर्त है। पसंद वाले की आलोचना को सकारात्मक लेते हैं। आदतन आलोचना करने वालों को टाल दीजिए। आज मां-बाप आलोचना नहीं टोका-टोकी करते हैं। टोका-टोकी आलोचना नहीं है। आलोचना से हम समृद्ध होते हैं, आलोचना बहुत मूल्यवान होती है। मेहनती लोग आरोपों की परवाह नहीं करते।
- हर बच्चे में कोई न कोई अद्भुत क्षमता होती है। अपनी क्षमता को खोए बिना अपनी क्षमता को बढ़ाना है। कृत्रिम बुद्धिमता आपकी रचनात्मकता को प्रभावित करता है। टेक्नोलॉजी का फास्टिंग करना सीखें। हमें अपना फोकस छोड़ना नहीं चाहिए। परिवार भी डिजिटल दुनिया में फंस जा रहे हैं। नो टेक्नोलॉजी जोन घर में बनाएं। तकनीक का गुलाम बनने से बचें। बहुमुखी होना जरूरी होता है।
इसके अलाव पीएम मोदी ने अभिभावकों व शिक्षकों के लिए भी कुछ जरूरी टिप्स दिए हैं। आइए अब इनके बारे में जानते हैं।
अभिभावकों के लिए पीएम के टिप्स…
- बच्चों को बंधनों में न बांधे, नए अवसरों से उन्हें अवगत कराएं।
- अपने बच्चों से उनकी क्षमता के अनुरूप ही अपेक्षाएं रखें।
- मां-बाप को बच्चों का सही मूल्यांकन करना चाहिए।
- माता-पिता टोका-टोकी की सोच से बाहन निकलें।
- नो टेक्नोलॉजी जोन घर में बनाएं।
शिक्षकों के लिए पीएम के टिप्स…
- विद्यार्थियों के साथ अपनापन बनाएं शिक्षक
- आज भी विद्यार्थी शिक्षक की कही हुई बात को मूल्यवान समझता है।
- डंडा लेकर अनुशासन वाले रास्ते से बचना चाहिए।