CHANDIGARH: चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस में मौजूदा अध्यक्ष सुभाष चावला व पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के बीच चल रहे शीतयुद्ध को लेकर जैसी आशंका थी, वो ही हुआ। नवगठित प्रदेश कांग्रेस कमेटी की आज हुई पहली मीटिंग में छाबड़ा को पार्टी से बाहर करने का निर्णय कर लिया गया। इससे पहले उन्हें नियमानुसार कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। इस पूरी कार्रवाई के लिए प्रदेश कमेटी ने अध्यक्ष सुभाष चावला को अधिकृत किया है। इसके अलावा पार्टी ने शहर में लगी धारा-144 का भी कड़ा विरोध किया तथा भाजपा व केंद्र सरकार के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया। इस मीटिंग में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल विशेष तौर पर मौजूद रहे।
प्रदेश कमेटी के गठन के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व का धन्यवाद जताया
यहां सेक्टर-35 स्थित राजीव गांधी कांग्रेस भवन में चंडीगढ़ प्रदेश की नवगठित कमेटी की मीटिंग प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला की अध्यक्षता में हुई। इसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा को छोड़कर कमेटी के सभी सदस्य शामिल हुए। छाबड़ा को इस कमेटी में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के नाते पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया गया था लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला से तल्ख संबंधों के चलते छाबड़ा मीटिंग में नहीं पहुंचे। बैठक में सबसे पहले प्रस्ताव पारित कर चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी के गठन तथा इसमें सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया गया। इसके बाद एजेंडे के अन्य प्रस्तावों पर चर्चा शुरू हुई। इनमेंं प्रदीप छाबड़ा का मुद्दा सबसे अहम रहा।
पवन बंसल ने अपने सियासी जीवन के उतार-चढ़ाव का जिक्र किया
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल छाबड़ा के मुद्दे पर ज्यादा कुछ तो नहीं बोले लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि प्रदेश कमेटी के गठन तथा इसमें जिसे स्थान मिला व जिसे नहीं मिला, उसके लिए वह खुद तथा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला अपनी जिम्मेदारी लेते हैं। बंसल ने साफ शब्दों में कहा कि आगे भी जो कार्यकर्ता व नेता अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगे, पार्टी हित में पार्टी के लिए बेहतर काम करेंगे, उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें पार्टी में उचित मान-सम्मान व स्थान दिया जाता रहेगा। बंसल ने अपने भाषण में अपने राजनीतिक जीवन में आए उतार-चढ़ावों का भी जिक्र किया और कहा कि यह सब जीवन का हिस्सा है। इससे किसी को विचलित नहीं होना चाहिए। वह खुद भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे, फिर हटाए भी गए लेकिन इसको लेकर कोई नाराजगी या असंतोष जैसी बात उनके मन में कभी नहीं रही। बंसल ने तो यहां तक कह दिया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद वह खुद बहुत निराश थे। अपना राजनीतिक जीवन डांवा-डोल लगने लगा था लेकिन पार्टी हाईकमान ने उनकी निष्ठा, काम व अनुभव को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। बंसल ने कहा कि इसलिए जीवन के उतार-चढ़ावों से किसी को व्यथित नहीं होना चाहिए। बंसल ने शहर में प्रशासन की तऱफ से धारा-144 लगाए जाने का विरोध करते हुए इसे भाजपा के इशारे पर लिया गया फैसला बताया। उन्होंने शहर के तमाम ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार रखते हुए नई प्रदेश कमेटी को शुभकामनाएं दीं तथा नगर निगम चुनाव के लिए एकजुट होकर कमर कस लेने व इस चुनाव में भाजपा का सफाया करने का संकल्प लेकर लोगों के बीच बेहतर तालमेल से काम करने की जरूरत पर जोर दिया।
पूरी कमेटी ने छाबड़ा को पार्टी से निकालने की मांग की
इस बीच, बैठक में प्रदीप छाबड़ा का मुद्दा उठते ही सभी वक्ताओं ने एक स्वर से मांग की कि पार्टी व पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी करने वालों को तुरंत पार्टी से बाहर किया जाए। पार्टी के एक प्रदेश उपाध्यक्ष ने तो यहां तक कह दिया कि सोशल मीडिया पर जो लोग इन दिनों पार्टी नेताओं के खिलाफ टीका-टिप्पणी कर रहे हैं, उनका डटकर मुकाबला किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो ठोक-पीटकर भी सबक सिखाने से गुरेज नहीं किया जाना चाहिए। बैठक को पार्टी के वरिष्ठ नेता डीडी जिंदल, हाफिज अनवार उल हक. पवन शर्मा, देविंदर सिंह बबला, भूपिंदर सिंह बड़हेरी, एचएस लक्की, प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपा दुबे, पार्ष सतीश कुमार कैंथ, जिलाध्यक्ष देविंदर गुप्ता, रामेश्वर गिरि, सोनू मोदगिल समेत कई पदाधिकारियों ने संबोधित किया। अंत में मीटिंग में सर्वसम्मति से इस पूरे मामले में अंतिम फैसले के लिए प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला को अधिकृत कर दिया गया। इसके बाद चावला ने फैसला सुनाया कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा को इस मामले में पहले शोकॉज नोटिस भेजा जाएगा, जिसमें उनसे पूछा जाएगा कि क्यों न आपको पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए। इसके बाद उनके जवाब से यदि पार्टी संतुष्ट न हुई तो उन्हें पार्टी से निकालने का आदेश जारी कर दिया जाएगा।