कर्मचारी नेताओं की भी हर गतिविधि पर पैनी नजर, राजनेताओं को अंदेशा-उन्हें कभी भी उठा सकती है पुलिस
CHANDIGARH, 25 FEBRUARY, चंडीगढ़ में गत सोमवार की आधी रात से बुधवार शाम तक चली बिजली कर्मचारियों की हड़ताल भले ही यूटी प्रशासन के साथ एक लिखित समझौते के बाद खत्म हो गई लेकिन अब इस मामले में कर्मचारियों के खिलाफ जिस तरह से प्रशासन ने कार्रवाई का सिलसिला शुरू किया है, उसको लेकर प्रशासन को फिर कर्मचारियों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया होने का अंदेशा है। लिहाजा, प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए आम आदमी पार्टी के सह प्रभारी एवं चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा समेत गैरभाजपाई राजनीतिक दलों के कई राज नेताओं व कर्मचारी नेताओं पर आज शाम से खुफिया विभाग का पहरा बैठा दिया है। खास तौर से आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के नेताओं की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। प्रदीप छाबड़ा व कांग्रेस नेताओं ने इसकी पुष्टि करते हुए आशंका जताई है कि पुलिस उन्हें किसी भी समय उठा भी सकती है, ताकि बिजली कर्मचारियों पर प्रशासन की कार्रवाई का किसी भी स्तर से कड़ा विरोध न हो सके। कहा यह भी जा रहा है कि प्रशासन ने एहतियात के तौर पर अब शहर में बिजली आपूर्ति का संकट रोकने के लिए सेना को पहले ही अलर्ट पर रख लिया है। हालांकि प्रशासनिक स्तर से अभी इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है।
चंडीगढ़ ने पहली बार देखी ऐसी बिजली हड़ताल
बता दें कि चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारी यहां बिजली विभाग का निजीकरण किए जाने का विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में कर्मचारी नेताओं ने गत 22, 23, 24 फरवरी को पूर्ण हड़ताल का आह्वान किया था। इसका असर यह हुआ कि सोमवार को आधी रात के बाद से ही शहर के अधिकांश इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप्प होनी शुरू हो गई। मंगलवार यानी 22 फरवरी को तो हालात इतने बिगड़ गए कि करीब अस्सी फीसदी चंडीगढ़ रात को अंधेरे में डूब गया। न स्ट्रीट लाइटें जलीं, न ट्रैफिक लाइटें जल पाईं। इससे यातायात व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई। बिजली गुल हो जाने से ऊपरी मंजिलों पर पानी की आपूर्ति नहीं हो पाई। बुधवार तक चंडीगढ़ बिजली-पानी के गहरे संकट में डूब गया। शहर के अस्पतालों में भी इस हड़ताल का असर पडऩे से हालात ज्यादा गंभीर हो गए। चंडीगढ़ ने शहर में ऐसी बिजली हड़ताल पहली बार देखी। प्रशासन ने शहर में एस्मा व धारा-144 भी लगाई लेकिन कर्मचारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। वह सेक्टर-17 में धरना-प्रदर्शन कर हड़ताल पर बने रहे। इस स्थिति का पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया तो प्रशासन तेजी से हरकत में आया और बुधवार शाम को कर्मचारी नेताओं के साथ प्रशासन के एक लिखित समझौते के बाद कर्मचारी नेताओं ने आह्वानकाल की अवधि पूर्ण होने से पहले ही हड़ताल समाप्ति की घोषणा कर दी लेकिन इसके बाद प्रशासन को हाईकोर्ट के भी कड़े रुख का सामना करना पड़ा।
दो जेई सस्पैंड, कई अन्य कर्मचारियों पर भी कार्रवाई
अब कल से प्रशासन ने हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रशासन ने हड़ताल के कारण विद्युत प्रणाली को हुए नुकसान व अन्य विवरणों के लिए कल एक कमेटी का गठन किया था। अभी तक की जांच के आधार पर आज दो जूनियर इंजीनियरों को सस्पैंड कर दिया गया है। एक अक्षीक्षण अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा विभाग के 126 नियमित कर्मचारियों को भी सरकारी ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण बनी गंभीर स्थिति के लिए शो-कॉज नोटिस दिया है। 17 आऊट सोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसके साथ ही 143 कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के क्रम में जांच चल रही है।
अब कर्मचारियों की प्रतिक्रिया का अंदेशा
हड़ताल को लेकर बिजली कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई पर अब प्रशासन कर्मचारियों की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया का अंदेशा है। सूत्रों का कहना है कि कर्मचारी नेता प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध की भी रूपरेखा बना रहे हैं। ऐसे में प्रशासन ने शहर में तमाम कर्मचारी नेताओं की गतिविधियों पर खुफिया निगाहें लगा दी हैं। चूंकि पिछली तीन दिवसीय बिजली हड़ताल का आम आदमी पार्टी व कांग्रेस ने भी खुलकर समर्थन किया था, इसलिए इन राजनीतिक दलों के नेताओं पर भी आज शाम से खुफिया विभाग का पहरा बैठा दिया गया है। खुफिया विभाग के कर्मचारियों व इलाका पुलिस को जो बिजली कर्मचारी नेता तथा आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के नेता अपने घरों में नहीं मिल रहे हैं, उन्हें फोन करके उनकी लोकेशन तक के बारे में पूछा जा रहा है। कौन नेता कब कहां जा रहा है तथा कौन उनसे मिलने आ रहा है, सब पर पैनी नजर रखी जा रही है। इन नेताओं ने इस स्थिति से अपने हाईकमान को भी अवगत करा दिया है। आम आदमी पार्टी के सह प्रभारी प्रदीप छाबड़ा ने बताया कि उन्हें भी चंडीगढ़ प्रशासन के खुफिया विभाग से फोन आए। उनके घर के बाहर भी खुफिया विभाग के कर्मचारी तैनात किए गए हैं। भाजपा बिजली हड़ताल के मामले में आम आदमी पार्टी व कांग्रेस की भूमिका की पहले ही आलोचना कर चुकी है। चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल ने भी हड़ताल खत्म होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूरे मामले में राजनीतिक दखलंदाजी को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी। लिहाजा, प्रशासन अब पहले से ही सतर्क हो गया है।