CHANDIGARH: शहरी क्षेत्रों से डेंगू के 80 फ़ीसद केस सामने आने के मद्देनजऱ स्वास्थ्य मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने स्टेट टास्क फोर्स के सभी सम्बन्धित विभागों को डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और अन्य वैक्टर और पानी से पैदा होने वालों बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिए रोकथाम उपायों को सख़्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
स्टेट टास्क फोर्स की मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्थानीय निकाय विभाग की भूमिका शहरी क्षेत्रों में डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए कीटनाशकों और लारवीसाईडों के छिडक़ाव को यकीनी बनाना है। इसी तरह ग्रामीण विकास एवं पंचायतें विभाग ग्रामीण क्षेत्रों के छप्पड़ों में लारवीसाईडों का छिडक़ाव करके और लारवानासी मछलियां छोड़ कर मच्छर पैदा होने की रोकथाम में सहायता कर सकता है।
गाँव की स्वास्थ्य और सेनिटेशन कमेटियों के द्वारा जागरूकता पैदा करना वैक्टर बोर्न डिसिजीज़ की रोकथाम में सहायक हो सकता है।उन्होंने कहा कि परिवहन और रोडवेज़ विभाग यह सुनिश्चित कर सकता है कि फेंके गए टायरों का निपटारा किया जाये या उनको सही ढंग से स्टोर किया जाये, जिससे यह टायर मच्छरों के प्रजनन वाली जगह न बनें। उन्होंने कहा कि मछली पालन विभाग जि़ला हैचरीज़ को तकनीकी सहायता प्रदान कर सकता है जहाँ गैंमबूसिया का प्रजनन किया जाता है।
स. सिद्धू ने मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान विभाग को हिदायत की कि सभी मैडीकल कालेजों में एक अलग डेंगू वार्ड की स्थापना को यकीनी बनाया जाये और इसके ब्लड बैंक में ख़ून का उचित मात्रा में भंडार होना चाहिए और सभी डायगनौस्टिक उपकरण और मशीनें कार्यशील होनी चाहिये। विभाग यह भी यकीनी बनाऐगा कि मलेरिया का इलाज ‘‘मलेरिया के बारे राष्ट्रीय ड्रग पॉलिसी’’ के अनुसार किया जाये।जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार करते हुये उन्होंने कहा कि चिकनपौकस, खसरा, गल गण्ड आदि जैसी छूत की बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिए बुख़ार, खसरा या ऐसे किसी अन्य लक्षणों वाली बीमारी से प्रभावित बच्चों के बारे जल्दी सूचित करके और वैक्टर बोर्न डिसिजिज़ सम्बन्धी लोगों को जागरूक करने में स्कूली बच्चे अपना योगदान दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह दिशा -निर्देश सभी सरकारी और प्राईवेट स्कूलों के साथ सांझे किये जाने चाहिएं।यह जि़क्र करते कि डेंगू के अधिक से अधिक केस प्रवासी आबादी से सामने आए हैं, मंत्री ने कहा कि श्रम विभाग प्रवासी आबादी / कामगार / ईंट भट्टों के बारे जानकारी सांझा कर सकता है जिससे स्वास्थ्य विभाग इन क्षेत्रों में विशेष जांच और निगरानी मुहिम की योजना बना सके। इंडियन मैडीकल एसोसिएशन प्राईवेट प्रैकटीशनरों से अपील कर सकती है कि वह छूत की बीमारी के इलाज के लिए केंद्र की तरफ से जारी दिशा निर्देशों की पालना करें और सभी नोटीफाईड बीमारियों की रिपोर्ट सरकार को दें।स. सिद्धू ने बताया कि राज्य में साल 2020 में डेंगू के 8345 केस आए थे और 22 मौतें हुई थीं और मौजूदा साल के दौरान 20 जुलाई तक डेंगू के कुल 72 मामले सामने आ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि एकीक्रित रोग निगरान प्रोग्राम के ठोस यत्नों स्वरूप आज तक डेंगू के कारण किसी की मौत होने की ख़बर नहीं है और पिछले 2 सालों से राज्य में कोई भी चिकनगुनिया का केस सामने नहीं आया है।स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आईडीएसपी की राज्य और जि़ला स्तरीय टीमें बहुत बढिय़ा काम कर रही हैं क्योंकि उन्होंने राज्य भर में कोरोनावायरस और ओर बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिए विशेष भूमिका निभाई है।स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री हुसन लाल ने मलेरिया के ख़ात्मे की मुहिम सम्बन्धी आंकड़ों को सांझा करते हुये कहा कि पिछले 5 सालों से पंजाब में मलेरिया के कारण किसी की मौत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मलेरिया के मामलों में भारी कमी आई है और साल 2020 में सिर्फ़ 109 मामले सामने आए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब ऐसा पहला राज्य है जिसने मलेरिया के इलाज कार्ड की शुरुआत की जिससे मुकम्मल इलाज की निगरानी की जा सके।मीटिंग में दूसरों के इलावा स्थानीय निकाय, ग्रामीण विकास एवं पंचायतें, जल सप्लाई और सेनिटेशन, जल सप्लाई और सिवरेज बोर्ड, परिवहन, रोडवेज़, पशु पालन, मछली पालन, मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान, शिक्षा, श्रम और इंडियन मैडीकल एसोसिएशन विभागों के नुमायंदे मौजूद थे।