CHANDIGARH 25, JULY: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के दुरुपयोग का गंभीर संज्ञान लेते हुए पंजाब राज्य सूचना आयोग ने एक आर.टी.आई. कार्यकर्ता नरेश के गुप्ता द्वारा इस अधिनियम के अधीन सार्वजनिक अथॉरिटी के समक्ष एक जैसी शब्दावली की कईं आर.टी.आई. आवेदन दायर करने और उपरोक्त मामलों को क्रमवार पहली अपील और दूसरी अपील के लिए भेजने के लिए उसे सख़्त फटकार लगाई है।
यह मामला उस समय सामने आया जब नरेश के. गुप्ता द्वारा दायर की गई दूसरी अपील की 13 अजिऱ्यों का एक पुलिंदा पंजाब राज्य सूचना आयूक्त मनिन्दर सिंह पट्टी के बैंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। सुनवाई के समय जवाबदेह जन सूचना अधिकारी (पी.आई.ओ.) ने आयोग के कोऑर्डीनेट बैंच के सामने लम्बित ऐसे दो विशेष अपील मामलों की ओर ध्यान दिलाया, जहाँ अपीलकर्ता नरेश के गुप्ता ने एक जैसी आर.टी.आई. अर्जी दायर की थी, जिसकी शब्दावली पंजाब राज्य सूचना आयुक्त मनिन्दर सिंह पट्टी की बैंच के समक्ष चल रहे अपील मामलों जैसी ही थी। आयोग ने उक्त मामलों का रिकॉर्ड माँगा और इनकी तुलना अपने सामने चल रहे मामलों से कर यह निष्कर्ष निकाला कि जवाबदेह पी.आई.ओ. का स्टैंड सही था।
इस तथ्य का गंभीर संज्ञान लेते हुए पंजाब राज्य सूचना आयुक्त मनिन्दर सिंह पट्टी ने कहा कि उक्त बरताव न केवल कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के समान है, बल्कि सूचना का अधिकार अधिनियम की भी घोर उल्लंघना है। यह भी देखा गया है कि आर.टी.आई. कार्यकर्ता द्वारा की जा रही ऐसी कार्यवाहियाँ ना बर्दाश्त योग्य हैं और यह सुनिश्चित बनाना होगा कि आर.टी.आई. एक्ट जैसे लाभप्रद कानून की व्यवस्थाओं का दुरुपयोग किसी व्यक्ति द्वारा सरकारी अधिकारियों को परेशान करने के लिए ना किया जाए।
आयोग ने यह भी नोट किया कि अपीलकर्ता नरेश के गुप्ता ने 13 आर.टी.आई. आवेदनों में से 12 ‘लाईफ़ एंड लिबर्टी’ क्लॉज के अंतर्गत दायर की थीं, जबकि उसकी किसी भी अजऱ्ी में उसने कोई भी ऐसा कारण नहीं बताया था जो जीवन और स्वतंत्रता को पेश खतरे को दिखाता हो। आयोग ने कहा कि ‘लाईफ़ एंड लिबर्टी’ क्लॉज के अंतर्गत यह आर.टी.आई. आवेदन दायर करने का काम किसी भी तरह से जायज़ नहीं था और यह केवल अधिकारियों पर दबाव बनाने का एक ढंग था।