CHANDIGARH: पंजाब के राज्यपाल और यू.टी. चण्डीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा होने पर आज यहाँ अपना पद छोड़ दिया। बदनौर ने 22 अगस्त, 2016 को पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चण्डीगढ़ के प्रशासक के तौर पर पद संभाला था। बदनौर और उनकी पत्नी अल्का सिंह को पंजाब राज भवन के अधिकारियों और स्टाफ ने औपचारिक विदाई दी।
अपने भावनात्मक विदाई भाषण में बदनौर ने कहा कि वह पंजाब के राज्यपाल और यूटी चण्डीगढ़ के प्रशासक के तौर पर अपने पाँच सालों के कार्यकाल के दौरान पंजाब राज भवन, पंजाब सरकार और यू.टी. प्रसासन में अपने अधिकारियों द्वारा दिए गए संपूर्ण सहयोग के लिए उनके ऋणी रहेंगे। उन्होंने इन पाँच सालों के दौरान पंजाब और चण्डीगढ़ के लोगों द्वारा दिए गए सहयोग और प्यार के लिए उनका धन्यवाद किया।
इस अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बदनौर द्वारा भेंट की गई कॉफी टेबल बुक द राज भवन पंजाब-ए गलोरियस जर्नी भी जारी की, जिसकी एक कॉपी मुख्यमंत्री को भेंट की गई। इस किताब में 1947 से अब तक के राज्यपालों के सभी महत्वपूर्ण कार्यों और अन्य विवरणों को शामिल किया गया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री को ‘पंजाब राज भवन मिनी रॉक गार्डन-ए ट्रिब्यूट टू पद्मश्री नेक चंद’ नामक एक अन्य पुस्तक भी भेंट की गई। इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख शख्सियतों में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, राज्यपाल के प्रमुख सचिव, जे.एम. बालामुरुगन, यू.टी. प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल, गृह सचिव यूटी अरुण गुओता, एमसी कमिश्नर चण्डीगढ़ श्रीमती अनिन्दिता मित्रा, डीजीपी चण्डीगढ़ प्रवीण रंजन और डायरैक्टर सूचना एवं लोक संपर्क विभाग पंजाब कमल किशोर यादव के अलावा पंजाब, हरियाणा और यूटी चण्डीगढ़ के सेवारत वरिष्ठ और सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल थे।
बदनौर द्वारा दिया गया विदाई भाषण
‘‘मैं आज लम्बा भाषण नहीं देना चाहता परन्तु 5 साल पहले यहाँ आने के समय को याद करना चाहता हूँ, मुझे यह भी याद है कि मेरे शपथ ग्रहण समारोह में भारी बारिश पड़ी थी और सभी भीग गए थे। सभी अधिकारी और मेहमान इतने भीग गए थे कि उनको समारोह छोडऩा पड़ा और कुछ खा पी भी नहीं सके। परन्तु यह बहुत ही शुभ लग रहा था। हालाँकि हम सभी भीग गए परन्तु यह एक असाधारण और अचानक आई बारिश थी, जिसने मुझे एक बढिय़ा शुरूआत दी।
पाँच साल पहले मैं चण्डीगढ़ और पंजाब में शायद ही किसी को जानता था परन्तु मुझे लगता है कि अब मैं निश्चित रूप से चण्डीगढ़ और पंजाब के बहुत से लोगों को जानने का दावा कर सकता हूँ और यहाँ कई अच्छे दोस्त भी बनाए हैं।
पाँच साल किसी के जीवन काल में बहुत लंबा समय होता है और चण्डीगढ़ और पंजाब में मेरे 5 साल न सिफऱ् यादगार हैं बल्कि मेरे लिए बहुत अहम रहे हैं। जैसे कि मैं पद छोड़ रहा हूँ, आप सबके साथ मेरा जुड़ाव ख़त्म हो गया है परन्तु हाँ, इस खूबसूरत शहर को छोड़ते हुए मैं अपने साथ बहुत सी मीठी यादें लेकर जा रहा हूँ। मेरे 5 सालों के कार्यकाल के दौरान पिछले 2 साल पूरे विश्व के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहे, जिसमें चण्डीगढ़ और पंजाब भी शामिल हैं। हमने एकसाथ बहुत सी मुश्किलों का सामना किया, परन्तु परमात्मा की कृपा से हमने इन चुनौतीपूर्ण हालातों को पार किया।
यह एक बढिय़ा टीम वर्क था। ट्राई सीटी का असली संकल्प इस कोविड संकट के दौरान देखा और मुझे खुशी है कि मैं इसका हिस्सा रहा। मैं अपने कार्यकाल के विकास पक्ष में नहीं जाना चाहता, जो भी मैंने प्राप्त किया और जो मैं प्राप्त नहीं कर सका, मैं इसका निर्णय आपके ऊपर छोड़ता हूँ। जैसे कि विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है… यह रुकता नहीं … इसमें हमेशां और अधिक की गुंजाइश होती है। मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह का धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने मुझे संतों और महापुरुषों की धरती, पंजाब राज्य की सेवा करने का अवसर दिया। वह मुझे किसी भी छोटे या बड़े राज्य में कहीं भी नियुक्त कर सकते थे, परन्तु मुझे सीमावर्ती राज्य पंजाब और यू.टी. चण्डीगढ़ भेजना, मेरे लिए बहुत माईने रखता है।
मैं विशेष तौर पर श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व, श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व और श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व समागमों के शुभ अवसरों के मौके पर पंजाब में होने के लिए अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूँ, जिनसे मुझे नाम जपो, किरत करो और वँड छको और हमेशा चढ़दी कला में रहने की शिक्षा मिली। मैं पंजाब राज भवन और चण्डीगढ़ प्रसासन में अपने हरेक अधिकारी और स्टाफ और पंजाब सरकार के अधिकारियों का दिल से शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने दिन-रात मेरे साथ पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता से काम किया।
पंजाब के राज्यपाल और यूटी चण्डीगढ़ के प्रशासक के तौर पर मेरे बेदाग़ कार्यकाल के लिए मैं आप सभी का ऋणी हूँ। मैं पंजाब और चण्डीगढ़ के लोगों को दिल से प्यार और सम्मान देने और पूरे कार्यकाल के दौरान मुझ में विश्वास रखने के लिए धन्यवाद करता हूँ। मैं विनम्रता और धन्यवाद की भावना के साथ आप से विदाई लेता हूँ। मैं अपनी योग्यता के अनुसार इस संस्था के द्वारा इस राज्य के लोगों की सेवा करने की संतुष्टी और कृतज्ञता की भावना से विदाई ले रहा हूँ।’’