CHANDIGARH: जन्म के समय श्रवण शक्ति सम्बन्धी कमज़ोरी का पता लगाने के लिए पंजाब सरकार ने आज जि़ला अस्पताल रोपड़ के मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल में सोहम आटोमेटिड आडीटरी ब्रेनस्टैम रिस्पांस (ए.ए.बी.आर.) डिवाइस के साथ ‘यूनिवर्सल न्यूबोरन हियरिंग स्क्रीनिंग’ (यू.एन.एच.एस.) की शुरूआत की।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के डायरैक्टर डा. ओ.पी.गोजरा ने बताया कि इस मकसद की पूर्ति के लिए पंजाब सरकार की तरफ से ‘यूनिवर्सल न्यूबोरन हियरिंग स्क्रीनिंग ’ शुरू की गई है।
पंजाब देश का पहला राज्य है और पूरे दक्षिण पूर्वी एशिया में एकमात्र यूनिट है जिसने सोहम आटोमेटिड आडीटरी ब्रेनस्टैम रिस्पांस (ए.ए.बी.आर.) उपकरण के साथ ‘यूनिवर्सल न्यूबोरन हियरिंग स्क्रीनिंग’ (यू.एन.एच.एस.) की तरफ कदम उठाया है। नवजात बच्चों की श्रवण सम्बन्धी स्क्रीनिंग नये प्रोग्राम को पंजाब भर में नवजात बच्चों की श्रवण शक्ति की स्क्रीनिंग के लिए समर्थ बनाने के लिए तैयार किया गया है जिससे समय पर श्रवण शक्ति की कमी वाले बच्चों की पहचान की जा सके और बच्चों को उम्र भर श्रवण और बोलने सम्बन्धी समस्या से बचाने के लिए प्रयास किये जा सकें।
इस मौके पर बोलते हुये डिप्टी कमिशनर रूपनगर श्रीमती सोनाली गिरी ने बताया कि सोहम (ए.ए.बी.आर.) की तरफ से जि़ला अस्पताल के बाल रोगों के माहिर की देख-रेख में प्रशिक्षण प्राप्त स्टाफ द्वारा जि़ला अस्पताल के न्योनेटल स्टेशन में यूनिवर्सल न्यूबोरन हियरिंग स्क्रीनिंग करवाई जायेगी और इसकी समीक्षा डीएनओ -एनपीपीसीडी की तरफ से की जायेगी। उन्होंने कहा कि आरबीऐसके द्वारा जन्मजात बहरे बच्चों के लिए कोकलियर इमप्लांट के लिए रैफरल मार्ग विकसित किये जाएंगे जिससे बच्चों को आम जीवन जीने के योग्य बनाया जायेगा।
स्टेट प्रोग्राम अधिकारी, एन.पी.पी.सी.डी. डा. बलजीत कौर ने कहा कि यह पहलकदमी पंजाब के साथ-साथ भारत में स्वास्थ्य संभाल सेवाओं के इतिहास में एक गेम चेंजर होगी। उन्होंने कहा कि हम मिलकर जन्मजात बहरेपन का हल करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि नवजात और छोटे बच्चों में श्रवण शक्ति सम्बन्धित कमी का क्लिनीकल सर्वेक्षण बच्चों के सीधे दृष्टिकोण के साथ घंटी बजने जैसी आवाज़ के प्रति व्यावहारिक प्रतिक्रिया के निरीक्षण तक सीमित था। पहले, इस विधि के द्वारा बहरेपन का पता लगाया जाता था। यह आम तौर पर तब इस्तेमाल किया जाता है जब बच्चों में भाषा सीखने में देरी पाई जाती है।
उन्होंने कहा कि एडवांस्ड आटोमेटिड आडीटरी ब्रेनस्टैम रिस्पांस (एएबीआर) प्रौद्यौगिकी पर आधारित सोहम ख़ास तौर पर श्रवण शक्ति सम्बन्धी कमज़ोरी के लिए नवजात बच्चों की मास स्क्रीनिंग सम्बन्धी प्रयोग के लिए है। सोहम, एएबीआर (आटोमेटिड आडीटरी ब्रेनस्टैम रिस्पांस) प्रणाली है जो उच्च संवेदनशीलता और विशेषता के साथ नवजात बच्चों और छोटे बच्चों में श्रवण शक्ति की कमी के लिए जांच करती है। यह नवजात बच्चों की श्रवण शक्ति की जांच के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड तकनीक है और विशेष तौर पर भारत की स्थितियों को ध्यान में रख कर तैयार की गई है और कोई भी स्वास्थ्य संभाल पेशेवर थोड़े प्रशिक्षण के बाद आसानी से इस उपकरण का प्रयोग कर सकता है।
ईएनटी स्पैशलिस्ट और नोडल अफ़सर एन.पी.पी.सी.डी डॉ. तरनजोत कौर ने कहा कि नवजात बच्चों की श्रवण शक्ति सम्बन्धी नये स्क्रीनिंग प्रोग्राम को पंजाब के सभी जिलों में नवजात बच्चों की श्रवण शक्ति सम्बन्धी स्क्रीनिंग प्रोग्राम को समर्थ बनाने के लिए तैयार किया गया है जिससे श्रवण शक्ति की कमी वाले बच्चों की समय पर पहचान की जा सके और जीवन भर बहरेपन और मानसिक देरी सम्बन्धी अयोग्यता से बच्चों को बचाने के लिए प्रयास किये जा सकें।
उन्होंने कहा कि श्रवण शक्ति और बहरेपन के लिए जि़म्मेदार कानों की समस्याओं की जल्द पहचान और इलाज नेशनल प्रोग्राम फार प्रीवैनशन एंड कंट्रोल आफ डीफनेस (एन.पी.पी.सी.डी.) के मुख्य मकसदों में से एक है और अब स्वास्थ्य विभाग नवजात बच्चों में इस कमी का पता लगाने और इलाज करने के समर्थ है।
इस मौके पर सी.जे.एम श्री मानव, सिविल सर्जन डा. परमिन्दर कुमार, एस.एम.ओ रोपड़ डा. तरलोचन सिंह, एस.एम.ओ आनंदपुर साहिब डा. चरनजीत कुमार, एस.एम.ओ नूरपुरबेदी डा. विधान चंद्र और स्वास्थ्य विभाग और जि़ला प्रशासन के अन्य सीनियर अधिकारी भी उपस्थित थे।