NEW DELHI, 09 MAY: जल्द ही लोगों को रैपिड रेल में बैठने का मौका मिलेगा, क्योंकि देश की पहले रीजनल ट्रेन के कोच तैयार हो गए हैं। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) ट्रेन दिल्ली से मेरठ के बीच चलेंगी। आइए जानते हैं क्या है रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS), इस ट्रेन से कहां कर सकेंगे सफर और क्या है इसकी खासियत…
भारत के कई राज्यों में मेट्रो ने अपनी पहुंच बना ली है। सुरक्षित और कम समय के साथ ही बिना ट्रैफिक के अपने गंतव्य तक पहुंचने में सबसे अच्छा विकल्प है। लेकिन अब समय की मांग और लोगों को सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए देश में रैपिड रेल आ रही है। दिल्ली से मेरठ के बीच चलने वाली देश की पहली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) ट्रेन शनिवार को नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC) को सौंप दी गई है।
आरआरटीएस अपनी तरह की पहली प्रणाली है, जिसमें 180 किमी प्रति घंटे की गति वाली ट्रेनें हर 5-10 मिनट में उपलब्ध होंगी और एक घंटे में लगभग 100 किमी की दूरी तय करेंगी। एनसीआरटीसी ने एनसीआर में विभिन्न सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को मूल रूप से जोड़कर एक विशाल रीजनल रेल नेटवर्क बनाने की पहल की है। रीजनल रेल के स्टेशनों का जहां भी संभव हो, मेट्रो स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों, बस डिपो के साथ सहज एकीकरण होगा। यह रेल प्रणाली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लोगों और स्थानों को करीब लाएगा और इस क्षेत्र के सतत और संतुलित विकास को सक्षम बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रति वर्ष लगभग ढाई लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है। आरआरटीएस सबसे अधिक ऊर्जा कुशल फ्यूचरिस्टिक ट्रांजिट सिस्टम साबित होगा, जो निर्बाध रूप से जुड़े मेगा क्षेत्रों के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगा और भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं के लिए एक नया बेंचमार्क स्थापित करेगा।
आरआरटीएस कॉरिडोर का चल रहा निर्माण कार्य
82.15 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर काम जोरों पर है, जिसमें दुहाई और मोदीपुरम में 2 डिपो और जंगपुरा में 1 स्टैबलिंग यार्ड सहित कुल 24 स्टेशन होंगे। हाल ही में कॉरिडोर पर 23वीं लॉन्चिंग गैन्ट्री लगाई गई थी और 14 हजार से अधिक कर्मचारी और 1100 से अधिक इंजीनियर दिन-रात निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। एनसीआरटीसी ने एलिवेटेड सेक्शन की नींव का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। अब तक 40 किमी खंड पर 1400 से अधिक पीयर्स और 18 किमी वायाडक्ट का निर्माण किया जा चुका है, जिनमें से अधिकांश प्राथमिकता खंड में हैं।
इन स्टेशनों से होकर गुजरेगी आरआरटीएस
सराय काले खां, न्यू अशोक नगर, आनंद विहार, दिल्ली उत्तर प्रदेश सीमा, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, मुरादनगर, मोदीनगर साउथ, मोदीनगर उत्तर, मेरठ दक्षिण, शताब्दी नगर, मेरठ सेंट्रल, बेगमपुल, मेरठ उत्तर, मोदीपुरम से हो कर गुजरेगी। इस ट्रेन से दिल्ली से मेरठ तक का सफर एक घंटे से भी कम समय में तय कर सकते हैं।
ट्रेनसेट की विशेषताएं
इन अत्याधुनिक आरआरटीएस ट्रेनों में एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई 2×2 ट्रांसवर्स कुशन सीटिंग, खड़े होने के लिए चौड़े स्थान, लगेज रैक, सीसीटीवी कैमरे, लैपटॉप या मोबाइल चार्जिंग सुविधा, डायनेमिक रूट मैप, ऑटो कंट्रोल एम्बिएंट लाइटिंग सिस्टम, हीटिंग वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम (एचवीएसी) और अन्य सुविधाएं होंगी। वातानुकूलित आरआरटीएस ट्रेनों में स्टैंडर्ड के साथ-साथ महिला यात्रियों के लिए आरक्षित एक कोच भी होंगे। इसके अलावा साधारण के साथ ही एक प्रीमियम वर्ग (प्रति ट्रेन एक कोच) का कोच होगा।
कहां बन रहे आरआरटीएस कोच
मेक इन इंडिया पहल के तहत, यह अत्याधुनिक आरआरटीएस ट्रेन 100 प्रतिशत भारत में, गुजरात के सावली स्थित एल्सटॉम के कारखाने में निर्मित की जा रही है। गुजरात के सावली स्थित एलस्टॉम का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए कुल 210 कारों की डिलीवरी करेगा। एनसीआरटीसी प्रवक्ता पुनीत वत्स के मुताबिक एल्सटॉम द्वारा ट्रेनों को एनसीआरटीसी को सौंपने के बाद, इसे बड़े ट्रेलरों पर दुहाई डिपो में लाया जाएगा, जिसे गाजियाबाद में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के परिचालन के लिए तीव्र गति से विकसित किया जा रहा है। इस डिपो में इन ट्रेनों के संचालन और रखरखाव की सभी सुविधाओं का निर्माण कार्य पूरा होने वाला है।
भारत में अब तक की सबसे तेज ट्रेन
भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेनों के इंटीरियर के साथ इसकी कम्यूटर-केंद्रित विशेषताओं का हाल ही में 16 मार्च, 2022 को दुहाई डिपो, गाजियाबाद में अनावरण किया गया था। 180 किमी प्रति घंटे की डिजाइन स्पीड, 160 किमी प्रति घंटे की ऑपरेशनल स्पीड और 100 किमी प्रति घंटे की ऐवरेज स्पीड के साथ ये आरआरटीएस ट्रेनें भारत में अब तक की सबसे तेज ट्रेनें होंगी।
प्रोजेक्ट पर एक नजर
– प्रोजेक्ट की लंबाई : 82.15किमी
– सराय काले खां से शुरू होगा और वाया गाजियाबाद होते हुए मेरठ जाकर पूरा होगा
– अधिकतम गति 180 किमी प्रति घंटा होगी
– 60 मिनट से भी कम समय में दिल्ली से मेरठ पहुंच सकेंगे यात्री
– प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 30,274 करोड़ रुपये है
– दुहाई और मोदीपुरम में दो डिपो सहित 24 स्टेशन
– 8 मार्च 2019 को पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास, 2025 तक होगा प्रोजेक्ट पूरा