ऑक्सीजन की कमी पर हुड्डा ने हरियाणा सरकार को घेरा, कहा सच को सरकारी झूठ के नीचे नहीं दबाया जा सकता

पीड़ित परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं सरकार के बयानः हुड्डा
बोले- किसी आईएएस अफसर की बजाय पूर्व सेना अधिकारी को ही बनाया जाए सैनिक बॉर्ड का सेक्रेटरी

CHANDIGARH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज विधानसभा में चर्चा के दौरान ऑक्सीजन के मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से मौत को लेकर सरकार प्रदेश की जनता और सदन को गुमराह कर रही है। विधानसभा में सरकार ने जो जानकारी दी है वो सच्चाई से दूर है। इतने लोगों की मौत और जनता के सच को सरकारी झूठ के नीचे नहीं दबाया जा सकता।

हुड्डा ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान की खबरों को दिखाते हुए बताया कि कैसे लोगों को ऑक्सीजन, दवाई, वेंटिलेटर और हॉस्पिटल बेड की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा था। खुद मानवाधिकार आयोग ने भी इसपर टिप्पणी की थी। ये तमाम दस्तावेज बताते हैं कि गुरुग्राम से लेकर रेवाड़ी, पलवल, पानीपत और हिसार समेत कई जिलों में ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से लोगों की जानें गई।

गुरुग्राम के एक अस्पताल में तो ऑक्सीजन की कमी होने के बाद पूरा स्टाफ मरीजों को तड़पता छोड़कर भाग गया था। पानीपत में डॉक्टर्स और सीएमओ के सामने ऑक्सीजन के लिए गिड़गिड़ाते परिवारों का दर्द देखकर आज भी आंखें नम हो जाती हैं। लेकिन ऐसे भयावह हालातों के बावजदू सरकार दावा कर रही है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सवाल उठाया कि सरकार के ऐसे बयानों से पीड़ित परिवारों को क्या संदेश जाता होगा। ये बयान पीड़ित परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ना सरकार सच्चाई बताने के लिए तैयार है और ना ही सच्चाई जानने के लिए। इसलिए वो कोरोना और ऑक्सीजन की कमी से मौतों के सही आंकड़े का पता लगाने के लिए कोई उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने से भी आनाकानी कर रही है। ऐसे संवेदनशील और गंभीर मुद्दे पर सरकार का नकारात्मक रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है।

सदन में चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने मांग की कि सरकार राज्य सैनिक बॉर्ड को खत्म ना करे। अगर इसको बॉर्ड की बजाए डिपार्टमेंट बनाया जा रहा है तो इसका सेक्रेटरी किसी आईएएस की बजाए किसी रिटायर्ड सेना अधिकारी को ही बनाया जाए। पूर्व सैनिकों की भी यह एक बड़ी मांग है। उनका कहना है कि एक सैनिक ही उनके मुद्दों और समस्याओं का समाधान उचित तरीके से कर सकता है।

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