नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से नैतिक जिम्मेदारी के आधार पर इस्तीफा माँगाभर्ती घोटाले की ज्यूडीशियल जांच की मांग उठाई
CHANDIGARH, 17 MAY: हिमाचल प्रदेश पुलिस परीक्षा घोटाले को लेकर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने आज हिमाचल सरकार पर करारा हमला बोलते हुए इस मामले में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग भी है, ऐसे में पुलिस विभाग में भर्ती घोटाला होने पर मुख्यमंत्री की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने पद से इस्तीफा दे दें, साथ ही उन्होंने इस पूरे मामले की ज्यूडीशियल या सीबीआई जांच करने की मांग की है।
आज यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अब तक का यह सबसे बड़ा भर्ती घोटाला है। उन्होंने कहा कि इस मामले की ज्यूडीशियल या सीबीआई जांच होनी चाहिए क्योंकि सरकार ने इस मामले की जांच के लिए जो एसआईटी गठित की है उसमें मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री जल्दी से जल्दी दुबारा पेपर कराने कि कोशिश में लगे हुए हैं ताकि मामला ठंडा पड़ जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईटी में उन्ही अधिकारियों को शामिल किया है जिन पर पेपर करने की जिम्मेदारी थी, ऐसे में इस पूरे मामले की सही जांच होगी, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जांच इस बात की हो रही है कि पेपर को खरीदा किसने जबकि जांच होनी इस बात की चाहिए कि पेपर को बेचा किसने? उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में भी इसी प्रकार से पुलिस भर्ती की परीक्षा का पर्चा लीक हुआ था। उन्होंने कहा कि यदि वर्ष 2020 में हुई पुलिस भर्ती के घोटाले की जांच सही तरीके से होती तो वर्ष 2022 में यह घोटाला न होता और प्रदेश के बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ न होता।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश में पर्चा लीक गैंग सक्रिय है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जो भी परीक्षाएं आयोजित की गई हैं उनमें कहीं न कहीं पर्चे लीक हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जयराम ठाकुर की सरकार सामने आए इस भर्ती घोटाले को अंत तक दबाने का प्रयास कर रही थी लेकिन जब पूरा मामला फाइलों में आ गया उसके बाद इस परीक्षा को रद्द किया गया है। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने पर भर्ती घोटालों की जांच करवाई जाएगी।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि यह अपने आप में बहुत बड़ा मामला है। आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि इसमें बड़े पुलिस अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं।
मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि इस पेपर को 6 से 8 लाख में बेचा गया था। तकरीबन 2000 छात्रों तक यह पेपर लीक करके पहुंचाया गया। इस पूरे मामले में तकरीबन 100 करोड रुपए का आदान-प्रदान हुआ है। यह विभाग मुख्यमंत्री के पास है और मुख्यमंत्री इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
नेता विपक्ष ने कहा कि अगर 2020 की परीक्षा से सबक लिया गया होता औ नकेल कसी होती तो अब इतना बड़ा अपराध न होता। अब मुख्यमंत्री चाहते हैं कि परीक्षा जल्द से जल्द फिर करा दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि चंडीगढ़ और हरियाणा में बच्चों को पेपर का रटा लगवाया गया।