देश-प्रदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं ने सूर्य ग्रहण के महत्व को लेकर सांझा किए अपने अनुभव
CHANDIGARH, 25 OCTOBER: आदिकाल से ही कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के अवसर पर स्नान करने की परम्परा रही है। मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के समय ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि सूर्य ग्रहण के दौरान कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य फल प्राप्त होता है जितना की अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है। शास्त्रों के अनुसार भी सूर्य ग्रहण के समय ब्रह्मसरोवर में स्नान करने का एक विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य ग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर में स्नान करने के लिये देश के दूरदराज के क्षेत्रों से भी लोग पहुंचे हैं।
हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के चौपाल से आये रिटायर्ड शास्त्री हरिराम शर्मा ने बताया कि वे अपने साथी ज्ञान सिंह रचायिक के साथ यहां आये हैं। उन्होंने कुरुक्षेत्र के महत्व के बारे में ग्रंथों में पढ़ा है और वे यहंा पर पहली बार सूर्यग्रहण के अवसर पर स्नान करने पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि यहां उन्होंने श्रीमद भगवद गीता के 18वें अध्याय का पाठ किया है और यहां की व्यवस्था को देखकर वे काफी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने सरकार व प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के लिये किये गये प्रबंधों की सराहना करते हुए कहा कि यहां उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई है।
राजस्थान के जिला नागौर के गांव कालड़ी से आये पूर्व सरपंच धर्मा राम ने बताया कि वे 27 लोगों के जत्थे के साथ यहां आये हैं, जिसमें महिलाएं व पुरुष शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में यहां लगे सूर्यग्रहण के अवसर पर वे यहां स्नान करने आये थे। उन्होंने कहा कि पौराणिक साहित्य के अनुसार कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के अवसर पर स्नान करने का विशेष फल मिलता है।
सूर्य ग्रहण मेले में आए 72 वर्षीय गोकुल राम ने बताया कि भागवत पुराण के अनुसार एक बार सूर्य ग्रहण के अवसर पर श्रीकृष्ण, बलराम द्वारका से प्रजाजनों के साथ आये थे। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर में स्नान करने से फल की प्राप्ति होती है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए वे यहां अपने गांव के लोगों के साथ आये हैं। कुछ ऐसा ही कहना इनके साथ आई बुजुर्ग महिला पन्ना तथा पूर्ण देवी का था। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में भी बताया गया है कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के पवित्र सरोवरों में किये गये स्नान एवं श्राद्ध का विशेष फल मिलता है।
बिहार के जिला नालंदा के गांव सरमेरा से आये सुनील, गौतम कुमार तथा विजय ने बताया कि वे पहले छठ पूजा के अवसर पर ब्रह्मसरोवर में पूजा करने के लिये आये थे और वे अब सूर्य ग्रहण के अवसर पर यहां के पवित्र सरोवरों में स्नान करने के लिए आए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने यहां के ब्रह्मसरोवर में स्नान करने से मिलने वाले पुण्य के बारे में सुना है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए वे यहां पर आए हैं।
ड्डू माजरा चंडीगढ़ की मंदिर कमेटी से जुड़े श्रद्धालु महिलाएं एवं पुरुष भी यहां पर स्नान करने पंहुचे। इस जत्थे में शामिल हेमपाल, महिला रक्षा देवी, रूमा देवी, शीला तथा प्रवेश ने बताया कि वे गीता जयंती के अवसर पर भी यहां आये थे और अब वे सूर्यग्रहण के अवसर पर यहां स्नान करने पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रातरू ही यहां पंहुच गये थे और वे अपने सदस्यों के साथ ब्रह्मसरोवर के तट पर महिला मंडली के साथ भजन-कीर्तन कर रहे हैं। ऐसा चक्र चलाया रे श्याम तेरी उंगली ने… को सुनकर वहां से गुजरने वाले अन्य श्रद्धालुओं के कदम भी उनके भजन-कीर्तन को देखने व सुनने के लिये ठहर जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी से पहुंचे साधु-संत मलिखान दास, गुट्टन दास, रामपाल दास, रणधीर दास, मूलचंद दास आदि साधुओं ने बताया कि वे ब्रह्मसरोवर में स्नान करने के लिये पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा यहां पर साफ-सफाई आदि प्रबंधों की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि सूर्यग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के पवित्र सरोवरों में स्नान करने से महान पुण्य मिलता है। अनादिकाल से ही सूर्यग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के सरोवरों में स्नान करने के लिये असंख्य तीर्थ यात्री, राजा, महाराजा और साधु-संत आते रहे है।