NEW DELHI, 25 APRIL: देश के नागरिकों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। घर, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए केंद्र सरकार का विशेष फोकस है। ऐसे में लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कम खर्च में उचित इलाज और दवाइयों का बंदोबस्त करने के बाद अब रोजगार के अवसर देने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।
सेंटर खोलने के लिए आवेदन
दरअसल, देश के हर जिले में खुल रहे प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र लाखों परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं। साथ ही रोजगार का भी सृजन कर रहे हैं। इसलिए अब देशभर में मार्च 2024 तक जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और सेंटर खोलने के लिए आवेदन मांगे गए हैं। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 406 जिलों के 3579 प्रखंडों में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) की कार्यान्वयन एजेंसी फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) ने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (PMBJK) खोलने के लिए व्यक्तियों, बेरोजगार फार्मासिस्टों, सरकार द्वारा नामित संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, ट्रस्ट, सोसायटी आदि से आवेदन मांगे गए हैं।
ऑनलाइन कर सकते हैं आवेदन
एक ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से ये आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इच्छुक आवेदक पीएमबीआई की वेबसाइट janaushadhi.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। पात्र आवेदकों को “पहले आओ पहले आओ” के आधार पर पीएमबीजेपी के नाम पर ड्रग लाइसेंस लेने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी जाएगी।
देश में 8,610 सेंटर
आम आदमी विशेषकर गरीब जनता के लिए सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) की संख्या को 10000 तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 31 मार्च 2022 तक औषधि केंद्रों की संख्या बढ़कर 8,610 हो चुकी है। पीएमबीजेपी के तहत देश के सभी 739 जिलों को इस योजना में शामिल किया गया है।
इन लोगों को मिलेगा प्रोत्साहन
छोटे शहरों और प्रखंड मुख्यालयों के निवासी भी अब जन औषधि केंद्र खोलने के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। यह योजना महिलाओं, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति, पहाड़ी जिलों, द्वीप जिलों और पूर्वोत्तर राज्यों सहित विभिन्न श्रेणियों को विशेष प्रोत्साहन प्रदान करती है। इससे देश के कोने-कोने में लोगों तक सस्ती दवा की पहुंच आसान होगी। पीएमबीजेपी केंद्र खोलने और विभिन्न श्रेणियों के लिए प्रोत्साहन योजना के विस्तृत नियमों एवं शर्तों को पीएमबीआई की वेबसाइट पर देखा जा सकता है। इसके साथ ही बता दें कि 120 फीट का खुद का या किराए का स्थान उचित पट्टा समझौते या स्थान आवंटन पत्र द्वारा समर्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र चलाने के लिए जगह की व्यवस्था आवेदक को खुद करनी होगी।
केंद्र पर 1,616 दवाएं उपलब्ध
बता दें कि पीएमबीजेपी के उपलब्ध औषध समूह में 1616 दवाएं और 250 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं, जो देश भर में संचालित 8,600 से अधिक पीएमबीजेके के माध्यम से बिक्री के लिए सुलभ हैं। इसके अलावा, कुछ आयुष उत्पादों जैसे आयुष किट, बलरक्षा किट और आयुष- 64 टैबलेट को प्रतिरोधक क्षमता बूस्टर के रूप में इस परियोजना से जोड़ा गया है, जिसे चयनित केंद्रों के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है। औषधियों की विस्तृत श्रृंखला में सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों जैसे कार्डियोवास्कुलर, एंटी-कैंसर, एंटीडायबिटिक, एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-एलर्जी, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल दवाएं, न्यूट्रास्यूटिकल्स आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, पीएमबीआई एफएसएसएआई के तहत फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) वस्तुओं एवं खाद्य उत्पादों के लॉन्च पर कार्य किया जा रहा है और पीएमबीजेपी के तहत अत्यधिक मांग वाले आयुर्वेदिक उत्पादों को अपनी विस्तृत श्रृंखला में विस्तार देने के लिए भी काम हो रहा है।
देश में चार भंडार गृह स्थापित
पीएमबीआई ने गुरुग्राम, चेन्नई, गुवाहाटी और सूरत में चार भंडार गृह स्थापित करके आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली को मजबूत किया है। इसके अलावा, देश के हर हिस्से में समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पूरे भारत में 39 वितरकों का एक मजबूत वितरक नेटवर्क भी उपलब्ध है।
2015 में शुरू हुई योजना
केंद्र सरकार ने गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवारों को ध्यान में रखते हुए सस्ती दवा मुहैया कराने के लिए साल 2015 में ”प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना” की शुरुआत की थी। इन मेडिकल स्टोर के जरिए केवल जेनेरिक दवा की ही बिक्री की जाती है, जो कंपनी की दवाइयों के मुकाबले 90 फीसदी तक सस्ती होती है। आमतौर पर जेनेरिक दवाएं उन दवाओं को कहा जाता है जिनका कोई अपना ब्रांड नेम नहीं होता है, वह अपने सॉल्ट नेम से बाजार में जानी-पहचानी जाती है।
15,000 करोड़ रुपये की बचत
हालांकि कुछ दवाओं के ब्रांड नेम भी होते हैं मगर वह बहुत ही सस्ते होते हैं और यह भी जेनेरिक दवाओं की श्रेणी में ही आते हैं। यह सस्ती होने के साथ-साथ कारगर भी है। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार इन जन औषधि केंद्रों के जरिए देशभर में लाखों गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवारों को लाभ पहुंचा रही है। इस परियोजना के तहत आम जनता को लगभग 15,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है