CHANDIGARH, 27 JUNE: सुरक्षा बलों में चार वर्षीय अनुबंध के आधार पर भर्ती करने के लिए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना के विरोध में चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने आज यहां कांग्रेस भवन सेक्टर 35-सी के सामने धरना दिया। इस धरने में युवा कांग्रेस और सेवादल की चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्षों के अलावा प्रदेश, जिला और ब्लॉक कांग्रेस समितियों के पदाधिकारियों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
इस मौके पर चंडीगढ़ कांग्रेस के नारेबाजी कर रहे प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन तब तक जारी रखने का संकल्प लिया, जब तक कि सरकार द्वारा इस योजना को वापस नहीं लिया जाता। पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा कि जब जब भी देश के हितों पर कोई आंच आती है, तब-तब कांग्रेस पार्टी सड़कों पर उतरकर देश के हितों की रक्षा के लिए लडती है और देशहित सुरक्षित होने के बाद ही दम लेती है। इस अवसर पर चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह लक्की ने वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने मोदी सरकार से अग्निपथ योजना को तुरंत वापस लेने की मांग की तथा कहा कि यह योजना राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए अनुकूल नहीं है।
यहां जारी एक बयान में पार्टी के प्रवक्ता राजीव शर्मा ने अग्निपथ योजना को भारतीय सशस्त्र बलों के कई दशकों पुराने गौरवशाली इतिहास और कार्य संस्कृति के लिए हानिकारक बताते हुए कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को अपनी भर्ती और कड़े प्रशिक्षण के कारण सारी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ‘लड़ाकू मशीन के रूप में जाना जाता है। अग्निवीरों की चार साल के ठेके पर भर्ती में उनकी प्रशिक्षण प्रक्रियाओं में बदलाव करना शामिल होगा, जो बलों की तैयारियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
पार्टी प्रवक्ता ने खेद व्यक्त किया कि ठेके पर कर्मचारियों द्वारा कम वेतन और नाकाफी सेवा शर्तों के कारण उपजी असन्तोष की भावना के कारण देश में करीब-करीब हर राज्य में आंदोलन और विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए अनुबंध के आधार पर अग्निवीरों की ठेके पर भर्ती करने का मोदी सरकार का निर्णय एक ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम है, जो बिना आम सहमति बनाए, मनमाने तरीके से देश पर थोपा गया है। प्रवक्ता ने कहा कि दुनियाभर में यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि एक युवा रंगरूट को एक पेशेवर सिपाही में बदलने के लिए 6 से 7 साल के लंबे और कड़े प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जबकि इस विवादास्पद योजना में केवल छह महीने के प्रशिक्षण का प्रावधान है, जो सशस्त्र कर्मियों के लिए पेशेवर प्रशिक्षण के सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मानकों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है।
पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को इस हद तक बर्बाद कर दिया है कि वह सरकारी कर्मचारियों के वेतन बिल को कम करने के लिए मजबूर हो गई है। यह अति निंदनीय है कि जिस पार्टी ने चुनावों में अक्सर रक्षा बलों के नाम पर लोगों के वोट मांगे, उसके नेतृत्व में बनी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के वेतन को उस स्तर तक कम कर देगी, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।