PANCHKULA: उमंग अभिव्यक्ति मंच पंचकूला ने Doctor’s day के उपलक्ष्य में वीरवार को ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें खास तौर से महिला रचनाकारों ने भाग लिया। मंच की फाउंडर नीलम त्रिखा ने बताया कि इस काव्य गोष्ठी में शामिल हुईं सभी रचनाकारों ने धरती पर भगवान माने जाने वाले सभी डॉक्टरों को अपनी कविताओं के माध्यम से बहुत ही भाव भरे खूबसूरत संदेश भेजे। सभी ने उनकी लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। साथ ही साथ उनके परिवार के लोगों को भी दिल से नमन किया, जिन्होंने Corona संकट के समय में भी उन्हें अपने कर्तव्य के लिए प्रेरित किया और डॉक्टर्स ने भी सबसे आगे आकर अपनी जान की परवाह न करते हुए लाखों Corona पीड़ितों की जान बचाई। गोष्ठी का संचालन शीनू वालिया ने किया। सर्वप्रथम मां शारदे को नमन कर उन्होंने सभी डाक्टरों को उनके निस्वार्थ भाव से किए कार्यों के लिए धन्यवाद दिया और Corona मरीजों का इलाज करते हुए अपनी जान गंवाने वाले डॉक्टरों को Doctor’s day पर अपनी इस रचना से श्रद्धांजलि दी,
साबित किया अपने करमों से, क्यों भगवान कहलाते हैं।
खुद के लिए नहीं सिर्फ जीते वो, औरों के लिए मर जाते हैं।।
कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाली अन्य रचनाकारों में नीलम त्रिखा, मणि शर्मा ‘मनु’, डॉ. प्रज्ञा शारदा, सारिका धूपड़, अलका शर्मा, रेणुका चुघ मिड्ढा, सतवंत कौर गोगी गिल, सोनिमा सत्या, आभा मुकेश साहनी, धीरजा शर्मा, नीरजा शर्मा, रेणु अब्बी ‘रेणू’, निशा वर्मा, संगीता शर्मा कुंद्रा, आरती ‘प्रिय’, राधा अग्रवाल, गीता उपाध्याय, कविता रोहिला कुरुक्षेत्र, सुनीता गर्ग पंचकुला, स्नेह लता, दृष्टि त्रिखा, सीता श्याम, नीरू मित्तल नीर, शीला गहलावत सीरत, मनोरमा श्रीवास्तव शामिल रहीं।
नीलम त्रिखा ने अपनी रचना में कहा,
सभी डॉक्टर्स को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है।
यह तो लगते बिल्कुल भगवान के समान हैं।।
सारिका धूपड़ ने रचना सुनाई,
कोरोना पीड़ित और उनके संबंधी,
स्वास्थ्य कर्मचारियों को दें आह्वान।
डॉक्टर और नर्स, फिर रातों रात,
बन गए थे सब के लिए भगवान।।
सुनीता गर्ग पंचकूला ने कहा,
कर्मवीरों को नमन करो नमन उनको जिन्होंने,
मुश्किल वक़्त में साथ दिया, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब को मान-सम्मान दिया।
सोनिमा सत्या ने रचना सुनाई,
आप बन जाएंगे डॉक्टर दुआओं के,
बस इंसानियत की डिग्री चाहिए इसके लिए।
आरती ‘प्रिय’ की रचना, जात-पात पूछें न उसकी, सांसें खतरे में हों जिसकी सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। आभा साहनी ने कहा,
न हिंदू न सिख, न ईसाई का रखते भेदभाव,
न ही कोई पारसी इनके लिए सब एक समान।
गीता उपाध्याय ने कहा,
जिंदगी और मौत के संघर्ष से खींचकर लाए,
जीवन की एक नई किरण दिखाए।
बाल कवियत्री दृष्टि त्रिखा ने कहा,
डॉक्टर भी तो एक योद्धा के समान हैं,
पूरे देशवासियों की देखो इन्होंने बचाई जान है।
मणि शर्मा ‘मनु’ अपनी रचना में कहा,
महाभारत सा युद्ध भयंकर,
त्राहि-त्राहि हर कोने में,
बन पाण्डव वो युद्ध लड़े यूं,
कौरवों जैसे कोरोना से।
संगीता शर्मा कुंद्रा ने अपनी रचना चिकित्सकों को समर्पित करते हुए कहा,
डॉक्टर हमारे वीर योद्धा,
यूं ही नहीं कहा जाता डॉक्टर को भगवान का रूप,
यह न होते तो छीन लेता वायरस मानव से यह स्वरूप।
अलका शर्मा ने अपनी रचना में कहा,
धरा पर भगवान का रूप है जो,
जिनका अद्भुत स्वरूप है जो,
जीवन की डोर जिसके हाथ में,
ईश्वर है जिसके साथ में,
डॉक्टर योद्धा है वो।
सतवंत कौर गोगी गिल ने कहा,
करोनाकाल में सभी कर्मठ योद्धाओं को नमन।
संकट की घड़ी में बचाया मानवता का चमन।।
डॉ. प्रज्ञा शारदा ने अपनी रचना, महामारी जब आई द्वारे, डॉक्टर, नर्स बने सहारे सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। नीरजा शर्मा ने अपनी रचना में कहा,
शत-शत नमन हर डाक्टर को हमारा।
सदैव सुखी रहो यह प्रभु से अनुनय हमारा।।
रेणुका चुघ मिड्ढा ने कहा,
भूख-प्यास, आराम त्याग, मौत से लड़कर दिया सबको जीवन दान।
त्याग, धैर्य की मूरत तुम, तुम जैसा धरती पर है कौन महान।।
कविता रोहिला कुरुक्षेत्र ने अपनी रचना में कहा,
कोरोनाकाल में डाक्टर, नर्स,
जान देकर जान बचाने की संघर्ष कहानी है।
करो नियमों का पालन सभी,
संघर्ष ही जीवन कहानी है।।
नीरू मित्तल नीर ने कहा.
यह योद्धा कर्म भूमि के,
ये ही तो ईश्वर हैं।
समाज सेवा को समर्पित,
ये ही तो परमेश्वर हैं।।
ममता सूद कुरुक्षेत्र ने अपनी रचना में कहा,
जो जिन्दगी को मौत के मुुंह से छीन लाए,
वो देवदूत डाक्टर कहलाए।
सीता श्याम ने भी डॉक्टर को भगवान का दर्जा देते हुए कहा,
देशासियों की सेवा में अपना चैन गंवाया है।
अपना परिवार अपने बच्चे अपना घर भुलाया है।।
राधा अग्रवाल कुरुक्षेत्र ने कहा,
स्वास्थ्य कर्मी व सभी वारियर्स को,
है ये श्रद्धांजलि।
कोरोना पीडि़तों की सेवा करते हुए,
जिन्होने अंतिम सांस ली।।
देवदूत बनकर डाक्टर आया,
बीमारी से इंसां को बचाया।
सीरत हर मुश्किल घड़ी में भी,
डाक्टर ने ही सबको दी।।
नीरजा शर्मा ने अपनी रचना में कहा,
इनकी सलामती की दुआ सुबह और शाम करें,
आओ इन योद्धाओं को सलाम करें।