CHANDIGARH: पिछले कुछ वर्षों में बैंकिंग प्रणाली, नकदी के भंडारण के तरीके और इसकी ढुलाई प्लास्टिक मनी में बदल गई है। पैसे का अधिकांश लेन-देन अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media)/इंटरनेट (Internet) के माध्यम से, कंप्यूटर (Computer)/मोबाइल टेलीफोन (Mobile) का उपयोग करके किया जाता है। ऐसे में अपराधियों ने भी अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव किया है। धोखेबाज एक बटन से किसी की भी मेहनत की कमाई हड़प सकते हैं। ऐसे में मोबाइल टेलीफोन (Mobile Phones)/सीसीटीवी (CCTV)/इंटरनेट (Internet) आदि जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कई अपराधों को सुलझाने के लिए एक प्रमुख सुराग देते हैं। तकनीकी निगरानी और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक/इंटरनेट उपकरणों के माध्यम से अपराधियों का महत्वपूर्ण सुराग लगाने की कला में साइबर अपराध प्रकोष्ठ के विशेषज्ञ निपुण हैं। ज्यादातर आपराधिक मामले साइबर सेल द्वारा जुटाए गए सबूतों से सुलझाए जाते हैं।
राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जनकल्याण संगठन (NCCHWO) ने पुलिस बल के इन साथियों को सम्मानित करने का फैसला किया, जो पारंपरिक तरीकों से काम नहीं करते हैं, लेकिन अपराधों को सुलझाने के लिए नवीन विचारों का उपयोग करते हैं।
NCCHWO के राष्ट्रीय मुख्य सचिव रंजीत वर्मा के नेतृत्व में NCCHWO की एक टीम ने चंडीगढ़ पुलिस साइबर सेल का दौरा किया। उनके साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक, रविंदर भांभू, राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार, राज्य सचिव (महिला अधिकारिता प्रकोष्ठ) ट्राइसिटी मीडिया अध्यक्ष सुश्री राजू एरी भी थे। इस टीम ने साइबर सेल की डीएसपी रश्मि शर्मा, इंस्पेक्टर देविंदर सिंह और इंस्पेक्टर हरिओम को सम्मानित किया।
रंजीत वर्मा ने कहा कि ये मूक कार्यकर्ता हैं, जो अपराध को सुलझाने के लिए कल्पनात्मक तरीकों और नए विचारों का उपयोग करते हुए काम करते हैं। ये साइबर योद्धा अपराधियों को मात देने के लिए नवीन तरीकों का उपयोग करते हैं। अपराधी 24/7 काम करते हैं, इसलिए हमारे साइबर योद्धा भी मामलों को सुलझाने के लिए लगातार काम करते हैं और COVID महामारी जैसे दौर में भी आराम नहीं करते हैं। हम इनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहते हैं, क्योंकि यह उनकी कड़ी मेहनत है कि अपराधियों को नियंत्रण में रखा जाता है।