पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा- हवा-हवाई निकले 24 घंटे बिजली के दावे, गांव ही नहीं शहरों में भी लग रहे लंबे-लंबे कट
बिजली की मांग के लिए लोग सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर
CHANDIGARH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि आज प्रदेश में बिजली और पानी के संकट से हाहाकार मचा हुआ है। 24 घंटे बिजली देने के सरकारी वादे हवा-हवाई साबित हुए हैं। आज गांव ही नहीं शहरों के लोग भी लंबे-लंबे पावर कट से परेशान हैं। बिजली पानी की मांग को लेकर लोगों को सड़कों पर उतर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना पड़ रहा है। बिजली की किल्लत के चलते लोगों की दिनचर्या के साथ उनके कामधंधों पर भी विपरीत असर देखने को मिल रहा है।
हुड्डा ने बिजली संकट के लिए बीजेपी सरकार को दोषी करार दिया है। उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार के दौरान उन्होंने प्रदेश को बिजली के मामले में सरप्लस उत्पादक राज्य बना दिया था। प्रदेश में उनकी सरकार आने से पहले हर चुनाव में बिजली सबसे बड़ा मुद्दा होता था। क्योंकि उनकी सरकार से पहले प्रदेश में सिर्फ पानीपत में एक थर्मल पावर प्लांट होता था। लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल में यमुनानगर, खेदड़, झाड़ली और खानपुर खुर्द में 4 नए पावर प्लांट लगाए। इसके साथ भारत-अमेरिका परमाणु ऊर्जा समझौते के तहत फतेहाबाद के गोरखपुर में परमाणु बिजली संयंत्र मंजूर करवाया। इसी का नतीजा था कि 2014 आते-आते प्रदेश में बिजली चुनावी मुद्दा नहीं रहा।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार के दौरान एक भी नया प्लांट नहीं लगाया गया। इतना ही नहीं बीजेपी सरकार ने कांग्रेस सरकार के दौरान लगाए गए पावर प्लांट्स की कई यूनिट को भी बंद कर दिया। हमारे कार्यकाल में करीब 13000 मिलियन यूनिट का उत्पादन होता था, जो बीजेपी सरकार के दौरान लगातार घटता गया। एक तरफ हमारे कार्यकाल की तुलना में बिजली की दर भी ज्यादा और बिजली की मांग बढ़ती जा रही है, दूसरी तरफ सरकार उसके उत्पादन में कटौती कर रही है। यही वजह है कि आज प्रदेश की जनता को बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
हुड्डा ने याद दिलाया कि उन्होंने अपने कार्यकाल में वादा किया था कि बिजली और पानी की कमी से किसानों की फसलें सूखने नहीं दी जाएंगी। इस वादे को निभाते हुए उन्होंने किसानों को पूरी और सस्ती बिजली सप्लाई सुनिश्चित की। 10 पैसे प्रति यूनिट की दर से सबसे सस्ती बिजली उपलब्ध करवाने की ऐतिहासिक पहल शुरू की गई। कई जिलों में फ्लैट रेट पर किसानों को बिजली दी गई। इतना ही नहीं 1600 करोड़ रुपए के बिजली बिल माफ करने का ऐतिहासिक फैसला भी उसी सरकार के दौरान लिया गया था। लेकिन बीजेपी सरकार में इस तरह का कोई कल्याणकारी फैसला नहीं लिया गया। लगातार बिजली के रेट में बढ़ोतरी की गई। बावजूद इसके आज प्रदेश बिजली की किल्लत से जूझ रहा है।