स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जलियांवाला बाग शताब्दी स्मारक का उदघाटन

मुख्यमंत्री ने स्मारक को जलियांवाला बाग के कत्लेआम में गुमनाम लोगों समेत शहीद हुए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि बताया

CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर भावुकता भरे पलों के दौरान जलियांवाला बाग़ शताब्दी स्मारक का उद्घाटन किया, जो 13 अप्रैल, 1919 के कत्लेआम में शहीदी पाने वाले ज्ञात और अज्ञात लोगों की याद में स्थापित की गई है। शहीदों के परिवारों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने पंजाब के इन शहीदों की याद में बने स्मारक को समर्पित करते हुए कहा कि ख़ूनी शौर्यगाथा वाले इस स्थान पर यह दूसरी यादगार उन सभी गुमनाम शहीदों को श्रद्धाँजलि के तौर पर स्थापित की गई है, जिन्होंने जलियांवाला बाग़ के दौरान अपनी जान कुर्बान कर दीं। इसी तरह मूल यादगार उन शहीदों की याद में स्थापित की गई थी जिनको इस शौर्यगाथा में शहादत पाने वालों के तौर पर जाना जाता था।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इस दुखांत में जान गंवा चुके लोगों की सही संख्या कोई नहीं जानता, वैसे तो डिप्टी कमिश्नर दफ़्तर के पास सिफऱ् 488 व्यक्तियों के नाम हैं, जो पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओ डवायर के आदेशों पर जनरल डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों द्वारा गोलीबारी में शहादत पा गए थे। उन्होंने कहा कि उस दिन 1250 गोलियाँ चलीं, जिस कारण वास्तव में संख्या हज़ारों में होगी। यह स्मारक रणजीत एवेन्यू में अमृत आनंद पार्क में 3.5 करोड़ रुपए की लागत के साथ 1.5 एकड़ में स्थापित की गई है। इस स्मारक के निर्माण वाली जगह पर राज्य भर से मिट्टी लाई गई, जिससे जलियांवाला बाग़ के कत्लेआम में शहादत पाने वाले लोगों को श्रद्धाँजलि के तौर पर इस पवित्र स्थान के नीचे वाली जगह को भरा गया।

मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि जलियांवाला बाग़ के शहीदों और पोर्ट ब्लेयर में सेलुलर जेल में कैद काटने वाले स्वतंत्रता सेनानियों पर शोध करने के लिए गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी द्वारा इतिहासकारों और अनुसंधान विद्वानों की विशेष टीम गठित की गई। उन्होंने कहा कि एक बार शोध मुकम्मल होने पर अन्य शहीदों के नामों के बारे में पता लग सकता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में शहीदों के और नाम दर्ज करने के लिए यादचिन्हों की दीवारों पर उचित जगह रखी हुई है। मौजूदा समय में इस स्मारक की काली और सुरमई ग्रेनाइट पत्थरों वाली दीवारों पर सरकारी तौर पर पहचान किए जा चुके 488 शहीदों के नाम उकेरे हुए हैं।

यह याद करते हुए कि उन्होंने 25 जनवरी, 2021 को इस स्मारक का नींव पत्थर रखा था और इसको 15 अगस्त, 2021 तक पूरा करने का वादा किया था, मुख्यमंत्री ने संस्कृतिक मामलों, आर्किटेक्चर और लोक निर्माण विभाग को पार्क का डिज़ाइन तैयार करने और निर्धारित समय-सीमा के अंदर इसका निर्माण मुकम्मल करने के लिए बधाई दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने गुमनाम नायकों को श्रद्धासुमन भेंट किए और कत्लेआम में मारे गए शहीदों के 29 पारिवारिक सदस्यों को सम्मानित किया और उनके साथ ग्रुप फोटो भी खिंचवाई। उन्होंने ऐतिहासिक शौर्यगाथा को दिखाने के लिए बंगाली कलाकार मोलोय घोष द्वारा तैयार किए गए चित्र की सराहना की। उद्घाटन किए गए नए स्मारक में ऊपर की तरफ बढ़े हुए सफ़ेद पत्थर के पाँच स्तम्भ शामिल हैं। यह स्तम्भ शहीदों की सर्वोच्च भावना का प्रतीक हैं। पाँच स्तम्भों की अलग-अलग ऊँचाईयाँ शहीदों के अलग-अलग उम्र वर्गों जैसे बच्चों, किशोरों, नौजवानों, मध्य उम्र और बुज़ुर्गों के साथ मेल खाती हैं। यह हाथों की पाँच उंगलियाँ और देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीदों की एकजुटता को भी दिखाते हैं। पत्थर का सफ़ेद रंग उनके बलिदान की पवित्रता का प्रतीक है। एक गोलाकार प्लेटफॉर्म जहाँ से यह स्तम्भ उभरते हैं पर केंद्रीय काला पत्थर शहीदों के बलिदान से पड़े खाली स्थान और शून्य को दिखाता है।

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