हरियाणा की नई पंचायतों को पहले की तरह मिलते रहेंगे अधिकार: मुख्यमंत्री

2 लाख तक के काम पंचायत कोटेशन आधार पर अपने स्तर पर करवा सकेंगी: मनोहर लाल

जलभराव के कारण बुआई न होने पर दी जाने वाली मुआवजे की राशि 6 हजार से बढ़ाकार 7500 रुपए प्रति एकड़ की

CHANDIGARH, 28: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि नई पंचायतों के अधिकारों को बढ़ाने के लिए नयी व्यवस्था बनाई गई है। पंचायती राज संस्थाओं को जो भी ग्रांट-इन-एड दी जाती है, उसे खर्च करने का अधिकारी इन्हीं संस्थाओं का है, क्योंकि ये स्वायत संस्थान हैं। उन्होंने कहा कि पंचायत, ब्लॉक समिति, जिला परिषद, नगर पालिका, नगर परिषद व नगर निगम को भी और अधिक स्वायतता दी जाएगी। अब सरपंच 2 लाख तक के कार्य कोटेशन आधार पर अपने स्तर पर करवा सकेंगे। 2 लाख से अधिक के कार्याें के लिए हरियाणा इंजीनियरिंग वर्क्स पोर्टल पर टेंडर के माध्यम से होंगे। अब नई व्यवस्था के तहत उपमंडल स्तर पर 2 लाख से 25 लाख तक के कार्य एसडीओ ही अप्रूव कर सकेगा और सरपंच, ब्लॉक समिति व जिला परिषद के चेयरमैन इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति दे सकेगा। पहले कार्याें की अप्रूवल की फाइलें मुख्यालय स्तर तक आती थी, अब स्थानीय स्तर पर ही सब अप्रूवल मिलेंगी।

मुख्यमंत्री आज हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन अपना जवाब दे रहे थे। मनोहर लाल ने कहा कि इस प्रकार, 25 लाख से 1 करोड़ तक के कार्याें की तकनीकि सेंक्शन एक्शईएन करेगा और अप्रूवल सीईओ, जिला परिषद देगा। 1 करोड़ से 2.5 करोड़ रुपये तक के कार्यों की तकनीकि सेंक्शन अधिक्षक अभियंता करेगा और अप्रूवल निदेशक, पंचायत देगा। 2.5 करोड़ रुपये से अधिक के कार्य की तकनीकि सेंक्शन ईआईसी या चीफ इंजीनियर करेगा और अप्रूवल प्रशासनिक सचिव करेंगे।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पंचायती राज संस्थानों को राज्य वित्तीय आयोग तथा केंद्रीय वित्तीय आयोग से प्राप्त बजट यदि कम पड़ता है तो ग्रामीण विकास विभाग तथा एचआरडीएफ या राज्य सरकार के अन्य रिजर्व फंड से मांग आधारित फंड उपलब्ध करवाया जाएगा। इन निधि से जो कार्य किए जाएंगे, उनमें 25 लाख तक के कार्य की स्वीकृति निदेशक, पंचायत देगा। 25 लाख से अधिक के कार्य ग्रामीण विकास विभाग करवाएगा। अप्रूवल या सेंक्शन सब राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी। 5 से 10 करोड़ रुपये तक के कार्य संबंधित मंत्री द्वारा तथा 10 करोड़ से अधिक के कार्य मुख्यमंत्री के पास आएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में आईटी के बिना कोई काम संभव नहीं है। हम हर कार्य के लिए पोर्टल बना रहे हैं, ताकि कार्य में पारदर्शिता रहे। पहले सरकार सरक-सरक चलती थी, लेकिन आज आईटी के युग में हमने मल्टीपल स्पीड बढ़ाई है और हरियाणा के बारे में यह कहा जाता है कि हमने इतने काम किये कि हरियाणा का डंका बज रहा है।

उन्होंने कहा कि हमने सोशल ऑडिट का सिस्टम भी शुरू किया है। जनता की भागीदारी रहती है तो कार्य में पारदर्शिता भी आती है और गुणवत्ता भी सुनिश्चित होती है।मुख्यमंत्री ने निजी स्कूलों की मान्यता के बारे में स्पष्ट करते हुए कहा कि नियमावली 2003 के अनुसार एक-एक साल के लिए मान्यता दी जाती रही है। इस प्रथा को चलते हुए 19 वर्ष हो गए हैं। हमने 2016 में ऐसे स्कूलों की स्थाई मान्यता देने की बात उठाई थी। लेकिन हमने पिछले वर्ष कहा था कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 में ऐसे स्कूल अपने यहां बच्चों का दाखिला न करें, लेकिन 1380 ऐसे स्कूलों में फिर भी दाखिले किये। अब विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए सरकार कोई रास्ता निकालेगी कि इन्हें परीक्षा देने का मौका मिले।

उन्होंने ऐसे निजी स्कूलों को सख्त निर्देश दिये हैं कि वे अपने यहां शैक्षणिक सत्र 2023-24 में किसी भी बच्चे का दाखिला न दें। केवल मानदंड पूरा करने वाले स्कूलों को ही मान्यता दी जाएगी। मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि आउटस्टेंडिंग स्पोर्टस पर्सन तथा एलिजिबल स्पोर्टस पर्सन को 3 प्रतिशत खेल कोटे के तहत 4 विभागों में नौकरियां दी जाएंगी। यह 3 प्रतिशत सभी विभागों की कुल रिक्तियों का होगा।

जलभराव के कारण बुआई न होने पर दी जाने वाली मुआवजे की राशि 6 हजार से बढ़ाकार 7500 प्रति एकड़ की 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जलभराव के कारण जिस जमीन पर फसल की बुआई नहीं हो पाई, उन किसानों को मुआवजे के रूप में दी जाने वाली 6 हजार रुपये प्रति एकड़ की राशि को बढ़ाकार 7500 प्रति एकड़ किया है। लेकिन जो किसान ईंट भट्टा लगाने तथा किसी निर्माण कार्यों के लिए वाणिज्य लाभ हेतू अपने खेत की मिट्टी का उठान करवाते हैं और जलभराव होता है तो उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे किसानों को मत्स्य पालन की ओर बढ़ना चाहिए।

उन्होंने कहा कि तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए तालाब प्राधिकरण बनाया है। अब तक 1762 तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य आरंभ हुआ है। 663 का कार्य पूरा भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि जो आशा वर्कर्स पंचायतों में चुन कर आई हैं, उनके इस्तीफे का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि यदि गरीब परिवार के बच्चे की निजी स्कूल में पढ़ने की ईच्छा है तो सरकार 1.80 लाख रुपये वार्षिक आय वाले ऐसे परिवारों के बच्चों की फीस वहन कर रही है। इसके लिए अलग से योजना बनाई है। बशर्ते कि स्कूल विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए सहमत हों। अब तक 381 निजी स्कूलों में दूसरी से 12वीं तक 1881 बच्चों को दाखिला दिया है। सरकार ने तय फीस के अनुसार अब तक 15,64,995 रुपये की फीस की प्रतिपूर्ति कर दी है।

मनोहर लाल ने कहा कि पंजाबी राज्य की दूसरी भाषा है। पंजाबी टीचर के लिए 1203  पद सृजित हैं, 946 पद भरे हुए हैं, 256 को भरने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि गेस्ट टीचरों को कोर्ट के आदेशानुसार ट्रांसफर ड्राइव में पहले रेगुलर टीचरों की शामिल किया जाता है। उसके बाद जहां रिक्ती बचती है, वहां गेस्ट टीचरों को एडजस्ट किया जाता है। 650 गेस्ट टीचर ऐसे हैं, जिन्हें दूर का स्टेशन मिला है।उन्होंने कहा कि विधायक द्वारा पंडित भगवत दयाल शर्मा के नाम से बेरी में कन्या महाविद्यालय खोलने की मांग बार-बार उठाई जाती है, परंतु उस समय की सरकार के दौरान झज्जर जिला में ज्यादा कॉलेज खोले गए। उन्होंने विधायक से कहा कि पंडित भगवत दयाल शर्मा के नाम से कोई ओर शिक्षण संस्थान का नाम रखने का सुझाव दें।

उन्होंने कहा कि 4700 मेगावाट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र फतेहाबाद जिले के गांव गोरखपुर में भारत सरकार के उपक्रम न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एन.पी.सी.आई.एल.) द्वारा स्थापित किया जा रहा है। एन.पी.सी.आई.एल. द्वारा इस परियोजना की स्थापना के लिए लगभग 1503 एकड़ भूमि के अधिग्रहण किया था। चूंकि, एन.पी.सी.आई.एल. पर आर एंड आर पॉलिसी 2010 लागू होती है, तदनुसार एन.पी.सी.आई.एल. द्वारा इस नीति के अनुसार भूमि विस्थापितों को सभी लाभ प्रदान किए गए। लेकिन भू-स्वामी कोर्ट में चले गए और अब कोर्ट ने एन.पी.सी.आई.एल. को पार्टी बनाया हुआ है। 6 माह में इसका कोई हल निकाल लिया जाएगा।

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