CHANDIGARH: पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ रहे दो प्रत्याशियों के खि़लाफ़ नामांकन पत्र में भगौड़े होने सम्बन्धी जानकारी छिपाने के कारण एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी पंजाब डॉ. एस. करुणा राजू ने दी है।
डॉ. राजू ने बताया कि पटियाला जि़ले के सनौर विधानसभा हलके से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हरमीत सिंह पठानमाजरा, जिसका पूरा नाम हरमीत सिंह ढिल्लों पुत्र हरदेव सिंह निवासी पठानमाजरा जि़ला पटियाला द्वारा अपने खि़लाफ बरनाला में आई.पी.सी. की धारा 174 के अधीन दर्ज मामला एफ.आई.आर. नंबर 509 तारीख़ 20.12.2019 में अमरिन्दरपाल सिंह सी.जे.एस.डी. बरनाला की अदालत द्वारा 2.07.2019 को भगौड़ा करार देने संबंधी शिकायत प्राप्त हुई थी।
शिकायत में फॉर्म ए (ऐफीडेविट) में झूठी जानकारी देने सम्बन्धी आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हरमीत सिंह पठानमाजरा के खि़लाफ़ कार्रवाई की मांग की गई थी।
उन्होंने बताया कि इस शिकायत सम्बन्धी जांच जि़ला निर्वाचन अधिकारी पटियाला और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पटियाला द्वारा अपने अपने स्तर पर की गई और शिकायत को सही पाया गया, जिसके उपरांत हरमीत सिंह पुत्र हरदेव सिंह निवासी पठानमाजरा के खि़लाफ़ थाना जुलकां में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, 1951, 1989 की धारा 125ए और आई.पी.सी. की धारा 193, 199 के अंतर्गत मुकदमा नंबर 16 तारीख़ 10.02.2022 दर्ज किया गया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि विधानसभा हलका मलेरकोटला से आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे मोहम्मद शकील द्वारा विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए दायर नामांकन पत्र में भगौड़ा होने सम्बन्धी जानकारी छिपाई गई है। उन्होंने बताया कि मोहम्मद शकील के खि़लाफ़ पुलिस थाना शहरी-2 मलेरकोटला में 30.04.2007 को एफ.आई.आर. नंबर 32 आई.पी.सी. की धारा 307, 326, 120बी और 34 के अधीन मामला दर्ज हुआ था।
इस मामले में मोहम्मद शकील पुत्र मोहम्मद रुलदू निवासी मोहल्ला सादेवाल को अधिकृत अदालत द्वारा 13.12.2019 को भगौड़ा करार दिया गया था। डॉ. राजू ने बताया कि इस मामले में मोहम्मद शकील के खि़लाफ़ एफ.आई.आर. नंबर 50 तारीख़ 11.02.2022 को आई.पी.सी. की धारा 193,199 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, 1951, 1989 की धारा 125ए के अधीन मामला दर्ज करते हुए गिरफ़्तार कर लिया गया था। सी.ई.ओ. ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, 1951, 1989 की धारा 125ए के अधीन 3 महीने की सज़ा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा आई.पी.सी. की धारा 193, 199 के अंतर्गत 3 से 7 साल की सज़ा और जुर्माना भी हो सकता है।