12 वर्षों से बेटे की मर्डर मिस्ट्री अपने बूते सुलझाने में जुटा है एक बुजुर्ग पिता

चण्डीगढ़ की स्मार्ट पुलिस की कार्यप्रणाली पर लगाया सवालिया निशान, आरटीआई में मांगी जानकारी तो पता चला कि पड़ताल अभी भी है पेंडिंग

CHANDIGARH: सेक्टर 51 की ईएसआई सोसायटी के एक क्वार्टर में 3 मई 2009 को करण गोयल नामक युवक का शव मिला था। गले में फंदा होने के कारण पुलिस ने इसे आत्महत्या करार दे दिया परंतु युवक की कमर का निचला हिस्सा पीछे की तरफ से एक मेज से टिका हुआ था व पैर भी जमीन को छू रहे थे। इसे देखते हुए मृतक के पिता चंद्रमोहन गोयल का मन इसे आत्महत्या मानने को तैयार नहीं है। बड़ी बात ये थी कि कोई सुसाइड नोट भी नही मिला और ऊपर से कमरा बाहर से लॉक था। उन्होंने आज पत्रकारों के समक्ष अपना दुखड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि चण्डीगढ़ पुलिस की कार्यवाई इस मामले में संतोषजनक तो बिलकुल ही नहीं रही, बल्कि लीपापोती करने के कारण संदेहास्पद भी है। पुलिस ने इस मामले को सिर्फ आत्महत्या का मामला मान कर डीडीआर काट दी थी और मामला बंद कर दिया। केस के आईओ ने तो कभी उनकी बात तक नहीं सुनी। यहां तक कि जिस फ्लैट में ये कांड हुआ, उसका पोजेशन एक लड़की को बिना उनकी सहमति के दे दिया गया। हालांकि उनके अड़ जाने पर पुलिस विभाग के फोटोग्राफर को बुला कर फ्लैट में पड़े हुए सामान की तस्वीरें जरूर खींचवाई गईं। करण गोयल, जो सेक्टर 26 में एक अच्छा खासा आईटी से जुड़ा कारोबार चलते थे, की हत्या के पीछे उसकी महिला मित्र व दोस्त का हाथ है, ऐसा चंद्रमोहन का विश्वास है पर उनके शक जताने के बावजूद इन लोगों से पुलिस ने कोई पूछताछ करने की जहमत नहीं उठाई।

छह वर्षों से पुलिस फोरेंसिक रिपोर्ट पाने के लिए अभी तक प्रयासरत और गोयल ने निकलवा भी ली

चंद्रमोहन गोयल ने जून 2015 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में इस मामले में पुलिस कार्रवाई पर असंतोष व्यक्त करते हुए याचिका डाली थी जिस पर अदालत ने तत्कालीन डीजीपी को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक सिट गठित कर जांच करने के निर्देश दिए थे, जिस पर तब के डीएसपी, साउथ, सेक्टर 34 के एसएचओ व क्राइम ब्रांच के एसएचओ की एक सिट बना तो दी गई तथा एसएचओ 34 ने उनके बयान भी ले लिए परंतु जांच पड़ताल में सामने क्या आया, इस बारे में कुछ भी नहीं पता चला। छह साल तक बस एक अधिकारी से दूसरे के पास भेजा जाता रहा व बीच-बीच में अधिकारी भी तबदील होते रहे और वे धक्के खाते रहे। बस यही पता चला कि पुलिस विभाग फोरेंसिक की रिपोर्ट हासिल करने के लिए प्रयास कर रहा है। इस पर चंद्रमोहन गोयल ने हाथ पैर मार कर अपने बूते पर ही फोरेंसिक रिपोर्ट हासिल कर ली। ध्यान से अध्ययन करने पर साफ दिखता है कि उनके बेटे ने आत्महत्या नहीं की होगी।

चंद्रमोहन गोयल, जो एक प्रतिष्ठित व व्यस्त व्यवसायी हैं, ने हार न मानते हुए पहले तो इस वर्ष जनवरी में डीजीपी व एसएसपी को इस मामले को लेकर पत्र लिखे परंतु कोई जवाब न मिलने पर पिछले दिनों डीजीपी व एसएसपी के कार्यालयों में आरटीआई डाली तो डीएसपी, साउथ की ओर से जवाब आया कि संबंधित मामले में इंक्वायरी अभी पेंडिंग है।

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