CHANDIGARH, 18 NOVEMBER: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संस्कृत विद्वानों और साहित्यकारों की सम्मान राशि में बढ़ोत्तरी करने की घोषणा की है।
हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ.दिनेश शास्त्री ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि सम्मान राशि के अलावा सम्मान की नियमावली में भी फेरबदल किया गया है। सर्वोच्च सम्मान संस्कृत साहित्यालंकार और हरियाणा गौरव के लिए अब आयु सीमा का बंधन हटा दिया गया है। छात्रवृति, अनुदान और वित्तीय सहायता योजना की राशि में भी कई गुना बढ़ोतरी की गई है।
साहित्यालंकार सम्मान में 7 लाख रुपये तो संस्कृत गौरव को मिलेंगे 5 लाख रुपये
डॉ.शास्त्री ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के सम्मान ‘संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान’ में 2 लाख रुपये की राशि को बढ़ा कर 7 लाख रुपये कर दी है। इसी तरह ‘हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान’ की पुरस्कार राशि दो लाख रुपये से बढ़ा कर 5 लाख रुपये कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मीकि और महर्षि वेदव्यास सम्मान की राशि डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दी गई है। महर्षि विश्वामित्र सम्मान में डेढ़ लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये, आचार्य स्थाणुदत्त सम्मान में अब डेढ़ लाख के स्थान पर दो लाख रुपऐ मिलेंगे। इसी क्रम में महाकवि बाणभट्ट सम्मान में एक लाख से बढक़र ढाई लाख रुपये मिलेंगे। साहित्यकार सम्मान राशि पहले 11 लाख थी जो अब बढक़र 25 लाख हो गई है।
डॉ.दिनेश शास्त्री ने बताया कि आचार्य सम्मान में भी पुरस्कार राशि चार लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दी गई है। इसी प्रकार, अब गुरु विरजानंद आचार्य सम्मान, विद्यामार्तंण्ड पं.सीताराम शास्त्री आचार्य सम्मान, पं.युधिष्ठिर मीमांसक आचार्य सम्मान में अब एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे। स्वामी धर्मदेव संस्कृत समाराधक सम्मान के लिए भी अब एक लाख रुपये की राशि को बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है।
पुस्तक पुरस्कार में अब मिलेंगे 51 हजार
डॉ. शास्त्री ने बताया कि संस्कृत की नवलेखन प्रतिभाओं के लिए पुस्तक पुरस्कार राशि को भी 31,000 रुपये से बढ़ाकर 51,000 रुपये कर दिया है। इससे साहित्य लेखन में प्रतिभाएं और उत्साहपूर्वक कार्य करेंगी। पांडुलिपि प्रकाशनार्थ सहायतानुदान के मानदेय की राशि 10,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये कर दी गई है। लघु संस्कृत कथा लेखन, नाटक लेखन प्रतियोगिता में प्रथम को अब 10,000 रुपये द्वितीय को 8,000 रुपये तथा तृतीय को 5,000 रुपये का पुरस्कार मिलेगा। सांत्वना पुरस्कार भी 3,000 रुपये से 6,000 रुपये किये गये हैं।
डॉ. शास्त्री ने बताया कि संस्कृत पढऩे वाले छात्रों को भी सरकार ने विशेष तोहफा दिया है। इसके तहत प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, विशारद, प्राक् शास्त्री और शास्त्री कक्ष में अध्ययन करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति राशि अब 3,000 रुपये की जगह 8,000 रुपये मिलेगी। इसी तरह, आचार्य कक्षाओं के छात्रों को 10,000 रुपये मिलेंगे। उन्होंने बताया कि अभावग्रस्त संस्कृत लेखकों को चिकित्सा खर्च में एक वर्ष में 3,000 रुपये की जगह 50,000 रुपये की सहायता मिल सकेगी। इसी तरह लेखक को वित्त वर्ष में मिलने वाली वित्तीय अनुदान राशि को भी बढ़ाकर 6,000 रुपये से सीधे 21,000 रुपये कर दिया गया है।