CHANDIGARH, 05 AUGUST: हरियाणा सरकार ने यूनीक डिसेब्लिटी आईडी बनवाने की अंतिम तिथि 31 अगस्त से बढाकर 31 दिसंबर 2022 तक कर दी है। जिन दिव्यांगजनों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र तीन साल पुराना है, उनके लिए नया प्रमाण पत्र बनवाना और यूनीक डिसेब्लिटी आईडी (यूडीआईडी) कार्ड बनवाना अनिवार्य किया गया है।
इस संबंध में जानकारी हरियाणा के दिव्यांगजन के लिए नियुक्त आयुक्त राज कुमार मक्कड़ ने गुरूग्राम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी। वे शुक्रवार को गुरूग्राम के सेक्टर-46 स्थित विश्वास एनजीओ द्वारा दिव्यांगजन के लिए चलाए जा रहे विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने आए थे। उन्होंने इस परिसर में दिव्यांगजनों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी और दिव्यांगजनों के अभिभावकों की समस्याएं सुनकर उनका मौके पर निराकरण किया। जो समस्याएं मौके पर हल नहीं हो सकती थी उन्हंे श्री मक्कड़ नोट करके ले गए और जल्द ही उनका समाधान करवाने का आश्वासन दिया। वहीं पर उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
इस मौके पर मीडिया प्रतिनिधियों के सवालों का जवाब देते हुए मक्कड़ ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में जिन दिव्यांगजन के दिव्यांगता प्रमाण पत्र तीन साल पुराने हैं, उन्हें नया प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कहा गया था। साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए यूडीआईडी कार्ड भी 31 अगस्त 2022 तक बनवाना अनिवार्य किया गया था। उन्हांेने बताया कि प्रदेश में 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले 3 लाख 39 हजार 100 दिव्यांगजन हैं, जिनके यूडीआईडी कार्ड बनाए जाने थे। इनमें से अब तक लगभग 30 प्रतिशत दिव्यांगजन के ही यूडीआईडी कार्ड बन पाए हैं, जिसे देखते हुए हरियाणा सरकार ने अंतिम तिथि को 31 अगस्त से बढाकर इस वर्ष 31 दिसंबर तक कर दिया है। इस अंतिम तिथि के बाद जिस दिव्यांजन के पास यूडीआईडी कार्ड नहीं होगा, उसे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि गुरूग्राम जिला में 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों की संख्या 25 हजार है जिनमें से अब तक 7500 के ही यूडीआईडी कार्ड बन पाए हैं। उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में दिव्यांगजन के दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने और यूडीआईडी कार्ड जारी करने के लिए अभियान चलाया हुआ है। सरकार ने यह व्यवस्था भी की है कि किसी दिव्यांगजन को अपना प्रमाण पत्र या यूडीआईडी कार्ड बनवाने के लिए 15 किलोमीटर से ज्यादा दूर ना जाना पडे़, उसके घर के नजदीक ही अस्पताल में मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है।
एक सवाल के जवाब में मक्कड़ ने कहा कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए किसी भी दिव्यांगजन को अब सीधे अस्पताल में जाने की जरूरत नहीं है। वह www.swavlambancard.gov.in पर जाकर डिसेब्लिटी सर्टिफिकेट या यूडीआईडी बनवाने के लिए आवेदन करना है। उसके बाद सिविल सर्जन कार्यालय से आवेदक को अपायंटमेंट दी जाएगी। इस व्यवस्था से दिव्यांगजन को बार-बार अस्पताल के चक्कर लगाने से छुटकारा मिला है।
एक अन्य सवाल के जवाब में मक्कड़ ने बताया कि सरकारी कार्यालयों, बोर्ड व निगम आदि में कार्यरत 35 हजार दिव्यांगजन कर्मचारियों के लिए 18 अपै्रल 2017 तक पदोन्नति में तीन प्रतिशत और उसके पश्चात चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। जिन दिव्यांगजन को इसका लाभ नहीं मिला है उनका डाटा 30 सितंबर तक तैयार किया जाएगा और उसके बाद उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। श्री मक्कड़ ने बताया कि प्रदेश में पहली बार हुई 1200 चिकित्सकों की भर्ती में 103 दिव्यांगजन चिकित्सक की भर्ती हुई है। इसी प्रकार प्रत्येक विभाग में नियमानुसार दिव्यांगजन का कोटा पूरा किया जाएगा। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पहले दिव्यांगजन के गलत प्रमाण पत्र भी बने हैं, जिनकी जांच की जा रही है। जांच में दिव्यांगजन बनकर लाभ लेने वाले कुछ व्यक्ति पकड़े भी गए हैं जिनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की गई है। इस मौके पर विश्वास दिव्यांगजन केंद्र की प्रभारी नीलम जोली भी उपस्थित थी।