पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले- जनवरी में भी बेरोजगारी में टॉप पर रहा हरियाणा, यहां पूरे देश से साढ़े 3 गुना ज्यादा बेरोजगारी
CHANDIGARH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बेरोजगारी के मोर्चे पर पूरी तरह विफल हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार की कड़ी आलोचना की है। हुड्डा का कहना है कि लगभग पिछले 3 साल से हरियाणा बेरोजगारी के मामले में टॉप पर है। बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार पर पार पाने के लिए कोई भी कारगर नीति नहीं बना पाई। इसलिए इससे ध्यान भटकाने के लिए सरकार द्वारा पिछले दिनों प्राइवेट नौकरियों में 75% हरियाणवियों को आरक्षण देने का जुमला उछाला। लेकिन यह सरकार कोर्ट में उस जुमले का भी बचाव नहीं कर पाई और कोर्ट की तरफ से इसपर रोक लगा दी गई।
हुड्डा ने सीएमआईई के ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि जनवरी में भी हरियाणा पूरे देश में टॉप पर रहा है। हरियाणा के युवा पूरे देश से लगभग साढ़े तीन गुना ज्यादा बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। लेकिन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए प्रदेश सरकार इस हकीकत से नजरें चुरा रही है। सच को स्वीकार करने की बजाए सरकार सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी यानी सीएमआईई के आंकड़ों को गलत करार दे रही है। जबकि इसी संस्था के आंकड़ों को आधार बनाकर बीजेपी यूपी में वोट मांग रही है।
बड़ी हैरानी की बात है कि सरकार ना तो सीएमआईई के आंकड़ों को मानती, ना एनएसओ के सरकारी आंकड़ों को और ना ही खुद बेरोजगारी का कोई स्पष्ट आधिकारिक आंकड़ा जारी करती। ऐसे में पढ़े लिखे बेरोजगारो पर 30 हजार रूपिए तक की केपिंग लगाकर, सरकार 75% आरक्षण जैसे जुमलो को गढ़कर अपनी जिम्मेदारी से भागना चाहती थी। लेकिन वहां भी उसे विफलता मिली।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज लगभग 25 लाख पढ़े लिखे बेरोजगार घूम रहे है, अगर सरकार बेरोजगारी को लेकर गंभीर है तो उसे लटकी पड़ी तमाम भर्तियों को जल्द पूरा करना होगा। अकेले शिक्षा महकमे में करीब 50,000 पद खाली पड़े हुए हैं। उसे शिक्षा समेत अलग-अलग महकमों में खाली पड़े ऐसे हजारों पदों को भरना पड़ेगा। आज प्रदेश की रैंकिंग इज ऑफ डूइंग बिजनेस में 3 से 14 वे नंबर पर पहुंच गई है। कानून व्यवस्था की स्थिति सुधारने होगी ताकि प्रदेश में निवेश का माहौल बने और उद्यमी यहां निवेश करते हुए ना डरें। प्रदेश में निवेश आएगा तो उससे रोजगार सृजन होगा।
हुड्डा ने बताया कि उनके कार्यकाल में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 4 आईएमटी बनाई गई थीं। लेकिन इस सरकार में वह खाली पड़ी हुई हैं। उनको विकसित करने के लिए सरकार की तरफ से कोई नीति नहीं बनाई गई। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि ऐसा करने की बजाए सरकार जनता को कभी 75% आरक्षण तो कभी फर्जी आंकड़ों का हवाला देकर गुमराह करती रहती है। जबकि सच यह है कि इस सरकार ने हरियाणा रिहायशी प्रमाण पत्र के लिए 15 साल की शर्त को घटाकर 5 साल करके हरियाणा के मूल निवासियों के अधिकारों पर सबसे बड़ा कुठाराघात किया है।