CHANDIGARH: औषधीय वनस्पतियों के संरक्षण हेतु आयुष मंत्रालय द्वारा पचंकूला में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना की जा रही है। यह संस्थान न केवल औषधीय वनस्पतियों के संरक्षण बल्कि जन समुदाय को प्रकृति रक्षा के साथ जोडऩे में भी अहम भूमिका निभाएगा। इस संस्थान में प्राकृतिक चिकित्सा पाकर लाखों लोग लाभान्वित होंगे। इस संदर्भ में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड ने प्रस्तावना की अनुमति प्रदान कर दी है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का भी यही सपना है कि राज्य का प्रत्येक नागरिक औषधीय वनस्पतियों के संरक्षण और संवद्र्धन में अपनी भूमिका अदा करे और समाज को पर्यावरण के दायित्व बोध से जोडऩे का कार्य करें। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान इस दिशा को आगे बढऩे का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा।
वन एवं शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा कि पंचकूला के सेक्टर-5 डी श्री माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड परिसर में 8.04 हेक्टेयर क्षेत्र में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान निर्मित होगा। इसकी कुल लागत 5 करोड़ रुपये स्वीकृत की गयी है, जिसे चरणबद्ध तरीके से उपयोग किया जायेगा। इस संस्थान के निर्माण होने से जन समुदाय प्रकृति रक्षा का सहयात्री बन सकेगा।
उन्होंने कहा कि ज्ञान के सभी मंदिरों में स्थापित प्रकृति ज्ञान केन्द्र के माध्यम से इस संस्थान के शोध कार्य और शैक्षणिक उपलब्धियों को अध्ययन सामग्री के रूप में प्रस्तुत करके नई पीढ़ी को भारतीय आयुर्वेद परंपरा के संस्कार से रूबरू कराने का माध्यम बनेगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण के समय में भारतीय चिकित्सा पद्धति ने जिस प्रकार से जन सामान्य के प्राण रक्षा का कार्य किया है वह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति आधुनिक समय में भी प्रासंगिक ही नहीं अनिवार्य भी है।