CHANDIGARH: भारतीय जनता पार्टी के पार्षद शक्ति प्रकाश देवशाली ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर चंडीगढ़ में चयनित सड़कों के जीआईएस आधारित मैकेनिकल और मैनुअल स्वीपिंग के लिए पुनर्निविदा की प्रक्रिया में जानबूझकर की जा रही देरी की जांच की मांग की है।
निगम आयुक्त को लिखे पत्र में शक्ति प्रकाश देवशाली ने कहा कि 31.05.2021 को आयोजित नगर निगम सदन की 297वीं बैठक में “चंडीगढ़ में चयनित सड़कों की जीआईएस आधारित यांत्रिक और मैनुअल स्वीपिंग (दक्षिण मार्ग से परे मौजूद सभी क्षेत्रों, गांवों, कॉलोनियों) और विस्तार के लिए अनुरोध” का एजेंडा नवीन निविदा/मौजूदा ठेके के विस्तार हेतु विचार एवं अनुमोदन हेतु रखा गया था। नगर निगम सदन को यह भी बताया गया कि इससे पहले आयुक्त एमसीसी द्वारा ‘संयुक्त सीएमसी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी, जिसमें मुख्य अभियंता, एमसीसी, मुख्य लेखा अधिकारी एमसीसी यादविंदर सिंह, विधि अधिकारी एमसीसी सुशील वैद, एसी (एफएंडए) और एमओएच एमसीसी के प्रतिनिधि चंद्र मोहन, सीएसआई, एमओएच शामिल थे।
विचार-विमर्श के बाद समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि मैसर्स लायन सर्विसेज लिमिटेड की अनुबंध अवधि को बढ़ाया नहीं जाना चाहिए और अनुबंध को नए सिरे से आवंटित किया जाना चाहिए।
सभी तथ्यों को देखने और सदन के सदस्यों द्वारा विस्तृत चर्चा के बाद सदन ने बहुमत से विचार किया और निर्णय लिया कि चंडीगढ़ में चयनित सड़कों के जीआईएस आधारित यांत्रिक और मैनुअल स्वीपिंग के लिए पुनर्निविदा की प्रक्रिया शुरू की जाए।
मैनुअल स्वीपिंग का मौजूदा अनुबंध 30.11.2021 को और मैकेनिकल स्वीपिंग का 14.02.2022 को समाप्त हो जाएगा।
देवशाली ने कहा कि चार महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नगर निगम चंडीगढ़ द्वारा कोई टेंडर नहीं निकाला गया है। ऐसा लगता है कि उल्लेखित क्षेत्र में मैनुअल और मैकेनिकल स्वीपिंग की निविदा में जानबूझकर देरी की गई है, जिसके कारण नगर निगम को पहली दिसंबर से (समझौते के खंड 3.1.3 के अनुसार) डुलेवो 5000 रोड स्वीपिंग मशीन अन्य फिटिंग और फिक्स्चर के साथ एमसीसी की संपत्ति बनने में अनावश्यक देरी होगी। पुनर्निविदा प्रक्रिया में देरी से नगर निगम चंडीगढ़ को अनावश्यक वित्तीय नुकसान भी होगा। पुनर्निविदा प्रक्रिया में देरी से शहर में साफ-सफाई की समस्या पैदा होगी और नगर निगम चंडीगढ़ की छवि खराब होगी। देवशाली ने कहा कि पुनर्निविदा प्रक्रिया में देरी जानबूझकर और निगम सदन की भावनाओं की अनदेखी के साथ-साथ सदन द्वारा पारित प्रस्ताव की अनदेखी प्रतीत होती है। पुनर्निविदा प्रक्रिया में जानबूझकर देरी, नगर निगम चंडीगढ़ को नुकसान पहुंचाकर किसी व्यक्ति या फर्म को अवांछित लाभ देने के लिए हो सकती है।
देवशाली ने निगम आयुक्त से मांग की कि तथ्यों पर विचार करते हुए मामले में हस्तक्षेप करें और पुनर्निविदा की प्रक्रिया में जानबूझकर की गई/की जा रही देरी की जांच प्रारंभ करें।
इसके अलावा जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए तथा नगर निगम चंडीगढ़ और नागरिकों के हित में उचित कार्रवाई की जाए।