राष्ट्रीय धरोहर के स्वरूप में बदलाव का विरोध: साबरमती आश्रम में दुनियाभर से लोग शांति की तलाश में खिंचे चले आते हैं: डॉ. देवराज त्यागी

CHANDIGARH: गांधी स्मारक भवन सैक्टर-16 चंडीगढ़ में आज एक विशेष गोष्ठी साबरमती आश्रम अहमदाबाद के बारे में हुई, जिसमें मुख्य वक्ता गांधी स्मारक भवन के निदेशक डॉ. देवराज त्यागी ने बताया कि केन्द्र और गुजरात सरकार द्वारा महात्मा गांधी के विश्व प्रसिद्ध साबरमती आश्रम के स्वरूप में बदलाव की कोशिश के विरूद्ध देशभर की प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं ने सेवाग्राम आश्रम से साबरमती संदेश यात्रा 17 अक्तूबर 2021 से शुरू की थी तथा 24 अक्तूबर को अहमदाबाद पहुंच गई।

सेवाग्राम आश्रम में यात्रा प्रारंभ से पहले वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा स्थापित आश्रम तथा संस्थाएं सत्य और अहिंसा की प्रयोगशालाएं रही हैं। जीवन और समाज का आदर्श रूप कैसा हो, इसकी साधना उन्होंने आश्रमों में की और अपने साथ असंख्य मानवों को प्रेरित व प्रशिक्षित किया। गांधी जी के जाने के बाद भी उनके आश्रम उनकी विचारधारा और जीवन शैली को जानने-समझने और प्रेरणा प्राप्त करने के पवित्रतम स्थल रहे हैं, जिनके प्रति देश और दुनिया के असंख्य नर-नारी गहरी आस्था रखते हैं। यही वजह है कि गांधी आश्रमों में दुनियाभर से लोग शांति और प्रेरणा की तलाश में खिंचे चले आते हैं।

डा. एमपी डोगरा ने कहा कि साबरमती आश्रम गांधी जी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हमको जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार द्वारा साबरमती आश्रम परिसर के स्वरूप में तब्दीली सादगी में सौंदर्य की विचारधारा और विरासत की पवित्रता पर सीधा आघात है। साबरमती आश्रम एक ऐतिहासिक धरोहर है। आश्रम के साथ ऐसे बदलाव से पवित्र स्थल की गरिमा खत्म हो जाएगी। सरकार की इस कोशिश से गांधी विचार की संस्थाएं और शांति प्रेमी नागरिक बेहद चिंतित हैं और ऐसे किसी प्रयास का पुरजोर विरोध करते हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता के हीरक जयंती वर्ष के पवित्र और ऐतिहासिक अवसर पर गांधीजी की स्मृति के संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के लिए उनके द्वारा चलाए गए रचनात्मक कार्यक्रमों में सरकार को सहयोग करना चाहिए। देश के लिए बलिदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और वीरों के स्मृति स्थलों में परिवर्तित कर उन्हें व्यावसायिक स्वरूप देना उनके त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ जनभावना का भी अनादर है।  डा. अनीश गर्ग ने कहा कि केन्द्र सरकार से भी अनुरोध करते हैं कि वह अपने कदम पीछे ले और राष्ट्रीय धरोहरों में छेड़छाड़ करने तथा उनका स्वरूप बदलने का प्रयास न करे।  

मंच का संचालन पापिया चक्रवर्ती ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती कंचन त्यागी के भजन से हुआ। इस अवसर पर चंडीगढ़ का बुद्धिजीवी वर्ग,  पत्रकार एवं साहित्यकारों के अलावा अमनदीप सिंह, डेजी बेदी जुनेजा, आरके भगत, वीके गुप्ता, राशि श्रीवास्तव, कंचन भल्ला, बलंवत तक्षक, डा. सरिता मेहता, संगीता शर्मा आदि शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।     

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