5वें दिन सेक्टर 41-डी में निकली चंडीगढ़ कांग्रेस की तिरंगा पदयात्रा, बड़ी संख्या में जुटे लोग

यह तिरंगे का ही अभूतपूर्व प्रभाव है, जो भारत दुनिया के सामने गर्व से खड़ा है: पवन बंसल
तिरंगे की रक्षा के लिए कांग्रेसजन किसी भी बलिदान से भी पीछे नहीं हटेंगे: एचएस लक्की

CHANDIGARH, 13 AUGUST: आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में कांग्रेस द्वारा निकाली जा रही 7 दिवसीय आजादी की गौरव यात्रा की श्रंखला को जारी रखते हुए चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने आज सेक्टर 41 डी में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह लक्की की अगुआई में 5वीं तिरंगा पदयात्रा का आयोजन किया।

इस पदयात्रा का आयोजन वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह बढ़हेरी, स्थानीय काउंसलर जसबीर सिंह बंटी के अलावा ब्लाक अध्यक्ष विजय जूम, राजू पलसोरा और अतिंदर सिंह ने किया, जिसमें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल के अलावा वार्ड नंबर 30 के सैकड़ों निवासी शामिल हुए। तिरंगा पदयात्रा वार्ड नं 30 के विभिन्न इलाकों से गुजरी, जिसमें कांग्रेस कार्यकर्ताओं और सैकड़ों स्थानीय निवासियों ने भारत माता की जय के नारे लगाए।

इस मौके पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए पवन बंसल ने भारत गणराज्य की स्थापना में तिरंगे की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया कि यह भारतीय जनमानस पर तिरंगे का ही अभूतपूर्व प्रभाव है, जो भारत आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने गर्व से अपने स्थान पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि पहला अनौपचारिक राष्ट्रीय ध्वज बंगाल में 1906 में फहराया गया था। अंत में विभिन्न संस्करणों पर विचार करने के बाद महात्मा गांधी ने अंततः 1931 में तिरंगा को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में चुना, जिसमें चरखा था। इसी तिरंगे ने स्वदेशी आंदोलन को एक नया रूप और आकार दिया, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया।

बंसल ने कहा कि भारतीय तिरंगा लोगों के मन और आत्मा को प्रभावित करता है, जिससे यह बिल्कुल अलग विचार धारा और संस्कारों वाले लोगों के बीच भाईचारे, मित्रता और सौहार्द का प्रतीक बन गया है। इसी तिरंगे ने लोगों को एक झंडे के नीचे विदेशी शासकों से लड़ने के लिए प्रेरित किया। भारत के तिरंगे की ऐसी अपील थी कि स्वतंत्रता सेनानी इसकी गरिमा की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान करने के लिए हंसते हंसते तैयार हो जाते थे। इन्ही कारणों से तिरंगा हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पोषित लोकाचार और वहां से उत्पन्न मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है।

बंसल ने कहा कि आजादी मिलने के दिन से कुछ पहले 1931 के तिरंगे में केवल एक परिवर्तन किया गया, जब ध्वज के केंद्र में चरखा को 24 तीलियों वाले अशोक चक्र से बदल दिया गया था, जो महात्मा गांधी के चरखे के ही समान था। बंसल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से हमेशा तिरंगे के सम्मान और गरिमा को बनाए रखने की अपील की, क्योंकि भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारी समग्र संस्कृति और लोकाचार एवं संवैधानिक मूल्यों जैसे कि समाज के सभी वर्गों के बीच बिना किसी भेदभाव के समानता के अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है और ऐसा करके यह देश की एकता और अखण्डता की रक्षा करता है।

चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने लोगों को आश्वासन दिया कि भारतीय तिरंगा, जिसने भारत के आधुनिक पुनरुत्थानवादी गणराज्य के उदय को आकार दिया, हमेशा हर भारतीय दिल में रहेगा और कांग्रेसजन हमेशा तिरंगे की रक्षा और इसकी गौरवमयी महिमा की रक्षा के लिए कोई भी बलिदान देने के लिए भी तैयार रहेंगे। पदयात्रा के दौरान अन्यों के अलावा युवा कांग्रेस के मनोज लुबाना और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ के सर्वोत्तम ने भी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय तिरंगे की भूमिका को याद किया।

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