परिवहन मंत्री द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ़ ड्राइविंग एंड ट्रैफ़िक रिर्सच देहरादून का दौरा
CHANDIGARH, 02 JUNE: पंजाब में ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट ट्रैकों को अत्याधुनिक प्रौद्यौगिकी से लैस करने के उद्देश्य से राज्य के परिवहन मंत्री स. लालजीत सिंह भुल्लर ने आज देहरादून स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ़ ड्राइविंग एंड ट्रैफ़िक रिर्सच (आई.डी.टी.आर.) का दौरा किया।
परिवहन विभाग की टीम सहित आई.डी.टी.आर. पहुँचे स. भुल्लर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों के मुताबिक सड़क हादसे घटाने के लिए लायसेंस जारी करने की प्रणाली को और दुरस्त करने और लायसेंस बनाने की प्रक्रिया को पुख़्ता तरीके से तेज़ करने के लिए राज्य में स्थित ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट ट्रैकों को अपडेट करने की ज़रूरत है।
सैंटर का दौरा करने के उपरांत स्थानीय अधिकारियों के साथ मीटिंग के दौरान मंत्री को बताया गया कि माइक्रोसॉफ्ट रिर्सच इंडिया और मारुति सुज़ुकी के इंस्टीट्यूट ऑफ़ ड्राइविंग एंड ट्रैफ़िक रिर्सच द्वारा साझा तौर पर स्मार्टफ़ोन आधारित प्रौद्यौगिकी “एच.ए.एम.एस. (हार्नेसिंग आटोमोबाईल फ़ार सेफ्टी)“ तैयार की गई है जिसको देहरादून के ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट सैंटर में इस्तेमाल किया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि मानव स्पर्श रहित और सेंसर-आधारित यह अत्याधुनिक प्रौद्यौगिकी टैस्ट देने वाले व्यक्ति की पहचान के समय होने वाली धोखाधड़ी को रोकेगी, टैस्ट देने वाले व्यक्ति द्वारा सीट बेल्ट इस्तेमाल ना करने और ट्रैफ़िक सिग्नल के उल्लंघन के बारे में रिपोर्ट देगी। इस एप्लीकेशन में चौराहों के नज़दीक गाड़ी चलाना, समानांतर पार्किंग और गाड़ी बैक करने के दौरान ड्राइविंग के स्थापित मापदण्डों के बारे में सटीक मार्गदर्शन दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस एप्लीकेशन में टैस्ट के अंक और नतीजे अपने आप तैयार हो जाएंगे और अपने टैस्ट की जांच करने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए वीडियो भी तैयार हो जायेगी।
परिवहन मंत्री ने अपने साथ दौरे पर गए विभाग के सचिव श्री विकास गर्ग और स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिशनर श्री विमल कुमार सेतिया को जल्द से जल्द उक्त प्रौद्यौगिकी हासिल करने सम्बन्धी कार्यवाही आरंभ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मानव मूल्यांकन रहित होने के कारण इस प्रौद्यौगिकी से काम में तेज़ी आयेगी क्योंकि केवल 10 मिनट में टैस्ट मुकम्मल होगा और रिपोर्ट तैयार की जायेगी। इसके साथ ही पहले की अपेक्षा बारीकी से टैस्ट के नतीजे तैयार होंगे ताकि सिर्फ़ वास्तविक उम्मीदवारों को ही लायसेंस जारी किया जा सके।