NEW DELHI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान 18 फरवरी को एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित करेंगे। यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत अपनी आजादी के 75 साल को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है और यूएई अपनी स्थापना की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है।
द्विपक्षीय संबंध
विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों नेता शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा करेंगे और आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। हाल के वर्षों में, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय संबंध सभी क्षेत्रों में मजबूत हुए हैं।
व्यापक रणनीतिक साझेदारी
दोनों पक्षों ने एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी शुरू की है। प्रधानमंत्री ने 2015, 2018 और 2019 में यूएई का दौरा किया और वहीं अबू धाबी के क्राउन प्रिंस ने 2016 और 2017 में भारत का दौरा किया। दोनों पक्षों के बीच मंत्रिस्तरीय दौरे भी जारी रहे, जिसमें विदेश मंत्री की तीन यात्राएं और वाणिज्य और उद्योग मंत्री की यात्रा भी शामिल है।
महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निकट सहयोग
दोनों पक्षों ने एक दूसरे का स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कोविड महामारी के दौरान निकट सहयोग किया है। इससे द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और ऊर्जा संबंध मजबूत बने हुए हैं। दोनों पक्ष अक्षय ऊर्जा, स्टार्ट-अप, फिनटेक इत्यादि नए क्षेत्रों में भी अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं। भारत दुबई एक्सपो 2020 में सबसे बड़े पवेलियन में एक साथ भाग ले रहा है।
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता
दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रमुख पहल है। सीईपीए के लिए बातचीत सितंबर 2021 में शुरू की गई थी जो अब पूरी हो चुकी है। यह समझौता भारत-यूएई आर्थिक और वाणिज्यिक जुड़ाव को अगले स्तर पर ले जाएगा। संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने की उम्मीद है।
यूएई एक बड़े भारतीय समुदाय की मेजबानी करता है जिसकी संख्या 35 लाख के करीब है। प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान भारतीय समुदाय का समर्थन करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व के लिए सराहना की है। यूएई नेतृत्व भी इसके विकास में भारतीय समुदाय के योगदान की सराहना करता रहा है। दोनों पक्षों ने महामारी के दौरान 2020 में एक एयर बबल अरेंजमेंट पर सहमति व्यक्त की थी, जिसने कोविड द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद दो देशों के बीच लोगों की आवाजाही को सक्षम बनाया है।