CHANDIGARH: श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, चण्डीगढ़ के श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज कोलकाता स्थित मुख्यालय में सर्वसम्मति से गवर्निंग बॉडी मीटिंग में प्रेसिडेंट आचार्य का चयन कर लिया गया। श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, चण्डीगढ़ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता ने उक्त जानकारी देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण मठ के पूर्व आचार्य श्री भागवत महाराज जी के शरीर छोड़ने के उपरांत रिक्त हुए स्थान पर आज विष्णु महाराज जी को बहुत ही हर्षोल्लास एवं ध्वनि मत से आचार्य प्रेसिडेंट नियुक्त कर दिया। विष्णु महाराज जी प्रेसिडेंट बनने से पूर्व गौड़ीय मठ संस्थान के महासचिव पद पर आसीन थे। उनके प्रेसिडेंट आचार्य बनने की खबर सुनकर पूरे देश में खुशी की लहर फैल गई। सैकड़ों भक्तों ने आज चण्डीगढ़ मठ में नृत्यगान एवं लड्डू बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। गौरतलब है कि श्री चैतन्य गौड़ीय मठ संस्थान की पूरे देश में शाखाएं फैली हुई है। इसके अतिरिक्त विदेशों में फ्रांस अमेरिका, जर्मनी,रशिया नॉर्वे आदि देशों में प्रचार-प्रसार फैला हुआ है। चैतन्य गौड़ीय मठ भगवान श्री कृष्ण जी की शुद्ध भक्ति एवं सामाजिक कल्याण एवं शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
विष्णु महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय विष्णु महाराज जी का जन्म देहरादून मे हुआ था। उनकी स्कूली एवं कॉलेज की शिक्षा देहरादून में ही हुई। उन्होंने बीएससी डीएवी कॉलेज से कर रहे थे। उस दौरान यह 1982 में गौड़ीय मठ, चण्डीगढ़ घूमने के लिए आए थे लेकिन निश कंचन महाराज जैसे सन्यासी से प्रभावित होकर इन्होंने अपना घर परिवार त्याग दिया और पूरा जीवन भगवान श्री कृष्ण सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित कर दिया एवं आध्यात्मिक शिक्षा लेने के लिए ब्रह्मचारी के रूप में संस्थान म प्रवेश कर गए। उन्होंने सैकड़ों पुस्तकों का संपादन एवं प्रकाशन किया। वर्तमान में वे “श्री कृष्ण चैतन्य संदेश” नामक पत्रिका के संपादक भी हैं। गत वर्ष कोविड-19 महामारी के दौरान चण्डीगढ़ प्रशासन के सहयोग से उन्होंने लाखों लोगों तक मुफ्त में भोजन वितरित करवाया था। इसी कारण पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर ने उनको स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित किया था। इसके पश्चात गणतंत्र दिवस समारोह में उनको चण्डीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार मनोज परीदा ने इनको समाजिक कार्यों के लिए सम्मानित किया। महाराज जी इस्कॉन चैरिटी ट्रस्ट सदस्य के रूप में भी कार्य कर रहे हैं। चण्डीगढ़ चैतन्य गौड़ीय मठ से उनका दशकों से से संबंध रहा है व जन्माष्टमी एवं रथयात्रा समारोह के संचालन की बागडोर बड़ी कुशलता पूर्वक आज भी निभा रहे हैं।